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दबंगों की दुनियाः नाली के विवाद ने बनाया था अपराधी, जेल में रहकर भी कुख्यात है यूपी का ये गैंगस्टर

पिछले कई साल से जेल में बंद योगेश भदौड़ा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कुख्यात अपराधी है. उसका नाम उत्तर प्रदेश सरकार की उस लिस्ट में शामिल है, जिसमें सूबे के 61 माफियाओं को नामजद किया गया है. आखिर कौन है योगेश भदौड़ा?

गैंगस्टर योगेश भदौड़ा साल 2013 से ही जेल में बंद है गैंगस्टर योगेश भदौड़ा साल 2013 से ही जेल में बंद है
परवेज़ सागर
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:10 PM IST

ज्यादा दिन नहीं बीते, पिछले महीने की ही बात है, जब मेरठ के कुख्यात गैंगस्टर योगेश भदौड़ा के वीडियो वायरल हो गए थे. जिनमें वो पुलिस अभिरक्षा के बीच पेशी पर आते-जाते अलग-अलग ढ़ाबों और होटलों में अपने गुर्गों से मुलाकात करता नजर आ रहा था. पिछले कई साल से जेल में बंद योगेश भदौड़ा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कुख्यात अपराधी है. उसका नाम उत्तर प्रदेश सरकार की उस लिस्ट में शामिल है, जिसमें सूबे के 61 माफियाओं को नामजद किया गया है. आखिर कौन है योगेश भदौड़ा? जिसका आतंक जेल में रहकर भी कम होता नजर नहीं आता. 'दबंगों की दुनिया' में इस बार कहानी इसी शातिर अपराधी की.   

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कौन है योगेश भदौड़ा?
जेल में बंद शातिर अपराधी योगेश मेरठ के भदौड़ा गांव का रहने वाला है. उसके पिता का नाम भोपाल सिंह है. वह 15 साल तक अपने गांव भदौड़ा का प्रधान रह चुका है. योगेश अपने सरनेम की जगह अपने गांव भदौड़ा का नाम लिखता है. अब यही उसकी पहचान है. पुलिस ने साल 2013 में योगेश को गिरफ्तार किया था. तभी से वो जेल में बंद है. उसके खिलाफ लूट, हत्या, अपहरण, आर्म्स एक्ट और गैंगस्टर जैसे 40 संगीन मामले दर्ज हैं. योगेश इस वक्त सिद्धार्थनगर जेल में बंद है. वो यूपी के टॉप 25 अपराधियों की लिस्ट में भी शामिल था.

अपराध की दुनिया में एंट्री
बात साल 1995 की है. गांव के एक मामूली से विवाद ने योगेश की जिंदगी बदल डाली. दरअसल, उस वक्त गांव में योगेश के परिवार का अपने खानदान के ही दूसरे पक्ष के साथ नाली को लेकर विवाद चल रहा था. ये विवाद आगे चलकर झगड़े में तब्दील हो गया. मामला इतना बढ़ा की इस विवाद ने खूनी शक्ल अख्तियार कर ली और दूसरे पक्ष के लोगों ने ही योगेश की मां को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद उसके एक भाई का भी मर्डर हो गया. योगेश की जिंदगी में ये वारदात एक नया मोड लेकर आई. मां और भाई की हत्या के बाद योगेश बदले की आग में जल रहा था. लेकिन उसके सामने तब अपने परिवार और खुद को बचाने की चुनौती भी थी. लिहाजा, योगेश ने सबसे पहले महेश प्रधान की गोली मारकर हत्या कर दी. महेश उसकी मां और भाई के कातिल वीरेंद्र का साथी था.

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एक के बाद एक कई कत्ल
अब एक बात तो साफ हो चुकी थी कि योगेश भदौड़ा और वीरेंद्र के बीच खूनी जंग का आगाज़ हो चुका था. अभी पहले हुए खून की आग ठंड़ी भी नहीं पड़ी थी कि योगेश के विरोधी वीरेंद्र के भाई नरेश को मौत के घाट उतार दिया गया. उसका मर्डर गोली मारकर किया गया था. महेश प्रधान और नरेश के कत्ल ने आग में घी डालने का काम किया. इसके बाद साल 2013 में गांव में कपिल और मोनू नाम के दो लोगों की हत्या कर दी गई. भदौड़ा गांव की पहचान अब खूनी होती जा रही थी. गांव में एक बाद एक 7 से ज्यादा मर्डर हो चुके थे. पूरा गांव दहशत में था. पुलिस भी परेशान थी.

पुलिस टीम पर किया था हमला
लिहाजा, पुलिस ने तब इस मामले में कड़ी कार्रवाई की. उसी साल योगेश और उसके भाई विश्वास को पुलिस ने इसी मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. उस वक्त पुलिस ने उसके गैंग को डी-15 नाम दिया था. जिसका सरगना योगेश खुद ही था. इससे पहले योगेश पर गाजियाबाद कोर्ट में उधम सिंह नाम के शख्स पर गोलीबारी कराने का इल्जाम भी था. साल 2013 में ही उसने अपने गुर्गों के साथ पुलिस टीम पर हमला किया था. यह मामला भी कोर्ट में चला और योगेश का सजा मिली. इस मामले में योगेश के खिलाफ 21 मार्च 2013 को मेरठ के परतापुर थाने में मुकदमा लिखा गया था. जिसके मुताबिक, इंस्पेक्टर राजेश वर्मा अपनी टीम के साथ शताब्दी नगर इलाके में पेट्रोलिंग कर रहे थे, तभी योगेश और उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था.

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पुलिस के लिए परेशानी का सबब
योगेश भदौड़ा का खौफ इलाके में इस कदर था कि पुलिस को उसके खिलाफ गवाह नहीं मिलते थे और अगर मिल भी जाते थे तो वे अदालत में मुकर जाते थे. उसके खिलाफ किसी भी मामले को अदालत में साबित करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन जाता था. गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने योगेश पर इनाम भी घोषित कर रखा था.

योगेश भदौड़ा के जानी दुश्मन 
जरायम की दुनिया में धाक जमाने के चक्कर में योगेश भदौड़ा ने दुश्मन भी बना लिए थे. जिनमें उसके दो दुश्मनों का जिक्र करना ज़रूरी है. एक था उधम सिंह, जिस पर गाजियाबाद की अदालत परिसर में फायरिंग की गई थी. दूसरा था कुख्यात हिस्ट्रीशीटर सुशील फौजी. जिसने पिछले साल यानी 2022 में ही सरेंडर किया था. उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम घोषित था. 

नहीं कर सका था बेटी का कन्यादान
योगेश की करतूतों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसे गिनने में बहुत वक्त लग सकता है. यही वजह है कि पिछले साल ही योगेश की बेटी का विवाह समारोह था. वो अपनी बेटी की शादी में शरीक होना चाहता था. उसका कन्यादान करना चाहता था. लेकिन अदालत ने उसे पैरोल देने से साफ इनकार कर दिया था. आपको बता दें कि अदालत ने योगेश को पुलिस टीम पर हमला करने के मामले में 5 साल की सजा सुनाई है. इसी मामले में वो जेल की सजा काट रहा है.

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