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YouTuber Elvish Yadav Arresting: एक टीवी शो ने मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव को रातों रात बुलंदियों पर पहुंचा दिया था. जब वो उस शो का विनर बना तो हर तरफ उसकी चर्चा होने लगी. देश के हजारों लाखों युवा उसके फॉलोअर बन गए. उसकी झलक पाने को वो लोग बेताब रहने लगे. उसके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब छाए रहे. यहां तक कि हरियाणा के सियासी गलियारों में उसे सम्मान मिला. मगर कहते हैं ना शोहरत को संभाल पाना शोहरत पाने से ज्यादा मुश्किल होता है. ऐसा ही कुछ हुआ एल्विश यादव के साथ... नतीजा ये हुआ कि अब एल्विश यादव कानून की गिरफ्त में है और उसे सलाखों के पीछे भेज दिया गया है. चलिए आपको बताते हैं एल्विश के गिरफ्तार होने की पूरी कहानी.
कौन है एल्विश यादव?
एल्विश यादव का असली नाम सिद्धार्थ यादव है. उसका जन्म 14 सितंबर 1997 को हुआ था. उसके पिता राम अवतार यादव और माता सुषमा यादव हैं. एल्विश की एक बड़ी बहन कोमल यादव हैं. हरियाणा के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ने के बाद एल्विश ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली के हंसराज कॉलेज में दाखिला लिया था. एल्विश के एक बड़े भाई थे, उनका निधन हो जाने के कुछ वर्षों बाद सिद्धार्थ का नाम बदलकर एल्विश यादव रख दिया गया था.
एल्विश का करियर
मशहूर यूट्यूबर आशीष चंचलानी और अमित भड़ाना से प्रेरित होकर एल्विश यादव ने 29 अप्रैल 2016 को अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया था. अगस्त 2023 तक उसके पहले यूट्यूब चैनल पर 13.2 मिलियन सब्सक्राइबर और 1.16 बिलियन व्यूज दर्ज हुए थे. एल्विश ने शुरुआत में अपने चैनल का नाम 'द सोशल फैक्ट्री' रखा था, लेकिन बाद में उसका नाम बदलकर एल्विश यादव कर दिया था. एल्विश का कंटेंट फ्लैश फिक्शन और वैचारिक शॉर्ट फिल्मों के आसपास घूमता है. इसके बाद उसने 23 नवंबर, 2019 को 'एलविश यादव व्लॉग्स' नाम से एक नया यूट्यूब चैनल लॉन्च किया था. फरवरी 2023 तक नए चैनल पर 3.47 मिलियन सब्सक्राइबर और 95 मिलियन व्यूज थे. मई 2023 में एल्विश ने एक नया गेमिंग चैनल 'एलविश यादव गेमिंग' भी शुरू किया था. साल 2023 में ही एल्विश को रियलिटी शो बिग बॉस ओटीटी (हिंदी सीज़न) में वाइल्ड कार्ड एंट्री के तौर पर मौका मिला और वो विजेता बनकर बाहर आया. अब वो कपड़ों के ब्रांड 'सिस्टम क्लोदिंग' और 'एल्ग्रो वुमेन' का मालिक भी हैं.
ऐसे खुला एल्विश यादव का राज़
3 नवंबर 2023 से पहले एल्विश यादव की जिंदगी में सबकुछ ठीक चल रहा था. वो अपने नेम और फेम का मजा ले रहा था. लेकिन नोएडा पुलिस ने 2 नवंबर 2023 को नोएडा के सेक्टर 51 के सेवरोन बैंक्वेट हॉल से 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. कुल मिलाकर 9 सांप बरामद हुए थे, जिनमें 5 कोबरा, 1 अजगर, 2- दो मुहें सांप और एक रेड स्नैक बरामद हुआ था. जांच से पता चला था कि सभी नौ सांपों में वेनॉम ग्लैंड्स गायब थीं, जिसमें जहर होता है. पुलिस ने उस दिन पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से 20ml सांप का जहर भी बरामद किया था. उन सांपों और सांप के जहर का इस्तेमाल दिल्ली एनसीआर में अवैध रेव पार्टियों में किया जाता था. यूं तो यह मामला किसी थाने की फाइल में दबकर रह जाता लेकिन इस केस के पीछे हाथ था भाजपा सांसद मेनका गांधी के एनजीओ का. उसी एनजीओ की शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच के दौरान सांप बरामद किए थे. जब जांच पड़ताल आगे बढ़ी तो पता चला कि जानलेवा जहर की पार्टियों के पीछे मशहूर यूट्यूबर एलिव्श यादव भी शामिल है. मेनका गांधी की एनजीओ का इल्जाम था कि एल्विश सांपों के साथ वीडियो शूट करता है और सांप के जहर और दवाओं के साथ अवैध पार्टियों की मेजबानी भी करता है.
