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पुलिस ने ऐसे सुलझाया था हाईकोर्ट के एक वकील की हत्या का मामला

साढ़े तीन माह पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक कत्ल हुआ. मरने वाला कोई आम इंसान नहीं बल्कि हाई कोर्ट का जाना माना वकील था. हत्या की इस वारदात से लखनऊ के वकील गुस्से में थे. पुलिस के हाथ पांव भी फूले नजर आ रहे थे. शहर में प्रदर्शन होने लगे थे. पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. और जब तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद मामला खुला तो हत्या की वजह जानकर लोग हैरान रह गए.

इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी अभी तक फरार है इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी अभी तक फरार है
परवेज़ सागर
  • लखनऊ,
  • 05 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

पुलिस की फाइलों में दफ्न हो चुकी ये वारदात ज्यादा पुरानी नहीं है. साढ़े तीन माह पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी में एक कत्ल हुआ. मरने वाला कोई आम इंसान नहीं बल्कि हाई कोर्ट का जाना माना वकील था. हत्या की इस वारदात से लखनऊ के वकील गुस्से में थे. पुलिस के हाथ पांव भी फूले नजर आ रहे थे. शहर में प्रदर्शन होने लगे थे. पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. और जब तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद मामला खुला तो हत्या की वजह जानकर लोग हैरान रह गए.

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सरेआम हुआ था वकील का कत्ल
नवाबों के शहर लखनऊ में 13 अप्रैल 2016 का दिन भी आम दिनों की तरह ही चल रहा था. सूबे के सियासी मरकज में सबकुछ रोज की तरह ही चल रहा था. अचानक शहर का एक भीड़भाड़ वाला इलाका गोलियों की आवाज से गूंज उठा. गोली चलते ही किसी अनहोनी की बात सोचकर हर कोई सहम गया. पुलिस कंट्रोल को सूचना मिली कि विभूतिखंड थाना इलाके के कमता चौराहे के पास शहीद पथ पर कार सवार एक 36 वर्षीय शख्स को गोली मार कर उसकी हत्या कर दी गई है. बिना देर किए पुलिस मौके पर जा पहुंची. शिनाख्त करने पर पता चला कि मरने वाले शख्स का संजय शर्मा था. जो हाई कोर्ट के अधिवक्ता थे. संजय लखनऊ के निशातगंज में रहते थे. मूलरुप से वह जौनपुर जिले के गांव औंका के निवासी थे. पुलिस ने संजय का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

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वकीलों ने दी थी आंदोलन की चेतावनी
वकीस संजय शर्मा के कत्ल की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल चुकी थी. हाई कोर्ट और जिला न्यायलय से जुड़े सारे वकील पुलिस प्रशासन के खिलाफ लामबंद हो गए. हत्या को लेकर वकीलों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरु कर दिया था. यही नहीं वकीलों ने हत्या के जल्द खुलासे और आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर धरना प्रदर्शन किया. पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए. शहर का माहौल इस हत्या के बाद तनावपूर्ण होता जा रहा था. वकीलों ने बड़े आंदोलन की चेतावनी थी.

प्रोपर्टी का भी काम करते थे संजय
मृतक संजय शर्मा वकालत के साथ-साथ प्रोपर्टी का काम भी करते थे. लखनऊ में उन्होंने कई जगहों पर संपत्ति में पैसा लगा रखा था. पुलिस के मुताबिक संजय ने कई विवादित संपत्तियों में भी पैसा लगा रखा था, जहां उनका पैसा फंस गया था. इस काम को आगे बढ़ाने के लिए संजय शर्मा ने प्रवीन ग्रोवर और निधि शर्मा नामक एक महिला को अपना पार्टनर बनाया था. प्रवीन एक नामी व्यवसाई था तो निधि एक बड़े चाय विक्रेता की बेटी. निधि का अपनी बहन के साथ कुछ विवाद चल रहा था, इसी के चलते वह वकील संजय शर्मा के संपर्क में आई थी और फिर उसकी पार्टनर बन गई.

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जांच की जिम्मेदारी एसपी क्राइम को
पुलिस मामले की तेजी से छानबीन कर रही थी. मगर सुराग हाथ नहीं आ रहे थे. पुलिस के सामने बड़ी चुनौती थी मामले का जल्द और सही खुलासा. इसलिए आला अधिकारियों ने मामले की जांच का जिम्मा एक वरिष्ठ अधिकारी को सौंपने का फैसला किया और जांच लखनऊ के पुलिस अधीक्षक (अपराध) डॉ. संजय कुमार को सौंप दी गई. क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस उनके निर्देशन में हत्या की गुत्थी सुलझाने में जुट गई. डॉ. सजय कुमार को लखनऊ में इस पद पर आए बस कुछ ही माह हुए थे. उन्हें पता था कि मामला बहुत संजीदा है. वकील लगातार मामले पर नजर रख रहे थे. वे बड़े आंदोलन का ऐलान कर चुके थे. एसपी क्राइम खुद घटना के सारे पहलुओं की तफ्तीश कर रहे थे.

आरोपियों तक ऐसे पहुंची पुलिस
डॉ. संजय कुमार और उनकी टीम रात दिन काम करके पुख्ता सुराग जुटाने की कोशिश कर रहे थे. उनकी मेहनत रंग लाई. दरअसल, पुलिस ने वकील के नंबर को सीडीआर और के बाद कुछ नंबरों को सर्विलांस पर लिया था. उसी के चलते पुलिस के हाथ सीधे मुख्य आरोपी के दो साथियों के गिरेबान तक जा पहुंचे. पुलिस आगे बढ़ती जा रही थी और कत्ल की इस वारदात पर छाए कोहरे के बादल हटते जा रहे थे. पुलिस ने जाल फैलाया और दो आरोपी उस जाल में फंस गए. यह पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी थी.

