
Varanasi Gupta Family Mass Murder Mystery: वाराणसी में मंगलवार को भदैनी की संकरी गलियों और पत्थर की इमारतों पर सूरज की रोशनी पड़ते ही भोर चुपचाप ढल चुकी थी. लेकिन एक घर में खौफनाक सन्नाटा पसरा हुआ था. यह भेलूपुर के बीचोबीच बसा गुप्ता परिवार का घर था. वहां रहने वाली नीतू गुप्ता और उनके तीन बच्चों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया था. उनके जिस्म मानों लहू से सन कर जम गए थे, हर जिस्म पर एक-एक गोली का जख्म नुमाया था, जो उनकी जिंदगी के आखिरी पलों की खौफनाक कहानी की तरफ इशारा कर रहा था. बस घर का मुखिया राजेंद्र गुप्ता कहीं लापता था.
जब घर के चार-चार लोगों की मौत की खबर फैली, तो वाराणसी में अटकलों का दौर शुरू हो गया. राजेंद्र गुप्ता कुख्यात शख्स था. सालों पहले उस पर खानदानी जायदाद को लेकर हुए झगड़े में अपने ही भाई कृष्ण और उसकी पत्नी मंजू का कत्ल करने का आरोप लगा था. उसके हाथ परिवार के खून से रंगे थे, और ये बात शहर को याद थी. इसलिए, जब गुप्ता परिवार के चार लोगों का कत्ल हुआ, तो फौरन यह अनुमान लगाया गया कि राजेंद्र गुप्ता ने, शायद बेकाबू गुस्से में आकर परिवार को मार डाला था और फिर भाग निकला. लेकिन मामला इतना सीधा नहीं था.
चार लाशों की बरामदगी के कुछ घंटों बाद, पुलिस ने राजेंद्र के मोबाइल लोकेशन को रोहनिया में पंद्रह किलोमीटर दूर एक निर्माणाधीन इमारत में ट्रैक किया. वहां, एक खाली, आधे-अधूरे घर में राजेंद्र गुप्ता का जिस्म पड़ा था- फर्श पर बेजान. उसके सीने में कई गोलियों के घाव थे, जिनसे खून बह रहा था. ये मंजर हैरान करने वाला था और खौफनाक भी. और इससे भी अजीब बात यह थी कि आस-पास कोई हथियार मौजूद नहीं था.
वाराणसी पुलिस के अनुभवी अधिकारी मौके पर मौजूद थे, वो हैरान होकर मौका-ए-वारदात पर खड़े थे. उनमें से एक ने बुदबुदाया 'तीन गोलियां, कोई हथियार नहीं, संघर्ष का कोई निशान नहीं...' उनके जेहन में सवाल कुलबुला रहा था- अगर उसने खुद को नहीं मारा, तो किसने मारा?
निर्माणाधीन घर राजेंद्र गुप्ता का ही नया प्रोजेक्ट था. वो उसका एक ऐसा निवेश था, जिससे वो अपने कारोबार की तकदीर बदलने की उम्मीद कर रहा था. लेकिन इंस्पेक्टर मेहता जिस चीज को नजरअंदाज नहीं कर सकते थे, वह था राजेंद्र का विवादित अतीत और दशकों से चली आ रही गहरी दुश्मनी. क्या यह उसके भाई की हत्या का बदला था? या फिर किसी ने शक को दूर करने के लिए राजेंद्र की बदनामी का फायदा उठाया था?
शुरुआती तौर पर पुलिस घटना के पीछे की वजह पारिवारिक विवाद और पुरानी रंजिश ही मानकर चल रही है. क्योंकि, मृतक राजेंद्र गुप्ता ने वर्ष 1997 में ठीक इसी दिन (मंगलवार) अपने पिता के साथ एक सुरक्षाकर्मी और अन्य व्यक्ति की हत्या की थी. आरोप के मुताबिक, राजेंद्र ने अपने भाई कृष्णा और भाभी मंजू को भी सोते वक्त गोली मारी थी.
वहीं, हत्याकांड के समय घर में मौजूद राजेंद्र की एकमात्र बुजुर्ग मां के मुताबिक उनको इस पूरी वारदात की भनक नहीं लगी, जो एक हैरान कर देने वाली बात है. क्योंकि, जिस घर में दर्जन भर राउंड फायरिंग हो और किसी को उसकी आवाज सुनाई ना दे, ये थोड़ा मुश्किल लगता है. हालांकि, जिस घटना को पुलिस पहले हत्या और खुदकुशी मानकर जांच कर रही थी वो अब नए सिरे से पांच हत्याओं की पड़ताल में जुट गई है.
