
यूपी के चर्चित राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल को जिस तरह से दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया गया, वो मंजर किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं था. ठीक इसी तरह से उमेश पाल की कहानी भी काफी उलझी हुई थी. राजू पाल का कत्ल हो जाने के बाद उमेश पाल ने दो बार पाला बदला और इस मामले में कई उतार चढ़ाव भी आए. अब उमेश पाल के मर्डर का इल्जाम गुजरात की जेल में बंद पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद पर है. ऐसे में पूरी कहानी तीन परिवारों के बीच घूमती नजर आती है. आखिर क्या है ये पूरी कहानी? आइए आपको बताते हैं...
साल 2004
दरअसल, उमेश पाल की हत्या और उससे पहले की पूरी कहानी को समझने के लिए हमें करीब 19 साल पीछे जाना होगा. देश में आम चुनाव हो चुका था. यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से बाहुबली नेता अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी. इससे पहले अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक थे. लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई थी. कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ. इस सीट पर हुए सपा ने सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने अशरफ के सामने राजू पाल को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया. जब उपचुनाव हुआ तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया.
25 जनवरी 2005
उपचुनाव में अशरफ की हार से अतीक अहमद के खेमे में खलबली थी. लेकिन धीरे-धीरे मामला शांत हो चुका था. विधायक बन जाने के महज कुछ दिनों बाद ही राजू पाल ने पूजा के साथ शादी कर ली थी. मगर राजू पाल के विधायक बनने और शादी की खुशी ज्यादा दिन कायम ना रह सकी. पूजा के हाथों की मेहंदी अभी पूरी तरह से उतरी भी नहीं थी कि पहली बार विधायक बने राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव नाम के दो लोगों की भी मौत हुई थी. जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था.
पूजा पाल ने दर्ज कराया था मुकदमा
इस हत्याकांड में सीधे तौर पर तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था. दिन दहाड़े विधायक राजू पाल की हत्या से पूरा इलाका सन्न था. बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उसी दौरान दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने थाना धूमनगंज में हत्या का मामला दर्ज कराया था. उस एफआईआर में सासंद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम को नामजद किया गया था. मामला दर्ज हो जाने के बाद पुलिस ने मामले की छानबीन शुरु कर दी थी.
6 अप्रैल 2005
विधायक राजू पाल हत्याकांड की जांच पड़ताल और छानबीन में जुटी पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था. पुलिस ने इस हत्याकांड की विवेचना करने के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.
मुख्य गवाह था उमेश पाल
इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल का चचेरा भाई उमेश पाल एक अहम चश्मदीद था. जब केस की छानबीन आगे बढ़ी तो उमेश पाल को धमकियां मिलने लगी थीं. अतीक के गुर्गे भी उसे डरा धमका रहे थे. उस वक्त उसने पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी.
अतीक ने कराया था उमेश पाल का अपहरण
उमेश पाल पर लगातार अतीक के गुर्गे अपने बयान बदलने का दबाव बना रहे थे. उसे गवाही से पीछे हटने के लिए कह रहे थे. लेकिन जब वो नहीं माना तो बाहुबली अतीक ने साल 2006 में उमेश पाल को अगवा करा लिया था और उसे बंधक बनाकर रखा था.
अतीक के पक्ष में दी थी गवाही
इसी के बाद उमेश पाल ने अदालत में जाकर राजू पाल हत्याकांड में अतीक अहमद के पक्ष में गवाही दी थी. इस बात से उसकी रिश्ते की बहन पूजा पाल काफी नाराज हुई थी. हालांकि अतीक चंगुल से मुक्त हो जाने के कुछ दिनों बाद इस मामले में उमेश पाल ने अतीक अहमद के खिलाफ थाने जाकर मुकदमा दर्ज करवाया था. उसने अतीक अहमद पर उसे अगवा कर जबरन अपने पक्ष में गवाही करवाने का आरोप लगाया था.
12 दिसंबर 2008
इसके बाद इस मामले में जांच और सुनवाई चलती रही. लेकिन राजू पाल का परिवार इस मामले की छानबीन से संतुष्ट नहीं था, लिहाजा इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबी-सीआईडी को सौंपी दी थी.
