
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में भड़के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. सिख विरोधी दंगों की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिख विरोधी दंगों के मामले में एक नई चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है जिसमें जगदीश टाइटलर पर कई आरोप लगाए गए हैं.
सीबीआई की ओर से दायर की गई नई चार्जशीट में जगदीश टाइटलर पर भीड़ को उकसाने, दंगे भड़काने के आरोप हैं. सीबीआई की चार्जशीट में ये भी कहा गया है कि जगदीश टाइटलर के उकसाने के बाद उसी भीड़ ने पुल बंगश गुरुद्वारे में आग लगाई थी. पुल बंगश गुरुद्वारे में आग लगाए जाने की घटना से तीन सिख जलकर मर गए थे.
जगदीश टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 153 (a), 188 के साथ ही 109, 302, 295 और 436 के तहत आरोप लगाए गए हैं. गौरतलब है कि सिख विरोधी दंगों की जांच कर रही सीबीआई ने हाल ही में जगदीश टाइटलर की आवाज का सैंपल लिया था. ये सैंपल सीएफएसएल लैब में लिया गया था.
सीबीआई की ओर से इसे लेकर कहा गया था कि सिख विरोधी दंगों में कुछ नए साक्ष्य सामने आए हैं जिनको लेकर टाइटलर की आवाज का सैंपल लिया गया है. बता दें कि साल 1984 में इंदिरा गांधी की उनके ही बॉडीगार्ड्स ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले दोनों बॉडीगार्ड्स सिख समुदाय के थे.
साल 2000 में गठित हुआ था नानावटी कमीशन
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे. इन दंगों की जांच के लिए सरकार ने साल 2000 में नानावटी कमीशन का गठन किया था. नानावटी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट साल 2005 में सरकार को सौंपी थी. नानावटी कमीशन ने सिख विरोधी दंगों में राजनीतिज्ञों, कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने के संकेत दिए थे.
नानावटी कमीशन ने की थी CBI जांच की सिफारिश
नानावटी कमीशन ने सिख विरोधी दंगों को लेकर दर्ज कुल 214 FIR में से चार मामलों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी. इनमें 1 नवंबर 1984 को उत्तरी दिल्ली के पुलबंगश गुरुद्वारे में आग लगाए जाने का केस भी शामिल था जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी. गुरुद्वारे में आग लगाए जाने की वजह से जान गंवाने वाले तीनों लोग सिख समुदाय के थे.
सीबीआई ने लगा दी थी क्लोजर रिपोर्ट
सीबीआई ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले में पहले क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी. हालांकि, सेशन कोर्ट ने सीबीआई की ओर से दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया था. वहीं, इस मामले में एक अन्य आरोपी सुरेश कुमार को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में साल 2014 में बरी कर दिया था. साल 2018 में मंजीत सिंह जीके को एक बिजनेसमैन से टेप्स मिले थे. दावा किया गया था कि एक स्टिंग ऑपरेशन में जगदीश टाइटलर ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी.