
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के लोनी इलाके में बुजुर्ग शख्स की पिटाई मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में दो लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है. प्रवेश गुर्जर और कल्लू गुर्जर के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस चलेगा. वहीं 8 अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की कई संगीन धाराओं के तहत केस चलेगा.
आरोपियों पर आईपीसी की धारा 323, 504, 506 और 295 (ए) के तहत केस चलेगा. धारा 295 (ए) के तहत तब किसी पर केस चलता है, जब उस पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप हो. वहीं आईपीसी की धारा 147(दंगा), 148 (खतरनाक हथियारों के साथ दंगा करना) और 149 के तहत भी आरोपियों पर केस चलेगा. चार्जशीट हाल में ही तैयार की गई है.
चार्जशीट में उम्मेद पहलवान का नाम नहीं है, क्योंकि उसका नाम पहले ही एक एफआईआर में सामने आया है. उम्मेद पहलवान के खिलाफ अलग से एक चार्जशीट दाखिल की जाएगी. उसके खिलाफ इस मामले में नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई होगी. यूपी पुलिस ने पत्रकारों और ट्विटर के भी खिलाफ केस दर्ज किया है, जिसकी जांच चल रही है.
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पत्रकारों के भी खिलाफ केस!
सूत्रों के मुताबिक करीब 24 लोगों को पूरे केस में गवाह बनाया गया है. बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें बुजुर्ग को बुरी तरह से मारा-पीटा गया था. यूपी पुलिस ने गलत सूचना फैलने के आरोप में पत्रकार और ट्विटर के खिलाफ भी केस दर्ज किया है.
क्या है पूरा मामला?
कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें एक बुजुर्ग को गाजियाबाद के लोनी में मारा-पीटा जा रहा था. गाजियाबाद पुलिस ने कहा था पूरे प्रकरण में किसी भी तरह का सांप्रदायिक एंगल नहीं है. जिस शख्स की पिटाई हो रही है, वह हमलावरों को व्यक्तिगत तौर पर जानता है.
पुलिस ने सांप्रदायिक एंगल की बात की थी खारिज
72 वर्षीय अब्दुल समद के साथ 6 लोगों ने मारपीट की थी, जिसमें कुछ लोग बुजुर्ग शख्स की दाढ़ी भी काटते नजर आए थे. पूरे मामले का वीडियो वायरल हो गया था. स्थानीय समाजवादी पार्टी के नेता उम्मेद पहलवान इदरीसी के साथ, अब्दुल समद ने इस संबंध में 7 जून को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
एक शख्स ने फेसबुक लाइव कर आरोप लगाया था कि हमलावरों ने बुजुर्ग शख्स का अपहरण किया और उनकी पिटाई की और उसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए भी मजबूर किया. अब दोनों पर धार्मिक उन्माद फैलाने का आरोप है.
तब गाजियाबाद ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक इराज राजा ने कहा था पूरे प्रकरण में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. पीड़ित और आरोपी एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं. पीड़ित ने मुख्य आरोपी परवेश को एक ताबीज बेची थी, जिसका कथित तौर पर आरोपी के परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था.