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फिरौती के लिए अपहरण, कार में कत्ल और सनसनीखेज खुलासा... ऐसे बरेली पुलिस के हत्थे चढ़े लेखपाल के कातिल

बरेली के SSP अनुराग आर्य ने बताया कि राजस्व अधिकारी की पहचान मनीष कश्यप (45) के रूप में हुई है. वो फरीदपुर तहसील में राजस्व अधिकारी के पद पर तैनात थे. 27 नवंबर को ड्यूटी जाने के लिए घर से निकले थे. उसके बाद से लापता हो गए थे.

बरेली पुलिस लेखपाल के मर्डर का खुलासा कर दिया है बरेली पुलिस लेखपाल के मर्डर का खुलासा कर दिया है
परवेज़ सागर
  • बरेली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:51 PM IST

Bareilly Revenue Officer Kidnapping Murder Case: 27 नवंबर 2024 का दिन था. यूपी के बरेली में तैनात राजस्व अधिकारी मनीष कश्यप रोज की तरह दफ्तर जाने के लिए सुबह घर से निकले थे. लेकिन उस दिन के बाद वो कभी लौटकर अपने घर नहीं पहुंचे. पहले घरवालों और सहकर्मियों ने उनकी तलाश की फिर मामला पुलिस के पास पहुंचा. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. उनका फोन भी लगातार बंद आ रहा था. मामला क्योंकि एक सरकारी कर्मचारी का था. लिहाजा, पुलिस लगातार मनीष को तलाश रही थी.

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कोई सुराग या खबर नहीं मिली तो मनीष के घरवालों को किसी अनहोनी की आशंका सताने लगी थी. पुलिस उनकी तलाश में लगी हुई थी. उनके मोबाइल की लास्ट लोकेशन और सीडीआर की जांच भी की जा रही थी. इसी दौरान पुलिस ने घरवालों के शक जताने पर कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की और पुलिस को इस मर्डर मिस्ट्री का सिर मिल गया.

बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अनुराग आर्य ने बताया कि राजस्व अधिकारी की पहचान मनीष कश्यप (45) के रूप में हुई है. वो फरीदपुर तहसील में राजस्व अधिकारी के पद पर तैनात थे. 27 नवंबर को ड्यूटी जाने के लिए घर से निकले थे. उसके बाद से लापता हो गए थे. इस मामले में पुलिस कुछ संदिग्धों से पूछताछ कर रही थी. इसी दौरान एक संदिग्ध पुलिस के सामने टूट गया और इस हत्याकांड का सच सामने आ गया.

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एसएसपी के मुताबिक, मनीष कश्यप के गायब होने के बाद उनकी मां मोरकली ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें उन्होंने खल्लपुर गांव के एक स्थानीय प्रतिनिधि और उसके साथियों पर अपने बेटे का अपहरण करने का आरोप लगाया था. बरेली जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रमित शर्मा के आदेश पर फरीदपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. इसकी जांच के लिए एक टीम गठित की गई थी. 

एडीजी ने सहायक पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम को मनीष कश्यप का पता लगाने का निर्देश दिया था. पुलिस जांच में पता चला है कि राजस्व अधिकारी की हत्या फरीदपुर के कपूरपुर गांव में जमीन की पैमाइश के विवाद से जुड़ी है. वो जमीन की पैमाइश कर रहे थे, तभी आरोपियों को उन पर विरोधी पक्ष का पक्ष लेने का शक हुआ. इसके बाद उनकी हत्या की साजिश रची गई.

पुलिस जांच में पता चला है कि 27 नवंबर को आरोपियों ने मनीष कश्यप को तहसील कार्यालय में बुलाया. वहां मारुति अर्टिगा कार के अंदर उनका गला घोंट दिया. इसके बाद उनकी लाश को बभिया गांव में नाले के पास फेंक दिया था. इस संबंध में पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपी ओमवीर उर्फ अवधेश के साथ इस हत्याकांड में शामिल नन्हें और सूरज को गिरफ्तार कर लिया.

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तीनों आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने 15 दिसंबर यानी रविवार को बरेली जिले के कैंटोनमेंट इलाके में मौजूद बभिया गांव में एक नाले के पास से कंकाल बन चुकी एक सड़ी गली लाश बरामद की. जो मनीश कश्यप की लाश थी. उसके कपड़ों और दूसरे सामान से उसकी शिनाख्त की गई. पुलिस मारुति अर्टिगा कार भी बरामद कर ली.

हत्या का मोटिव
अभियुक्त ओमवीर उर्फ अवधेश और नन्हें ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि मनीष कश्यप उन्हीं की जाति के थे. वो उनके परिचित भी थे. ये दोनों ही मनीष के छोटे मोटे काम कर दिया करते थे. इसके बदले में मनीष से दोनों को कमीशन मिलता था. लेकिन ओमवीर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. नन्हें उसके मामा का साढू है. वो उसके साथ ही काम करता है. उन दोनों ने मिलकर मनीष को अगवा करने की योजना बनाई और उसे पूरा किया. इस काम में सूरज ने इनका साथ दिया था. ये सब इन तीनों ने मनीष के परिवार से फिरौती मांगने के लिए किया था. लेकिन ये ऐसा नहीं कर सके और इन्होंने उसकी हत्या कर दी.

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