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गाजियाबादः ऐसे खुला जली हुई लाश का राज, हकीकत जानकर पुलिस भी हैरान

गाज़ियाबाद के लोनी बॉर्डर के पास 20 नंवबर की सुबह 7.35 बजे एक शख्स की लाश मिली. ये लाश बुरी तरह से जली हुई थी. खास कर लाश का चेहरा इतनी बुरी तरह तरह जला हुआ था कि उसे देख कर मरने वाले की पहचान कर पाना भी मुमकिन नहीं था.

पुलिस ने आरोपी सुदेश और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है पुलिस ने आरोपी सुदेश और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है
शम्स ताहिर खान
  • गाजियाबाद,
  • 14 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

उसने खुदकुशी नहीं की थी, बल्कि खुद का कत्ल का किया था. कत्ल का ये ऐसा मामला है, जिसे जानकर पुलिसवाले भी चकरा कर रह गए थे. कत्ल का तरीका और कत्ल की वजह जब आप जानेंगे तो आप भी हैरत में पड़ जाएंगे. मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का है.

गाज़ियाबाद के लोनी बॉर्डर के पास 20 नंवबर की सुबह 7.35 बजे एक शख्स की लाश मिली. ये लाश बुरी तरह से जली हुई थी. खास कर लाश का चेहरा इतनी बुरी तरह तरह जला हुआ था कि उसे देख कर मरनेवाले की पहचान कर पाना भी मुमकिन नहीं था. खबर मिलने पर इलाक़े की पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंची. लेकिन लाश को बरामद करने से पहले उसने मरनेवाले की पहचान पता करने के इरादे से उसकी तलाशी लेने का फैसला किया. 

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इसी कोशिश में जब पुलिस ने लाश की जेबें टटोली और उसे अपनी कोशिश रंग लाती हुई नज़र आई. असल में लाश की जेब में एक आधार कार्ड पड़ा था. ये आधार कार्ड दिल्ली के करावल नगर निवासी सुदेश कुमार था. तो क्या ये लाश सुदेश कुमार की थी? अगर हां, तो उसकी हत्या किसने की? लाश यहां कौन डाल गया? ऐसा करने से पीछे क़ातिल का मकसद क्या था? सुदेश की किसी से क्या दुश्मनी थी? 

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पुलिस को इन तमाम सवालों का जवाब ढूंढना था. पुलिस को लाश की जेब से सुदेश कुमार का आधार कार्ड तो मिल गया था, लेकिन जो एक बात पुलिस को हैरान कर रही थी, वो ये कि लाश बेशक बुरी तरह जली हुई थी, लेकिन जेब में पड़ा आधार कार्ड बिल्कुल इंटैक्ट था. जिसे देखने से लगता था कि शायद ये कार्ड किसी ने आग बुझने के बाद लाश की जेब में डाल दिया हो. यकीनन मामला पेचीदा था.

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अब पुलिस दिल्ली के करावल नगर पहुंची, वहां पुलिस को सुदेश की पत्नी अनुपमा मिली. पुलिस ने जब अनुपमा से उसके पति के बारे में पूछताछ की, तो उसने बताया कि उसके पति किसी काम से बाहर गए हैं और अब तक लौट कर नहीं आए. इस पर पुलिस ने अनुपमा को एक लाश मिलने की बात कही और कहा कि चूंकि उसकी लाश की जेब से उसके पति सुदेश का आधार कार्ड मिला है, वो चाहती है कि अनुपमा एक बार लाश की पहचान कर ले. अनुपमा इसके लिए तैयार हो गई.

जैसे ही अनुपमा ने वो लाश देखी, वो ज़ोर जोर से रोने लगी. उसने कहा कि ये लाश उसके पति सुदेश की ही है. इस तरह अनुपमा ने अपनी पति की लाश की पहचान तो कर ली, लेकिन अपने पति की दुश्मनी, उसका क़त्ल किसने किया होगा, जैसे सवालों का वो कोई जवाब नहीं दे सकी. ऊपर से उसने लाश की पहचान करने के फ़ौरन बाद में पुलिस से अपने पति के डेथ सर्टिफिकेट की मांग शुरू कर दी. पुलिस को बगैर जले आधार कार्ड की तरह अनुपमा का ये रवैया भी हैरान कर रहा था. 