इस संस्था ने दर्ज कराई थी FIR
इस मामले में FIR दर्ज करने वाली संस्था का नाम पीपल फॉर एनिमल (PFA) है. उस संस्था के वेलफेयर ऑफिसर गौरव गुप्ता ने थाने जाकर तहरीर दी थी. उस वक्त गौरव गुप्ता ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया था कि नोएडा में ड्रग्स और वेनम से जुड़ी गतिविधियों की सूचना मिल रही थी. ये भी पता चला था कि, यूट्यूबर एल्विश यादव नोएडा-एनसीआर के फार्म हाउसों में कुछ लोगों के साथ मिलकर स्नेक वेनम व जिंदा सांपों के साथ वीडियो शूट कराते हैं. इसके साथ ही गैर कानूनी रूप से रेव पार्टियों को आयोजित कराने की भी जानकारी मिली थी.
ऐसे हुआ मुकदमा दर्ज
3 नवंबर को नोएडा पुलिस ने PFA की शिकायत पर रेव पार्टी में सांप के जहर के इस्तेमाल के मामले में FIR दर्ज की थी. जिसमें यूट्यूबर एल्विश यादव भी आरोपी था. जिन लोगों के कब्जे से सांप बरामद हुए थे, वो पांच लोग अब पुलिस के कब्जे में थे. उनकी शिनाख्त राहुल, टीटूनाथ, जयकरन, नारायण और रविनाथ शामिल हैं. पुलिस को राहुल नाम के शख्स के पास ही वो 20ml सांप का जहर मिला था. मामला चूंकि मेनका गांधी की एनजीओ से जुड़ा था, लिहाजा पुलिस की विशेष टीम तेजी इस मामले में कार्रवाई कर रही थी. मामले की छानबीन में पुलिस को पता चला कि एल्विश यादव ही इस जहरीले रैकेट का मास्टरमाइंड है. पकड़े गए पांचों आरोपियों ने भी एल्विश यादव का नाम पूछताछ के दौरान बताया था.
एल्विश ने ऐसे दी थी सफाई
नवंबर में जब इस जहरीले नशे के मामले में एल्विश का नाम आया तो अगले दिन उसने सफाई देते हुए इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया था. जिसमें उसने कहा था- 'मैं सुबह उठा. मैंने मीडिया में न्यूज देखी कि एल्विश यादव नशीले पदार्थ के बिजनेस में शामिल है. वो अरेस्ट हो गए हैं. मैं बता दूं कि मेरे खिलाफ जितने भी चीजें चल रही हैं. वो फेक हैं और मेरा इसमें कोई लेना देना नहीं है. मुझे लेकर जो भी बातें की जा रही हैं, उसमें किसी तरह की सच्चाई नहीं है. आरोपों में मेरा नाम खराब न करें. मैं यूपी पुलिस के साथ सहयोग करने को तैयार हूं. मैं यूपी पुलिस और माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन करना चाहता हूं कि इस चीज में अगर मेरे खिलाफ 1% भी आरोप साबित हुए, तो मैं जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं. मैं सबसे कहना चाहता हूं की प्लीज बिना किसी सबूत के मेरा नाम खराब करने की कोशिश ना करें. मेरा दूर-दूर तक इससे कोई वास्ता नहीं है.'
ऑडियो में आया था एल्विश का नाम
उस वक्त एल्विश ने इस पूरे मामले में खुद को निर्दोष बताया था. उसके मुताबिक, इस केस से उनका कोई लेना-देना नहीं था. उसी दौरान एक ऑडियो क्लिप भी सामने आया था, जिसमें एल्विश यादव का नाम शामिल था. दरअसल, उस ऑडियो में गिरफ्तार आरोपी राहुल यादव ने PFA (मेनका गांधी की संस्था Peoples for Animals) मेंबर को बताया था कि उसी ने एल्विश की पार्टी में ये ड्रग्स पहुंचाया था. यहां से एल्विश की मुश्किलें बढ़ना शुरु हो गईं थीं.
