
यूपी की राजधानी लखनऊ में एक व्यक्ति के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने के पुराने मामले में अब एक्शन हुआ है. इस मामले की जांच के बाद क्राइम ब्रांच क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीबी-सीआईडी) ने दो दारोगा समेत चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. सीबीसीआईडी ने ये मुकदमा लखनऊ के अलीगंज थाने में दर्ज कराया है.
जानकारी के मुताबिक साल 2012 में पीड़ित मनीष मिश्रा ने रिटायर आईपीएस अधिकारी के बेटे संतोष कुमार का भवन किराये पर लेकर रेस्टोरेंट खोला था. मनीष ने रेस्टोरेंट के चल निकलने पर ये बिल्डिंग खरीदने की बात की और सौदा 40 लाख रुपये में तय भी हो गया. कथित रूप से मनीष ने संतोष के खाते में 20 लाख रुपये जमा भी करा दिए. जब रजिस्ट्री की बात आई तब संतोष टालमटोल करने लगा. मनीष के मुताबिक संतोष ने न तो रजिस्ट्री की और ना ही रुपये ही दिए. इस मामले में उसने तब अलीगंज थाने की गल्ला मंडी पुलिस चौकी पर तहरीर भी दी थी.
आरोप के मुताबिक मनीष की तहरीर पर संतोष के खिलाफ एफआईआर हुई नहीं, उल्टे उसे पूरे दिन पुलिस ने बैठाए रखा. बाद में चौकी इंचार्ज नेपाल सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों ने उसके यहां काम करने वाले इरफान को भी बुला लिया और कई घंटे बैठाए रखने के बाद दोनों को एटीएम चोरी के प्रयास का फर्जी मुकदमा दर्ज कर दोनों की गिरफ्तारी दिखा दी.
मनीष को पुलिस ने साल 2018 में चार अन्य मामलों में संलिप्त बता अपराधी बना दिया गया था. उसे गिरोह का सरगना बनाकर जेल भेज दिया गया. पुलिस ने चार्जशीट भी कोर्ट में दायर कर दिया. पीड़ित ने विशेष सचिव गृह अमिताभ त्रिपाठी से मामले की निष्पक्ष जांच की गुहार लगाई थी. मामले की जांच करते हुए सीबीसीआईडी ने मनीष पर लगाए गए आरोप झूठे पाए. सीबीसीआईडी की जांच में एटीएम से चोरी, गाड़ी चोरी का मुकदमा भी झूठा पाया गया.
मनीष पर लगाए गए आरोप गलत पाए जाने के बाद सीबीसीआईडी ने गल्ला मंडी पुलिस चौकी के तत्कालीन प्रभारी नेपाल सिंह, सब इंस्पेक्टर वीरभान सिंह, सिपाही पंकज राय और मिथिलेश गिरी के खिलाफ अलीगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है. जांच में यह भी सामने आया है कि उन लोगों ने बेगुनाह मनीष और इरफान को साजिश के तहत पुलिस चौकी पर बुलाया और उनके पास से तमंचा कारतूस बरामद दिखाकर 5 मुकदमों में गिरफ्तारी दिखा दी.
चौकी प्रभारी ने रिटायर्ड आईपीएस और उनके बेटे के कहने पर ऐसा किया था. इस संबंध में मनीष ने कहा कि उसके जेल में रहते समय उसकी पत्नी उसे निर्दोष साबित करने के लिए लगातार कोशिश करती रही. मनीष के मुताबिक उसकी पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. मनीष ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी की सड़क हादसे में मौत नहीं हुई थी, उसकी हत्या कराई गई थी.