
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दोषी निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर को कोई राहत नहीं दी. हाई कोर्ट ने उसे दी गई 10 साल कैद की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपील के लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित करने की सेंगर की याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि यह अदालत इस चरण में सजा को निलंबित करने की मांग करने वाली वर्तमान याचिका को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है. तदनुसार, वर्तमान आवेदन खारिज किया जाता है.
इस मामले में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर पहले ही लगभग 6 साल की सजा काट चुका है और उसके खिलाफ अभियोजन पक्ष का मामला पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है. इसी सजा के आधार पर वो अपनी सजा को निलंबित करने की मांग कर रहा था.
हालांकि, न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि एक बार जब आरोपी को दोषी करार दे दिया जाता है, तो उसकी निर्दोषता की धारणा समाप्त हो जाती है और सजा के निलंबन के लिए उसके आवेदन पर उसकी भूमिका, अपराध की गंभीरता आदि के प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण के आधार पर विचार किया जाना चाहिए और जेल में बिताई गई अवधि इन कई कारकों में से केवल एक है.
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सजा के निलंबन के मुद्दे पर निर्णय लेते समय अपराध की प्रकृति, दोषी के आपराधिक इतिहास, जनता के विश्वास पर प्रभाव और पीड़ितों को खतरे जैसे कारकों को भी ध्यान में रखना होगा.
अदालत ने कहा कि सेंगर को पहले ही मृतक व्यक्ति की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया जा चुका है और उस मामले में उसे शेष जीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. मुख्य उन्नाव बलात्कार मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील पहले से ही उच्च न्यायालय में लंबित है.
उसने ट्रायल कोर्ट के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उसे बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था. सेंगर ने 20 दिसंबर, 2019 को उसे शेष जीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के आदेश को भी रद्द करने की मांग की है.
आपको बता दें कि लड़की को सेंगर ने 2017 में अगवा कर लिया था और उसके साथ बलात्कार किया था, जब वह नाबालिग थी. 13 मार्च, 2020 को सेंगर को ट्रायल कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल के कठोर कारावास के अलावा 10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी.
ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि परिवार के एकमात्र कमाने वाले की हत्या के लिए कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती. इसने बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में हत्या में उनकी भूमिका के लिए सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी.
लड़की के पिता को सेंगर के इशारे पर आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था और 9 अप्रैल, 2018 को पुलिस की बर्बरता के कारण हिरासत में उनकी मौत हो गई थी.
ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को आईपीसी के तहत हत्या का दोषी नहीं ठहराया था, लेकिन आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या के अपराध के लिए अधिकतम सजा सुनाई, क्योंकि उसने माना कि हत्या करने का कोई इरादा नहीं था. 1 अगस्त, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले को उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था.