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Mangesh Yadav Encounter Controversy: चप्पल, बुलेटप्रूफ़ जैकेट और चोरी की बाइक... मंगेश एनकाउंटर में पुलिस के जितने दावे उतने सवाल

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से सामने आई सीसीटीवी की कुछ तस्वीरों ने पूरे सूबे में सनसनी मचा दी थी. तस्वीरें थी भी कुछ ऐसी. एक सीसीटीवी फुटेज में एक ज्वेलरी शॉप के अंदर घुस आए पांच हथियारबंद डकैत दिन दहाड़े महज 4 मिनट के अंदर डकैती डालते हुए दिख रहे थे. डकैती करीब 1 करोड़ 40 लाख रुपये की.

मेगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं मेगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 10 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST

Mangesh Yadav Encounter Controversy: उत्तर प्रदेश पुलिस ने फिर एक एनकाउंटर किया, लेकिन इस बार एनकाउंटर करने से पहले पुलिस ने कुछ नए काम किए. जिस शख्स का एनकाउंटर करना था, सबसे पहले उसे इनामी बदमाश घोषित कर दिया. फिर 48 घंटे के अंदर उस पर रखी गई इनाम की रकम को डबल कर दिया. इसके बाद बिना बुलेटप्रूफ जैकेट पहने चप्पल में ही तेज रफ्तार मोटरसाइकिल पर भाग रहे बदमाश को गोली मारकर ढेर कर दिया. जी हां, ये कहानी सुल्तानपुर के उसी एनकाउंटर की है, जिसके लेकर कई सवाल उठ रहे हैं और पुलिस पर शक किया जा रहा है.

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28 अगस्त 2024, सुल्तानपुर, यूपी
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से सामने आई सीसीटीवी की कुछ तस्वीरों ने पूरे सूबे में सनसनी मचा दी थी. तस्वीरें थी भी कुछ ऐसी. एक सीसीटीवी फुटेज में एक ज्वेलरी शॉप के अंदर घुस आए पांच हथियारबंद डकैत दिन दहाड़े महज 4 मिनट के अंदर डकैती डालते हुए दिख रहे थे. डकैती करीब 1 करोड़ 40 लाख रुपये की.

5 सितंबर 2024, सुल्तानपुर, यूपी
लेकिन इस वारदात के ठीक 9 दिन बाद अब यूपी से आई कुछ और तस्वीरों ने ऐसा भूचाल मचाया है, जिसके बाद अब पुलिस से लेकर सूबे की सरकार तक को जवाब देना भारी पड़ रहा है. रात के अंधेरे में ली गई ये तस्वीरें हैं एक पुलिस एनकाउंटर की, जिसका कनेक्शन 28 अगस्त की उस डकैती की वारदात से जुड़ता है, जिसकी तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थीं. असल में उन नई तस्वीरों में पुलिस उसी डकैती की वारदात में शामिल एक आरोपी मंगेश यादव को आधी रात एनकाउंटर में ढेर करने का दावा करती हुई दिखाई दे रही है. 

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एनकाउंटर की मजिस्ट्रेटी जांच
लेकिन अब उन्हीं तस्वीरों के हवाले से इस एनकाउंटर पर ऐसे सवाल उठने लगे हैं, जिनका सही और संतोषजनक जवाब देना पुलिस को भारी पड़ने लगा है. हालत ये है कि अब सरकार को इस मामले की सच्चाई जानने के लिए एनकाउंटर की मजिस्ट्रेटी जांच का हुक्म देना पड़ा है. इल्जाम है कि पुलिस ने मंगेश यादव को इस एनकाउंटर से दो दिन पहले यानी 2 सितंबर की रात करीब ढाई बजे जौनपुर में उसके घर से उठा लिया था और फिर सुनसान सड़क पर आधी रात को उसकी हत्या कर दी. 

4 और 5 सितंबर की दरम्यानी रात एनकाउंटर का दावा
लेकिन इससे पहले कि हम वारदात में पुलिस पर लगे इन इल्ज़ामों की सच्चाई टटोलने की कोशिश करें, सबसे पहले एनकाउंटर की उन तस्वीरों की बात की जाए, जिन्होंने पुलिस को घेरे में ला दिया है. पुलिस की मानें ये तस्वीरें उस वक्त की हैं, 4 और 5 सितंबर की दरम्यानी रात को उन्होंने सुल्तानपुर के ग्रामीण इलाके में बाइक से भागते एक खूंखार डकैत मंगेश यादव और उसके एक साथी को रोकने की कोशिश की, जिन्होंने पहले पुलिस पर गोली चलाई और फिर बदले में की गई जवाबी कार्रवाई में मंगेश यादव की जान चली गई. जबकि उसका साथी अंधेरे का फायदा उठा कर भागने में कामयाब रहा.