राहुल उस ऑडियो में कह रहा था- दिल्ली में बहुत चेकिंग होती है, इसलिए थोड़ा संभल कर रहना होता है. एल्विश के वहां तो पुलिस वाले भी नहीं आते न, जब हम प्रोग्राम करने जाते हैं छतरपुर में, वहां सबको पता होता है कि उनके फार्म हाउस में प्रोग्राम हो रहा है. लेकिन ज्यादा देर नहीं होता, सिर्फ आधा घंटा. उसके बाद सबसे पहले हमारी टीम को वो वहां से निकालते हैं. इन चीजों का रिस्क वो भी नहीं पालते.
पुलिस ने घंटों की थी पूछताछ
मुकदमा लिखे जाने के बाद यूट्यूबर एल्विश यादव को नोएडा पुलिस ने तलब किया था. फिर DCP, ACP लेवल के अधिकारियों ने कई घंटे तक उससे पूछताछ की थी. उस दौरान DCP नोएडा ने बताया था कि एल्विश को दोबारा पूछताछ के लिए नोटिस दिया गया है. और फिर से एल्विश को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. एक बार नोएडा पुलिस ने आरोपी राहुल और एल्विश यादव को आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की थी. जिसमें कई ऐसी बातें थी, जिन्हें एल्विश नकार रहा था. लेकिन इसके बाद भी वो आजाद था. खुली हवा में सांस ले रहा था.
SHO पर गिरी थी गाज
उसी दौरान नोएडा की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बड़ा एक्शन लेते हुए थाना-49 के प्रभारी संदीप सिंह चौधरी को लाइन हाजिर कर दिया था. इसको लेकर नोएडा पुलिस ने बताया था कि थाना प्रभारी को थाना क्षेत्र में अपराध नियंत्रण पर प्रभावी अंकुश न लगा पाने के कारण रिजर्व पुलिस लाइन स्थानांतरित किया गया है. तभी से इस हाई प्रोफाइल मामले में पुलिस तेजी से छानबीन कर रही थी.
8 मार्च को सामने आया नया विवाद
साल बदला और तारीख भी. जवरी और फरवरी का महीना भी बीत गया. फिर अचानक इसी साल 8 मार्च को एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने लगा. वो वीडियो भी एल्विश यादव का था. एल्विश अपने कई साथियों के साथ गुड़गांव में एक कपड़े की दुकान में पहुंचता है. और वहां मौजूद कंटेंट क्रिएटर सागर ठाकुर उर्फ ऑनलाइन मैक्सटर्न के साथ मारपीट करता है, उसे जान से मारने की धमकी देता है. इस मामले में उसके खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज हो गया. हालांकि, यादव ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि सागर ठाकुर ने उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी थी, और यह घटना गुस्से में हुई, और सागर ने उस जगह पर कैमरे लगाए थे, ताकि घटना कैद हो जाए.
135 दिन बाद हुई एल्विश की गिरफ्तारी
पिछले दो महीनों की जांच पड़ताल और गहन छानबीन के बाद पुलिस ने एल्विश पर शिकंजा कस दिया था. जिसका नतीजा 17 मार्च को सामने आया. दरअसल, 17 मार्च 2024 को नोएडा पुलिस ने एनडीपीएस अधिनियम 1985 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एल्विश यादव को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उसे नोएडा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसका मेडिकल चेकअप करवाया गया. फिर नोएडा पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया. जहां से कोर्ट ने एल्विश यादव को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. इस दौरान एक वीडियो सामने आया है, जहां एल्विश पुलिस वालों के साथ कोर्ट में जाते हुए दिख रहा है और उसके चेहरे पर मुस्कान है.
क्या होता है NDPS एक्ट?
अब आपको ये भी बता देते हैं कि एनडीपीएस एक्ट का मतलब क्या होता है? नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985, जिसे आमतौर पर एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के रूप में जाना जाता है. भारतीय संसद का एक अधिनियम है जो किसी व्यक्ति को उत्पादन/विनिर्माण/खेती, कब्जा, बिक्री, खरीद या किसी भी नशीली दवाई का सेवन करता है, उस पर ये एक्ट लगाया जाता है.