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ऐसे में पुलिस ने तफ्तीश आगे बढ़ाने के लिए टेक्नीकल सर्विलांस के साथ-साथ मुखबिरों की मदद लेने का भी फैसला किया. पुलिस ने जब आस-पास की सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो कैमरे में उसे 19 नवंबर की रात को एक संदिग्ध शख्स नज़र आया. ये शख्स एक साइकिल पर एक बड़ी सी बोरी लेकर जा रहा था. पुलिस ने सीसीटीवी में दिख रहे इस शख्स की पहचान पता करने की कोशिश की और मुखबिरों को भी ये तस्वीर दिखाई. और तब मुखबिरों ने पुलिस को एक ऐसी जानकारी दी कुछ देर के लिए पुलिस भी सकते में पड़ गई. 

मुखबिरों ने बताया कि सुदेश कुमार मरा नहीं है, बल्कि अब भी ज़िंदा है. और जल्द ही अपनी बीवी से मिलने करावल नगर के अपने घर में आने वाला है. दरअसल, सीसीटीवी में नज़र आ रही तस्वीर भी सुदेश की ही थी. अब पुलिस ने जाल बिछाया और जैसे ही सुदेश अपने घर लौटा, उसे धर दबोचा. यानी ये साफ़ हो चुका था कि सुदेश कुमार ज़िंदा है. 

लेकिन फिर सवाल ये था कि अगर सुदेश ज़िंदा है तो वो लाश किसकी थी, जो 20 नवंबर को लोनी बॉर्डर पर मिली और जिसे अनुपमा ने अपने पति सुदेश की लाश के तौर पर पहचाना था. तो इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए पुलिस ने दोनों पति-पत्नी को हिरासत में ले लिया और जब उनसे पूछताछ की, तो एक चौंकानेवाली कहानी सामने आ गई. 

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दोनों ने बताया कि वो लाश एक मजदूर सुरेश रविदास की थी, जिसकी हत्या सुदेश ने ही की थी. असल में सुदेश उसे अपनी पहचान देना चाहता था, ताकि खुद को वो दुनिया की निगाहों में मुर्दा करार दे सके. लेकिन सवाल ये था कि आख़िर सुदेश ऐसा क्यों चाहता था? क्यों वो दुनिया की निगाहों में खुद को मरा हुआ दिखाना चाहता था? इस सवाल का जवाब भी कम अजीब नहीं है..

सुदेश ने 19 नवंबर की रात को मजदूर सुरेश रविदास को घर बुला कर उसका क़त्ल कर दिया था. पहले सुदेश ने उसने जम कर शराब पिलाई, उसे अपना ट्रैक सूट पहनने को दिया और फिर मौका मिलते ही सुदेश ने गला घोंट कर उसकी जान ले ली. इसके बाद उसने खुद लाश एक बोरी में पैक की और फिर उसे साइकिल में लाद कर लोनी के एक सुनसान इलाक़े में फेंक कर चला गया. जाते-जाते उसने ना सिर्फ़ लाश का चेहरा बुरी तरह से जला दिया, बल्कि उसने अपनी पहचान देने के लिए उसकी जेब में अपना आधार कार्ड भी डाल दिया.

छानबीन से पता चला कि सुदेश ने इससे पहले भी एक हत्या की थी. उसने मार्च 2018 को अपनी 13 साल की बेटी को मार डाला था. उसे लगता था कि उसकी बेटी बुरी संगत में है और उसकी बात नहीं मानती है, जिसकी वजह से उसने बेटी की जान ले ली थी. बाद वो इस इल्ज़ाम में गिरफ्तार हुआ और उसे जेल भी भेजा गया. लेकिन पेरोल पर बाहर आने के बाद उसे दोबारा जेल जाने से डर लगने लगा.

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उसने जेल से बचने के लिए ये नई साज़िश रची. अपने ही कद काठी के एक मजदूर को काम के बहाने घर बुलाया. उससे दोस्ती की और फिर शराब पिला कर उसकी हत्या कर दी. सुदेश और अनुपमा इस साज़िश के पूरा होने पर दिल्ली छोड़कर भाग जाना चाहते थे, लेकिन आख़िरकार उसके बिना जले आधार कार्ड, सीसीटीवी कैमरे की तस्वीरों और दूसरे सबूतों ने उसकी खौफनाक साजिश का खुलासा कर दिया.

 

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