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आतंकी करणवीर सिंह के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस, सरहद पार बैठकर चलाता है भारत विरोधी एजेंडा

आतंकी करणवीर सिंह पंजाब के कपूरथला का रहने वाला है. वो कुछ समय पहले पाकिस्तान भाग गया था और तब से पाकिस्तान में ही मौजूद है. करणवीर सिंह को बब्बर खालसा के सीनियर आतंकी वाधवा सिंह और हरविंदर सिंह रिंदा का राइट हैंड बताया जाता है.

आतंकी करणवीर सिंह पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ साजिशें करता है आतंकी करणवीर सिंह पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ साजिशें करता है
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:33 PM IST

कुख्यात आतंकी संगठन बब्बर खालसा के आतंकवादी करणवीर सिंह के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है. करणवीर सिंह एक ऐसा आतंकी है, जिसके खिलाफ भारत में कई संगीन मामले दर्ज हैं. इस वक्त वो सरहद पार बैठकर भारत के खिलाफ साजिशें रच रहा है.

सूत्रों के मुताबिक, आतंकी करणवीर सिंह पंजाब के कपूरथला का रहने वाला है. लेकिन वो कुछ समय पहले पाकिस्तान भाग गया था और तब से पाकिस्तान में ही मौजूद है. करणवीर सिंह को बब्बर खालसा के सीनियर आतंकी वाधवा सिंह और हरविंदर सिंह रिंदा का राइट हैंड बताया जाता है.

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खालिस्तानी वाधवा सिंह और रिंदा भी भारत से फरार होकर पाकिस्तान में पनाह लिए हुए हैं. वे दोनों पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के साथ मिलकर भारत में आतंकवाद फैला रहे हैं. करणवीर सिंह भारत से फरार होकर ही पाकिस्तान में जाकर छुप गया है.

आतंकवादी करणवीर सिंह के खिलाफ हत्या, एक्सप्लोसिव एक्ट, टेरर फंडिंग, आतंकी साजिश और आर्म्स एक्ट के कई संगीन मामले दर्ज हैं. 

क्या है बब्बर खालसा?
बब्बर खालसा इंटरनेशनल को ही बब्बर खालसा के नाम से जाना जाता है, जो खालिस्तान समर्थक एक आतंकवादी संगठन है. भारत और ब्रिटिश सरकार ने अलग सिख स्टेट की मांग करने वाले इस आतंकी संगठन को प्रतिबंधित कर रखा है. इस आतंकी संगठन ने पंजाब में विद्रोह और आतंक फैलाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी. अलग खालिस्तान की मांग को लेकर बब्बर खालसा इंटरनेशनल की स्थापना साल 1978 में हुई थी. 

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साल 1980 के दशक यह आतंकी संगठन पंजाब में काफी सक्रिय था. जिसके चलते कई लोगों की जान गई. लेकिन 1990 के दशक में इस संगठन से जुड़े कई आतंकी पुलिस के साथ मुठभेड़ों में मारे गए. तभी से इस संगठन का प्रभाव घटने लगा था. बब्बर खालसा इंटरनेशनल को कनाडा, जर्मनी, भारत और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों में एक आतंकवादी संगठन के जाना जाता है. 

90 के दशक में खालिस्तान आंदोलन में सरकार की घुसपैठ और दूसरे आतंकवादी संगठनों ने बब्बर खालसा को कमजोर कर दिया था. इसी दौरान सुखदेव सिंह बब्बर (9 अगस्त 1992) और तलविंदर सिंह परमार (15 अक्टूबर 1992) की मौत ने बब्बर खालसा को खात्मे की तरफ मोड़ दिया था. दरअसल, परमार की मौत विवादास्पद थी. क्योंकि उसकी मौत पुलिस हिरासत में गोली लगने से हुई थी. 

आपको याद दिला दें कि अक्टूबर 2007 में लुधियाना के शिंगार सिनेमा परिसर में बब्बर खालसा के आतंकियों की मौजूदगी के शक में पुलिस की गोलीबारी और बमबारी के चलते 7 लोग मारे गए थे और 32 घायल हुए थे.

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