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चप्पल पहन कर एनकाउंटर?
लेकिन जिस तरह से यहां एसटीएफ के डीएसपी डीके शाही समेत कई और पुलिस कर्मी चप्पल पहने हुए तथाकथित एनकाउंटर वाली जगह यानी स्पॉट पर खड़े दिखाई दे रहे हैं, वो अपने-आप में एक बड़ा सवाल है. सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर पुलिस के अफसर और मुलाजिम एक खतरनाक अपराधी का पीछा करने के लिए चप्पल पहन कर इतने कैजुअल तरीके से कैसे चले गए? कैसे उन्होंने मेन रोड से नीचे, बारिश के इस मौसम के कीचड़ भरी सड़क पर चप्पल पहन कर इतने खूंखार अपराधियों का पीछा किया? और कैसे अपनी सटीक निशानेबाजी से बाइक पर जा रहे दो में से एक अपराधी यानी मंगेश यादव को ढेर कर दिया?

पुलिस के पास बुलेटप्रूफ़ जैकेट तक नहीं?
उस दिन की तस्वीरों को ध्यान से देखा जाए, तो पता चलता है कि उस वक्त पुलिस के पास बुलेटप्रूफ जैकेट तक नहीं हैं. ना जिस्म पर और ना ही हाथों में. जबकि बात एनकाउंटर की है और अपराधियों के तरफ से चलाई गई सिर्फ एक गोली किसी की भी जिंदगी छीन सकती है. अब आइए इसी एनकाउंटर के सिलसिले में दर्ज की गई पुलिस की उस एफआईआर की बात की जाए. 

खुद चप्पल पहने डीएसपी साहब की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में पुलिस लिखती है कि उन्हें मंगेश य़ादव के बारे में खुफिया इत्तिला मिली थी कि वो सुल्तानपुर-जौनपुर रोड से गुजरने वाला है. जिसके बाद पुलिस ने उसे घेरने की तैयारी की, सारे नियम कानूनों का पालन किया, बुलेटप्रूफ जैकेट तक पहन लिए और फिर अपराधी को घेरने की कोशिश की. लेकिन अपराधियों ने अंधेरे में फायरिंग शुरू कर दी और तब पुलिस ने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन करते हुए एक अपराधी मंगेश यादव को मार गिराया. लेकिन कमाल देखिए इतनी सटीक जानकारी और इतनी तैयारी के बावजूद हक़ीक़त की इन तस्वीरों में बुलेटप्रूफ जैकेट तो छोड़िए डीएसपी समेत कई पुलिस वालों के पैरों से चप्पल तक नदारद है. यानी एफआईआर में कुछ और लिखा है और मौके पर कुछ और दिख रहा है.

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चोरी की बाइक का एनकाउंटर कनेक्शन?
लेकिन एनकाउंटर की इन तस्वीरों से अलग इस केस में और भी बहुत कुछ ऐसा है, जो सवाल खड़े करता है. और उन्हीं चीज़ों में से एक है मौके पर पड़ी ये हीरो सुपर स्प्लेंडर बाइक. जिसे पुलिस ने मंगेश और उसके साथी के पास से बरामद दिखाया है. इस बाइक पर कोई नंबर नहीं है. लेकिन इस बाइक का कनेक्शन 20 अगस्त को जौनपुर से चोरी हुई एक सुपर स्प्लेंडर बाइक से जुड़ता है. क्या आप यकीन करेंगे कि जौनपुर में जो बाइक 20 अगस्त को चोरी हुई थी, उसकी रिपोर्ट आठ दिन बाद ठीक उसी 28 अगस्त को लिखी गई. जिस रोज़ सुल्तानपुर में डकैती की वारदात हुई. और अब उसी डकैती के सिलसिले में जो एनकाउंटर हुआ, वहां वही सुपर स्प्लेंडर बाइक नजर आई. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर जौनपुर पुलिस ने बाइक चोरी की रिपोर्ट आठ दिन बाद क्यों लिखी? घरवाले पूछ रहे हैं कि क्या एनकाउंटर से पहले पुलिस उसी बाइक को मंगेश के पास से दिखाने की तैयारी कर रही थी?

लूटपाट के बाद सुल्तानपुर क्यों लौटा मंगेश?
पुलिस के मुताबिक सुल्तानपुर के ज्वेलरी शॉप में 28 अगस्त को हुई डकैती की वारदात में कुल 14 डकैत शामिल थे. जो तीन ग्रुप में बंटे थे. इनमें मंगेश समेत पांच लोग मुंह पर कपड़ा बांधे ज्वेलरी शॉप के अंदर गए थे, जबकि बाकी बाहर तैयार खड़े थे. इस वारदात के बाद पुलिस ने 2 सितंबर को एक एनकाउंटर के बाद तीन डकैतों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि इसके एक दिन बाद यानी 3 सितंबर को इस कांड का मास्टरमाइंड और गिरोह के सरगना विपिन सिंह ने खुद की रायबरेली की अदालत में सरेंडर कर दिया. यानी पुलिस की सख्ती का असर हो रहा था. 

