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Youtuber मनीष कश्यप पर अब लगा NSA... बिहार के बाद तमिलनाडु पुलिस ने कसा शिकंजा

YouTuber Manish Kashyap Update: बिहार के बाद यूट्यूबर मनीष कश्यप पर तमिलनाडु पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. बताया जा रहा है कि मनीष कश्यप पर एनएसए (NSA) लगाया गया है. बता दें कि मनीष कश्यप को बिहार के मजदूरों पर तमिलनाडु में हमले किए जाने के फेक वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगा है.

यूट्यूबर मनीष कश्यप. (File Photo) यूट्यूबर मनीष कश्यप. (File Photo)
शिल्पा नायर
  • चेन्नई,
  • 06 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

YouTuber Manish Kashyap News: बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप पर बड़ा एक्शन हुआ है. बिहार के बाद अब मनीष पर तमिलनाडु पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत कार्रवाई की है. बता दें कि मनीष कश्यप को फेक वीडियो पोस्ट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले के फर्जी वीडियो शेयर किए थे.

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तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों की पिटाई का फर्जी वीडियो वायरल करने के मामले में यूट्यूबर मनीष को मदुरै कोर्ट ने 19 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा है. इससे पहले कोर्ट ने मनीष को पुलिस कस्टडी में भेजा था. इस मामले में यूट्यूबर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दायर की गई, जिसमें अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ क्लब करने की मांग की गई है. इस मामले में सुनवाई होनी है.

बीते सप्ताह ही तमिलनाडु पुलिस की टीम कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट लेकर मनीष को पटना से ले गई थी. तमिलनाडु में मदुरै कोर्ट में मनीष को पेश करने के बाद पुलिस को तीन दिनों की रिमांड मिली थी, जिसमें उससे पूछताछ की गई. इससे पहले बिहार पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई ने भी मनीष से पूछताछ की थी. बिहार पुलिस की पूछताछ के बाद कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस की ट्रांजिट रिमांड की अर्जी को मंजूरी दी थी.

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बिहार में मनीष पर पहले भी कई मामलों में हो चुकी है कार्रवाई

बिहार पुलिस और आर्थिक अपराध इकाई थाने में विभिन्न धाराओं में मनीष कश्यप के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. मनीष कश्यप का विवादों से पुराना नाता रहा है. वह पहले भी कई मामलों में जेल जा चुका है.

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साल 2019 में पश्चिम चंपारण में महारानी जानकी कुंवर अस्पताल परिसर में स्थित किंग एडवर्ड-Vll की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया था. इस मामले को लेकर मनीष कश्यप ने सोशल मीडिया पर कई वीडियो और तस्वीरें साझा की थीं और राष्ट्रवाद के नाम पर मूर्ति तोड़े जाने का समर्थन किया था. इस मामले में जेल जाना पड़ा था.

मनीष ने बिहार में 18 मार्च को किया था सरेंडर

मनीष कश्यप के सरेंडर करने के तुरंत बाद तमिलनाडु पुलिस की टीम पटना पहुंची थी. तमिलनाडु पुलिस मनीष कश्यप को अपने साथ ले जाना चाहती थी. हालांकि बिहार पुलिस और ईओयू की पूछताछ की वजह से उस वक्त ऐसा नहीं हो पाया था. घर की कुर्की होने के डर से मनीष कश्यप ने 18 मार्च को सरेंडर कर दिया था.

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मनीष कश्यप के सभी बैंक खाते हो चुके हैं फ्रीज

बिहार पुलिस मनीष कश्यप के बैंक खातों में जमा राशि को फ्रीज कर चुकी है. इसमें कुल 42.11 लाख रुपये की राशि बताई गई थी. बिहार पुलिस ने बताया था कि मनीष के SBI के खाते में 3,37,496, IDFC BANK के खाते में 51,069, HDFC BANK के खाते में 3,37,463 इसके अलावा SACHTAK Foundation के HDFC BANK के खाते में 34,85,909 रुपये जमा हैं.

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मनीष का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. वह खुद को 'सन ऑफ बिहार' (Manish Kasyap, Son of Bihar) लिखता है. मनीष का असली नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी है. इस नाम के पीछे वो 'कश्यप' लगाता है. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर 'मनीष' लिखता है. साल 2020 में बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से त्रिपुरारी उर्फ मनीष ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. नामांकन के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उसने बतौर प्रत्याशी अपना नाम त्रिपुरारी कुमार तिवारी बताया. पिता उदित कुमार तिवारी भारतीय सेना में रह चुके हैं.

क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इस कानून को बनाया गया था. ये कानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है.

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एनएसए के तहत क्या लिया जा सकता है एक्शन?

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 (NSA) के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है. राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि NSA के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उनके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिनों के लिए रखा जा सकता है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है.

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