10 जनवरी 2009
सीबी-सीआईडी ने पांच आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था. उसमें मुस्तकिल मुस्लिम उर्फ गुड्डू, गुल हसन, दिनेश पासी और नफीस कालिया को आरोपी बनाया गया था.
22 जनवरी 2016
सीबी-सीआईडी की जांच से भी दिवंगत विधायक राजू पाल का परिवार नाखुश था. निराश होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सीबीआई जांच की मांग की. मामले को सुनने के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फरमान सुनाया था.
उमेश पाल ने घर जाकर मांगी थी माफी
जब राजू पाल हत्याकांड की सीबीआई जांच की बात सामने आई थी तो उमेश पाल को इस मामले में फंसने का डर सताने लगा था. इसलिए एक दिन वो पाल समाज के कई नेताओं और प्रभावशाली लोगों को लेकर राजू पाल के घर पहुंच गया था. और वहां उसने पूजा पाल के सामने हाथ जोड़कर कहा था कि अब सहयोग कीजिए और हम लोग गवाही देंगे. इस पर पूजा पाल ने कहा था कि आए हो तो निराश नहीं करेंगे. ईमानदारी से लड़ना चाहते हो तो साथ देंगे. इसके बाद पूजा पाल खुद कई बार उमेश को लेकर कोर्ट जाती थीं.
20 अगस्त 2019
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड में नए सिरे से मामला दर्ज किया और छाबनीन शुरू कर दी. करीब तीन साल विवेचना करने के बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.
1 अक्टूबर 2022
दिवंगत विधायक राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट की स्पेशल जज कविता मिश्रा ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. इस हत्याकांड में पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई पूर्व विधायक अशरफ सहित अन्य लोग शामिल थे. सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या की साजिश और हत्या के प्रयास में आरोप तय किए गए थे. हालांकि, कोर्ट के सामने आरोपियों ने आरोपों से इनकार करते हुए ट्रायल की मांग की थी. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में आरोपी अशरफ और फरहान को जेल से लाकर पेश किया गया था. जबकि जमानत पर चल रहे रंजीत पाल, आबिद, इसरार अहमद और जुनैद खुद आकर कोर्ट में पेश हुए थे.
24 फरवरी 2023
दरअसल, राजूपाल हत्याकांड में उमेश की गवाही पर ही बाहुबली अतीक अहमद समेत सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. उमेश पाल को पहले भी धमकियां मिलती रहती थीं. यही वजह है कि उसे यूपी पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर दो सुरक्षाकर्मी यानी गनर उपलब्ध कराए थे. मगर बीते शुक्रवार को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में उमेश पाल पर पूरी तैयारी के साथ जानलेवा हमला किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. पुलिस और STF अब पूरे मामले की छानबीन कर रही है.
MLA पूजा पाल ने लगाई सुरक्षा की गुहार
राजू पाल हत्याकांड की पैरोकार और समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए सीएम योगी से मुलाकात की. इससे पहले पूजा पाल ने कहा "अगर मेरी हत्या होती है तो राजू पाल मर्डर केस का मुकदमा बंद हो जाएगा. मुझे और मेरे गवाहों को सुरक्षा की जरूरत है. मुझे भी डर है. मैं मांग करती हूं कि जिस तरह से अतीक अहमद से मैं लड़ी हूं, अब मुझे भी सुरक्षा दी जाए." उन्होंने कहा, "बीजेपी नेता सिद्धार्थ नाथ सिंह को यही नहीं मालूम है कि राजू पाल हत्याकांड में मैं वादी थी. सिद्धार्थ जी को हत्याकांड की याचिका पढ़नी चाहिए."
इससे पहले पूजा पाल ने उमेश के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की थी. तब सपा विधायक पूजा पाल ने कहा था, "इस घटना के बाद अब मुझे भी डर है. हमारा मुकदमा भी ट्रायल पर है. अगर ऐसी घटना होगी तो कौन गवाही देगा, मेरे गवाह तो बहुत गरीब और आम लोग हैं."