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ऐसे में या तो अपराधी मौका-ए-वारदात से ज्यादा से ज्यादा दूर भागने की कोशिश करते या फिर रिंग लीडर की तरह सरेंडर कर देते. कम से कम कॉमन थ्योरी तो यही कहती है. लेकिन मंगेश का मामला उल्टा है. पुलिस की मानें तो जौनपुर का रहने वाला मंगेश उसी सुल्तानपुर में लूटी गई ज्वेलरी का एक हिस्सा बेचने पहुंचा था, जहां उसने वारदात को अंजाम दिया था. यानी वो खुद ही फिर से वहां लौटा, जहां उसे सबसे ज्यादा खतरा था और जहां की पुलिस उसे तलाश रही थी. जाहिर है, इस थ्योरी पर भी यकीन करना मुश्किल है.

मंगेश को एनकाउंटर से दो दिन पहले उठाया?
अब आइए आपको बताते हैं कि इस मामले पर जौनपुर के रहने वाले मंगेश के घरवालों का क्या कहना है? मंगेश के परिवार की मानें तो एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी है. घरवालों का दावा है कि यूपी एसटीएफ के लोग मंगेश को 2 सितंबर की रात करीब ढाई बजे घर से उठा कर ले गए थे. यानी एनकाउंटर से दो दिन पहले. और इस दावे के मुताबिक मंगेश पहले से ही पुलिस की हिरासत में था. घरवालों की मानें तो पुलिस जाते जाते ये कह कर गई कि वो पूछताछ के बाद मंगेश को छोड़ देंगे, लेकिन अगर उन्होंने शोर मचाया या किसी को भी इसके बारे में कुछ कहा, तो फिर नतीजा बुरा होगा. वो खामोश रहे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मंगेश की जान ले ली.

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एफआईआर कुछ.. हक़ीक़त में कुछ और!
सिर्फ एनकाउंटर ही नहीं, घरवाले तो मंगेश के उस डकैती की वारदात में शामिल होने की बात से भी इनकार कर रहे हैं. मंगेश की बहन ने सवाल उठाया है कि एक ही आदमी एक वक्त पर दो जगह कैसे हो सकता है. 28 अगस्त की दोपहर को जब सुल्तानपुर में डकैती की वारदात हुई, उसका भाई मंगेश उसके साथ स्कूल में फीस भरने गया था. और सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक उसके साथ ही था. ऐसे में वो अपने घर यानी जौनपुर से 91 किलोमीटर दूर सुल्तानपुर में हुई डकैती में कैसे शामिल हो सकता है?

मंगेश के पास कहां से आए दो-दो हथियार?
अब बात मंगेश के क्रिमिनल रिकॉर्ड की. पुलिस के बही खातों में सुल्तानपुर की वारदात समेत मंगेश के नाम चोरी और लूटपाट के 8 मुकदमे दर्ज थे. एक केस गैंगस्टर एक्ट का भी था. पुलिस ने उसे दो बार गिरफ्तार भी किया था. लेकिन इतने मुकदमों के बावजूद ना तो मंगेश ने कभी किसी पर गोली चलाई थी, ना किसी को चाकू मारा था. बल्कि पुलिस को उसके पास से अब से पहले तक कभी कोई हथियार तक नहीं मिला.

लेकिन इसके बावजूद जब मंगेश का एनकाउंटर हो गया, तो उसके पास से पुलिस ने दो-दो हथियार बरामद होने की बात कही. एक 7.65 एमएम की पिस्तौल और एक .315 बोर का कट्टा  और कुछ कारतूस. अब सवाल ये है कि जिसके पूरी क्रिमिनल हिस्ट्री में एक बार आर्म्स एक्ट का कोई केस ना हो, उसके पास अचानक एनकाउंटर के दौरान दो-दो हथियार कहां से आ गए. मंगेश का ये ट्रैक रिकॉर्ड भी एनकाउंटर की कहानी से पूरी तरह मैच नहीं करता.

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मंगेश के पास से कहां से आई क़ीमती चीज़ें?
अब जौनपुर में मंगेश यादव के मकान पर भी एक नजर डाल लीजिए. जाहिर है ये तस्वीरें बताती हैं कि मंगेश के परिवार की माली हालत कोई बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन हैरानकुन तरीके से पुलिस ने तथाकथित एनकाउंटर के पास उसके पास से जो चीज़ें बरामद की हैं, वो बड़ी हाई प्रोफाइल हैं. इनमें एक अमेरिकन टूरिस्टर बैग, 3 ब्रांडेड टी-शर्ट, दो ब्रांडेड हाफ पैंट शामिल हैं. पुलिस ने उसके पास से लूटी गई 70 किलो चांदी में से चार किलो चांदी बरामद होने की बात भी कही है. लेकिन बरामद की गई चीज़ें भी परिवार के प्रोफाइल से मैच नहीं करती है. और इसलिए ये भी सवालों के घेरे में है. ये और बात है कि इस एनकाउंटर पर उठ रहे इतने सारे सवालों के बावजूद यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार का स्टैंड इस मामले पर कुछ और ही है. और वो सारे सवालों को हवा में उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

कुल मिलाकर, एनकाउंटर की चंद तस्वीरों से शुरू हुआ ये पूरा का पूरा मामला अब सवालों के घेरे में है. लेकिन इस मामले का पटाक्षेप कब और कैसे होगा ये कोई नहीं जानता, ये कोई नहीं जानता.

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