
देश में जब कहीं भी कोई अपराध होता है या कोई ऐसी घटना होती है, जिसके पीछे साजिश होने का शक हो तो ऐसे में पुलिस सच जानने के लिए फोरेंसिक जांच का सहारा लेती है. जुटाए गए सबूतों को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा जाता है. पुलिस की फाइलों में ऐसे मामलों की कमी नहीं है, जिनका खुलासा फोरेंसिक जांच ने ही किया. लेकिन आज जो कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे जानकर शायद आपका भरोसा फोरेंसिक जांच से उठ सकता है. आज तक/इंडिया टुडे की टीम ने देश की तीन फोरेंसिक लैब में होने वाली हेराफेरी और धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है. जहां फोरेंसिक एक्सपर्ट रिश्वत लेकर संगीन से संगीन मामलों की रिपोर्ट को बदलने का काम कर रहे हैं.
FSL वाराणसी (यूपी)
ऐसे ही एक मामले की एक टिप मिलने के बाद, आजतक/इंडिया टुडे के अंडरकवर रिपोर्टर वाराणसी में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) पहुंचे. जिसके प्रमुख डिप्टी डायरेक्टर सुरेश चंद्रा थे. हमारे पत्रकारों ने खुद को एक काल्पनिक हत्या के संदिग्ध आरोपी का एजेंट बताया और इसी बहाने डिप्टी डायरेक्टर सुरेश चंद्रा से दो बार मुलाकात की. खोजी पत्रकारों ने बताया कि आरोपी पर एक शख्स को जहर देने का इल्जाम था. जिस पर सुरेश चंद्रा ने उस आदमी के पक्ष में फोरेंसिक रिपोर्ट को गलत साबित करने की पेशकश कर डाली.
FSL रिपोर्ट से जहर की बात हटाने का मामला
वाराणसी में एफएसएल प्रमुख सुरेश चंद्रा ने रिकॉर्ड बुक से जहर की बात हटाने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की. उन्होंने मांग करते हुए कहा "मुझे इसे (मामले) कल देखने दीजिए, लेकिन इसे देख लेने की भी कीमत होगी. रिकॉर्ड की जांच के लिए 10,000 रुपये का आंशिक भुगतान करना होगा, अभी पूरी राशि नहीं देनी." आवश्यक शुल्क का भुगतान होने पर हम प्रोसेस शुरू करेंगे."
अगले दिन हमारे पत्रकारों ने वाराणसी के एक लक्जरी होटल में फिर से सुरेश चंद्रा के साथ मुलाकात की. तो जोन की मुख्य फोरेंसिक प्रयोगशाला के उस अधिकारी ने विसरा के नमूनों की एफएसएल जांच के लिए एक विशेष टीम गठित करने की पेशकश कर डाली. उन्होंने कहा “इस मामले में ज़हर देने के कई लक्षण नज़र आ रहे हैं. नाखून और होंठ नीले हैं. विषाक्तता के लक्षण हैं. लेकिन हम अपनी नौकरी दांव पर लगा देंगे. इसके लिए हमें एक टीम बनानी होगी. जिसमें कम से कम दो से तीन लोग होंगे."
चंद्रा ने एक टीम बनाने के लिए नकदी की मांग की. चंद्रा ने दावा करते हुए कहा कि वह अपनी रिपोर्ट में संदिग्ध को क्लीन चिट देंगे. “तीन लोगों की टीम के लिए 10 लाख खर्च होंगे. उनकी रिपोर्ट बिल्कुल फाइनल होगी. जिस पर दो-तीन लोगों के हस्ताक्षर होंगे. टीम वर्क को चुनौती नहीं दी जा सकती. यह सर्वोच्च न्यायालय में भी वैध रहेगा. वाराणसी एफएसएल प्रमुख के अनुसार, पूरी प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लगेगा. उन्होंने कहा "तो यह भुगतान परिणाम रिपोर्ट से पहले लिया जाना है."
डीएनए सैंपल से छेड़छाड़
जब हमारी तफ्तीश थोड़ा आगे बढ़ी, तो सुरेश चंद्रा ने लखनऊ में एफएसएल मुख्यालय में एक बलात्कार के मामले में डीएनए रिपोर्ट में हेरफेर करने में मदद करने की पेशकश भी कर डाली. उन्होंने दावा करते हुए कहा "यह हो जाएगा."
रिपोर्टर ने कहा- "लेकिन यह एक बलात्कार का मामला है."
सुरेश चंद्रा ने दोहराया- "यह हो जाएगा. केस की डिटेल लें. उतना ही खर्च (10 लाख) आएगा. इसे मामले को जल्द से जल्द भुनाया जाना चाहिए ताकि वे (संदिग्धों का परिवार) किसी और के संपर्क में न आएं.”
दहेज हत्या के सबूतों में हेरा-फेरी
यूपी के दूसरे बड़े शहर आगरा में भी फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) है. आजतक/इंडिया टुडे की खोजी टीम ने वहां जाकर FSL में जीव विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक संजीव द्विवेदी से मुलाकात की. और ज़हर से हुई दहेज हत्या के एक मामले में विसरा रिपोर्ट को बदलने की संभावना के बारे में पूछा. जिस पर, संजीव द्विवेदी ने 2,30,000 रुपये का भुगतान करने पर आधिकारिक नतीजों (Official Findings) से घातक पदार्थ (Lethal Substance) को हटाने की पेशकश की.
रिपोर्टर ने द्विवेदी से कहा- "विसरा पहले से ही आपके पास है."
द्विवेदी ने जवाब में कहा- "अगर आप इसे नेगेटिव कराना चाहते हैं, तो यह काम 2,50,000 रुपये में किया जाएगा. हम 10-20 हजार रुपये ऊपर नीचे कर सकते हैं लेकिन यहां हर मामले में सब कुछ तय है. यह काम 110 फीसदी किया जाएगा.“
रिपोर्टर ने पूछा- "आप भुगतान कैसे लेते हैं?"
द्विवेदी ने कहा- “एडवांस. इस काम के लिए 2,30,000 रुपये लगते हैं. आपको अभी 1,80,000 देना होगा और बाकी 50,000 बाद में.
नशे में ड्राइविंग का केस और शराब
हरियाणा के गुरुग्राम में भी फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) मौजूद है. हमारी टीम ने वहां जाकर भी छानबीन की. वहां एक वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी मधुप सिंह ने बीमा क्लेम को सुरक्षित करने में मदद करने की पेशकश की. वह एक मामले में लिए गए नमूनों से शराब के सबूत को गलत साबित करने के लिए तैयार थे. इस काम के लिए उन्होंने 2,00,000 रुपये मांगे.
मधुप सिंह ने कहा “ऐसे मामले मेरे अधीन आते हैं. मैं विषाक्तता और शराब के मामलों की जांच करता हूं. मुझे डिटेल दें. इस काम के लिए कम से कम दो लाख रुपये लगेंगे. यह अल्कोहल पॉजिटिव होने की हालत में क्लियर रिपोर्ट देने के बारे में है.”
रिपोर्टर ने कहा- “एक पॉज़िटिव रिपोर्ट को नेगेटिव में बदलने के लिए आपका मतलब दो लाख है?”
मधुप सिंह ने जवाब दिया- “हां”
पुलिस और कानून से जुड़े जानकारों के साथ-साथ आम जनता भी यह जानती है कि किसी भी मामले की जांच में फोरेंसिक लैब रिपोर्ट या विशेषज्ञों की भूमिका कितनी अहम होती है. लेकिन आजतक/इंडिया टुडे के इस खुलासे ने सबको हैरान कर दिया है.