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गैंगस्टर विकास दुबे समेत 200 लोगों के शस्त्र लाइसेंस की फाइलें गायब, क्लर्क के खिलाफ FIR

बिकरू कांड के बाद प्रशासन ने गांव के एक-एक शस्त्र लाइसेंस धारक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस निरस्त किए थे. जांच में पता चला कि विकास दुबे ने वर्ष 1997 में अपना पहला शस्त्र लाइसेंस बनवाया था.

बिकरू कांड का मुख्य नायक विकास दुबे एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में मारा गया था बिकरू कांड का मुख्य नायक विकास दुबे एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में मारा गया था
रंजय सिंह
  • कानपुर,
  • 14 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST
  • बिकरू कांड का मास्टरमाइंड था विकास दुबे
  • बिकरू कांड के बाद चल रही थी शस्त्रों की जांच
  • असलाह विभाग से गायब हो गईं हैं फाइलें

कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे समेत उसके गुर्गों के शस्त्र लाइसेंस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. कानपुर के असलहा विभाग से विकास दुबे समेत 200 लोगों की शस्त्र लाइसेंस की फाइलें गायब हैं. इस बात का खुलासा होते ही वहां हड़कंप मचा हुआ है.

बताया जा रहा है कि यह सभी शस्त्र लाइसेंस की फाइलें असलहा विभाग से गायब हुई हैं. जिसके बाद जांच में दोषी पाए गए तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक विजय रावत के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. 

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बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे और उसके गुर्गों ने शस्त्र लाइसेंस बनवाए थे. इस चर्चित कांड के बाद प्रशासन ने गांव के एक-एक शस्त्र लाइसेंस धारक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस निरस्त किए थे. जांच में पता चला कि विकास दुबे ने वर्ष 1997 में अपना पहला शस्त्र लाइसेंस बनवाया था. जब जांच अधिकारियों ने इसकी जानकारी असलहा विभाग से करनी चाही तो मालूम चला कि उसकी फाइल ही गायब है. 

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इसके बाद विकास दुबे गैंग से जुड़े अन्य लोगों की जानकारी की गई तो पता चला कि शस्त्र लाइसेंस की 200 फाइलें गायब हो चुकी हैं. जांच में तत्कालीन शस्त्र लिपिक विजय रावत संदिग्ध पाए गए. वर्तमान क्लर्क वैभव अवस्थी की तहरीर पर कोतवाली थाने में रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई. खास बात यह है कि ऐसे 200 शस्त्र लाइसेंस की फाइलें गायब होना, वो भी विकास दुबे जैसे कुख्यात अपराधी की फाइलें गायब होना अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है.

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सवाल ये है कि असलहा विभाग में इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हुई. इतने बड़े खेल में अकेला लिपिक शामिल नहीं हो सकता. कहीं ना कहीं इसमें बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं. फिलहाल, अपर जिलाधिकारी अतुल कुमार ने इस पूरे मामले की छानबीन शुरू कर दी है. उनका कहना है कि सत्यापन के दौरान शस्त्र कार्यालय से कुछ प्रतियां गायब पाई गई हैं. इसी आधार पर तत्कालीन सहायक क्लर्क के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.

 

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