बता दें कि मंगलवार की सुबह वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में स्थित राजेंद्र गुप्ता के मकान से उस समय चीख-पुकार की आवाज आने लगी जब वहां नौकरानी काम करने के लिए पहुंची. मकान के अलग-अलग कमरों में और बाथरूम में घर की मालकिन (राजेंद्र की पत्नी) सहित उनके तीनों बच्चों के शव खून से सने पाए गए. चारों को गोली मारी गई थी.
घटना के कई घंटे बीतने के बाद भी जब परिवार के मुखिया राजेंद्र गुप्ता का पता नहीं चला तो पुलिस यह मान बैठी कि गुस्सैल और आपराधिक प्रवृति के राजेंद्र गुप्ता ने ही पारिवारिक कलह से तंग आकर पहले अपने परिवार के सभी चार सदस्यों का खात्मा किया और फिर फरार हो गया. क्योंकि, राजेंद्र गुप्ता ने ही वर्ष 1997 में प्रॉपर्टी के लालच में अपने भाई कृष्णा और उसकी पत्नी मंजू की सोते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी थी. और इस हत्या के खिलाफ राजेंद्र के पिता लक्ष्मी नारायण ने ही भेलूपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था.
उस वक्त राजेंद्र गुप्ता ने अपने पिता को भी जान से मारने की धमकी दी थी और ऐसा ही कुछ हुआ. भाई की तेरहवीं के पहले ही पिता लक्ष्मी नारायण को गोली मार दी गई और उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस वारदात के बाद पुलिस ने राजेंद्र और उसके साथी अनिल को गिरफ्तार किया था, लेकिन ठीक से केस की पैरवी ना हो पाने की वजह से राजेंद्र जेल से रिहा हो गया था. बाहर आने के बाद उसने पूरी संपत्ति पर अकेले कब्जा कर लिया था.
मंगलवार की घटना के बाद पुलिस राजेंद्र गुप्ता की लोकेशन ट्रेस करते हुए शहर के रोहनिया थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामपुर लठिया पहुंची, जहां राजेंद्र का निर्माणाधीन मकान है. लेकिन वहां राजेंद्र का शव लहूलुहान हालत में बिस्तर पर पड़ा मिला. पुलिस अपनी इस थ्योरी पर चलना चाह भी रही थी कि परिवार के चारों सदस्यों की हत्या करने के बाद राजेंद्र ने 15 किलोमीटर दूर आकर खुदकुशी कर ली. लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए ये नहीं हो सका.
क्योंकि, राजेंद्र का शव बिस्तर पर पड़ा था और बिस्तर पूरी तरह से मच्छरदानी से कवर था. वहीं, खूंटी पर राजेंद्र की कमीज टंगी थी. और तो और राजेंद्र के सीने और सिर के दाहिने कनपटी पर बुलेट इंजरी दिखाई पड़ रही थी. राजेंद्र को 2 से 3 गोलियां मारी गई थीं. मौके से किसी तरह के हथियार की बारामदगी भी नहीं हुई थी.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अपने परिवार के चारों सदस्यों को मौत की नींद सुलाने के बाद कैसे कोई 15 किलोमीटर दूर जाकर पूरे इत्मीनान के साथ कमीज उतारकर और मच्छरदानी लगाकर जब सोने जाता है तो खुद को एक नहीं बल्कि दो-तीन गोली मार लेता है? इसलिए पुलिस ने अब अपनी पुरानी थ्योरी से हटकर पांच लोगों के मर्डर मिस्ट्री की जांच शुरू कर दी है. क्योंकि, राजेंद्र के परिवार के सदस्यों की हत्या भी पिस्तौल से ही की गई थी और उनके शरीर में भी कई गोलियां उतारी गई थीं.
ऐसे में यह कहना कि हत्यारा कोई और है और पांचों को अंजाम देने वाला कोई प्रोफेशनल शूटर है तो हैरानी नहीं होगी. इस बीच जब राजेंद्र गुप्ता के परिजन और रिश्तेदारों से बात की गई तो एक और हैरानी की बात सामने आई. घटना के दौरान राजेंद्र की मां शारदा देवी घर में ही मौजूद थी लेकिन उन्हें अपनी बहू और दो पोते और एक पोती की हत्या की भनक नहीं नहीं लगी.