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सुनंदा पुष्कर केस: थरूर के खिलाफ तय होंगे आरोप या नहीं, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

दिल्ली की एमपी एमएलए कोर्ट राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर पर आरोप तय करने के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. इस मामले में 29 अप्रैल को कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है.

सुनंदा पुष्कर (फाइल-फोटो) सुनंदा पुष्कर (फाइल-फोटो)
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 9:21 PM IST
  • 29 अप्रैल को आ सकता है कोर्ट का फैसला 
  • वर्ष 2014 में हुई थी सुनंदा पुष्कर की मौत

दिल्ली की अदालत ने कांग्रेस नेता शशि थरूर पर उनकी पत्नी की मौत के मामले में आरोप तय करने के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है. दिल्ली पुलिस की तरफ से इस मामले में शशि थरूर पर आत्महत्या के लिए उकसाने और पत्नी पर घरेलू हिंसा का मामला चलाए जाने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है. इस मामले में 29 अप्रैल को कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है.

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सुनवाई के दौरान शशि थरूर के वकीलों ने दलील दी है कि आत्महत्या के लिए उकसाने के पर्याप्त सबूत इस मामले में नहीं हैं, इसीलिए सुनंदा की मौत को आकस्मिक मौत माना जाना चाहिए ना कि आत्महत्या. इसी आधार पर शशि थरूर के वकीलों ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि उनको इस मामले में डिस्चार्ज किया जाना चाहिए.

इस मामले में कोर्ट से आने वाला आदेश बेहद अहम होगा, क्योंकि कोर्ट के इस आदेश से साफ होगा कि सात साल पुराने इस मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर पर उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला कोर्ट में चलेगा या नहीं. कोर्ट के इस फैसले से यह भी साफ होगा सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में शशि थरूर को राहत मिलेगी या फिर उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी. गौरतलब है कि 7 साल पुराने मामले में शशि थरूर को आज तक एक भी बार गिरफ्तार नहीं किया गया है.

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17 जनवरी 2014 को दिल्ली के पांच सितारा होटल लीला में संदिग्ध परिस्थितियों में सुनंदा पुष्कर की मौत हो गई थी. पुष्कर की मौत के बाद उनके पति शशि थरूर पर उनका मानसिक उत्पीड़न करने और हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा. सुनंदा की मौत से पहले उनकी पाकिस्तान पत्रकार मेहर तरार के साथ भी ट्विटर पर तकरार हो चुकी थी.

सुनंदा पुष्कर के बेटे और भाई दोनों ने अपने बयान में कहा है कि सुनंदा पुष्कर एक मजबूत महिला थी और वह आत्महत्या नहीं कर सकती थी. शशि थरूर ने भी कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा है कि जब परिवार यह मानता है कि सुनंदा आत्महत्या नहीं कर सकती थी, तो फिर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला उन पर कैसे चलाया जा सकता है.

 

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