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पुलिस ने पकड़े दो हत्यारोपी
16 अप्रैल 2016 की रात एसपी डॉ. संजय कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने इस हत्या में शामिल आरोपी राजू रावत निवासी जाहिरापुर गुडंवा गांव और जीतू गौतम निवासी महानगर, लखनऊ को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन हत्या का मुख्य आरोपी राजू पहाड़ी उर्फ राजू उपाध्याय पुलिस के हाथ नहीं आ सका. पुलिस ने राजू और जीतू गौतम से लंबी पूछताछ की. हत्या के इस मामले से अब पर्दा हट चुका था.

संपत्ति विवाद बना हत्या की वजह
राजू और जीतू ने हत्या का गुनाह कबूल करते हुए पुलिस को बताया कि इस हत्या की साजिश उनके साथी राजू पहाड़ी ने रची थी. दरअसल पिछले एक साल से राजू पहाड़ी का एक संपत्ति को लेकर वकील संजय शर्मा के साथ विवाद चल रहा था. मूल रूप से नेपाल का रहने वाला राजू पहाड़ी निशातगंज में वकील के घर के पास ही रहा करता था. वहां एक प्लॉट पर राजू टीनशेड डालकर रहता था. संजय शर्मा ने उसके आस-पास वाले सभी प्लॉट खरीद लिए थे. अब वह राजू का प्लॉट भी खरीदना चाहता था. मगर राजू इसके लिए उसके लिए तैयार नहीं था. वह कई साल से इस प्लॉट में किराए पर रह रहा था. इस बात को लेकर दोनों के बीच विवाद चल रहा था. परेशान होकर राजू पहाड़ी ने वकील संजय शर्मा को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली.

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राजू ने ऐसे रची थी हत्या की साजिश
पुलिस अधीक्षक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि संजय शर्मा एक साल पहले भी राजू पहाड़ी को उस प्लॉट से निकालने की नाकाम कोशिश कर चुका था. इसलिए संजय उसकी आंखों में खटक रहा था. राजू पहाड़ी ने उसे रास्ते से हटाने के लिए अपने साथी राजू रावत और जीतू गौतम को साथ मिलाया. योजना के मुताबिक तीनों ने सीतापुर से दस हजार रुपये में दो तमंचे और कारतूस खरीदे और वापस लखनऊ लौट आए. उसके बाद राजू पहाड़ी ने एक नया सिम और मोबाइल फोन खरीदा. फिर वारदात के दिन राजू और उसके साथियों ने एक जगह बैठकर शराब पी. उसके बाद नए मोबाइल नंबर से वकील संजय शर्मा को कॉल किया और प्लॉट के मामले में समझौता करने की बात कहकर उसे मिलने के लिए बुलाया.

राजू ने मुंह पर चलाई थी गोली
पुलिस के मुताबिक वकील संजय शर्मा अपनी कार से शहीद पथ पर उनसे मिलने पहुंच गया. जहां राजू पहाड़ी और राजू रावत उसके साथ कार में सवार हो गए. जबकि जीतू बाइक पर कार के पीछे चलता रहा. इसी दौरान संजय शर्मा को कुछ शक हुआ उसने कार रोककर अपने एक दोस्त सौरभ मिश्रा को कॉल किया. और जैसे ही वो दोबारा कार में सवार हुआ राजू पहाड़ी ने उस पर तमंचा तान दिया. इस दौरान संजय ने बचने की कोशिश की लेकिन राजू ने उसे गोली मार दी जो सीधे उसके मुंह में जा धंसी और कुछ ही पल में उसकी मौत हो गई.

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पुलिस टीम को मिला इनाम
इस सनसनीखेज हत्याकांड के खुलासे के बाद लखनऊ पुलिस ने राहत की सांस ली. और शहर में वकीलों का एक बड़ा आंदोलन होने से बच गया. पुलिस के आला अधिकारियों ने इस काम के लिए पुलिस अधीक्षक (अपराध) डॉ. संजय कुमार और उनकी टीम को बधाई दी. साथ ही डीआईजी और आईजी ने पुलिस टीम के लिए बीस हजार रुपये इनाम की घोषणा भी की. इस हत्याकांड के खुलासे में क्राइम ब्रांच का खास योगदान रहा.

कौन हैं SP डॉ. संजय कुमार
उत्तर प्रदेश पुलिस के पीपीएस अधिकारी डॉ. संजय कुमार वर्तमान में लखनऊ जनपद में पुलिस अधीक्षक (अपराध) के पद पर तैनात हैं. डॉ. संजय कुमार अपनी शांत और स्थिर कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं. वह मूल रुप से इलाहाबाद जनपद के अल्लापुर इलाके के निवासी हैं. डॉ. संजय कुमार 1996 बैच के पीपीएस अफसर हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा बनारस जनपद से हुई है. बाद में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में पी.एच.डी. की उपाधि भी हासिल की. डॉ. संजय कुमार के लखनऊ से पहले सूबे के सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मथुरा आदि जनपदों में तैनात रहे हैं. वर्ष 2012 में उन्हें सराहनीय पुलिसिंग के लिए राज्यपाल की तरफ से पुरुस्कृत किया जा चुका है.

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