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तलवार दंपति के दामन पर लगे दाग तो धुले, लेकिन जो सहा उसकी कैसे होगी भरपाई?

अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज के कत्ल के इल्जाम में करीब चार साल से जेल में बंद तलवार दंपति आज जेल से रिहा होंगे. सीबीआई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को गुरुवार को ही बरी कर दिया था. लेकिन 3 दिन से उनकी रिहाई नियम-कायदों में उलझी है. अब तलवार दंपति के दामन पर लगे दाग तो धुल गए, लेकिन जरा सोचिए, इतने दिनों तक उन्होंने जो कुछ सहा क्या उसकी भरपाई कभी हो पाएगी?

बहुचर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस बहुचर्चित आरुषि-हेमराज मर्डर केस
मुकेश कुमार/शम्स ताहिर खान/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

अपनी बेटी आरुषि और नौकर हेमराज के कत्ल के इल्जाम में करीब चार साल से जेल में बंद तलवार दंपति आज जेल से रिहा होंगे. सीबीआई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को गुरुवार को ही बरी कर दिया था. लेकिन 3 दिन से उनकी रिहाई नियम-कायदों में उलझी है. अब तलवार दंपति के दामन पर लगे दाग तो धुल गए, लेकिन जरा सोचिए, इतने दिनों तक उन्होंने जो कुछ सहा क्या उसकी भरपाई कभी हो पाएगी?

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सालों से सिर्फ दुख और दर्द झेल रही सूनी आंखों में आखिरकार खुशियां लौटने वाली हैं. 9 साल पुराने आरुषि हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत का फैसला पलटने के बाद आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार आज गाजियाबाद की डासना जेल से रिहा होने वाले हैं. तलवार दंपति को करीब चार साल बाद जेल की काल कोठरी से मुक्ति मिलने वाली है. लेकिन एक सवाल बार-बार साल रहा है, जो गया वो कैसे वापस आएगा.

तलवार दंपति की बेगुनाही की तमाम दलीलों को नकारते हुए सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर 2013 को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरुषि के माता-पिता को दोषी करार दिया था. जरा सोचिये वो दर्द कितना गहरा होगा. वो पीड़ा कितनी भारी होगी जब अपनी ही मासूम प्यारी बेटी के कत्ल के जुर्म में एक मां-बाप को जेल में डाल दिया जाए. एक मां के उस अहसास के बारे में जिसने अपनी मासूम बेटी को खोया. इंसाफ की गुहार लगाते-लगाते उसी के कत्ल के जुर्म में काल कोठरी में डाल दी गई.

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उम्मीद है इंसान को जीने का हौंसला देती है. जब उम्मीदें टूट जाएं तो इंसान जीते-जीते मर जाता है. उम्मीद की जिस रोशनी को थामकर नूपुर और राजेश तलवार ने गाजियाबाद की डासना जेल में गिन-गिन कर दिन और रात काटते रहे, उनकी तपस्या आखिरकार कबूल हो गई. अगले हफ्ते दिवाली है. आरुषि तो नहीं है, लेकिन अर्से बाद तलवार दंपति अपने घर में आरुषि की यादों का दीया जला सकेंगी. हर त्योहार, एक-एक चीज उनके जेहन में मूवी की तरह चलती रहती हैं.

आरुषि इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अपने परिवार की यादों आज भी जिंदा है. आरुषि की मौत के बाद पूरे 9 साल अपने दामन पर लगे दाग को साफ करने में ही बीत गया. आरुषि की खूबसूरत यादों की पोटली दिलों में ही दबी रह गई. आरुषि के कत्ल के इल्जामों का दाग धुल चुका है. तलवार दंपति जेल की कैद से आजाद हो जाएंगे. लेकिन जेल से बाहर आने के बाद मन में कसक बनी रहेगी कि इस आजादी का जश्न मनाएं या बेटी के असली कातिल तक कानून की पहुंच ना होने का रोना रोएं?

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