Advertisement

तलवार दंपति को सजा सुनाते वक्त जज ने कहा था- धर्म रक्षति रक्षित:

26 नवंबर, 2013. जज का हथौड़ा जैसे ही आखिरी बार मेज पर गिरा, अफरातफरी मच गई. तेजतर्रार नौजवान वकील अपना काला गाउन हवा में लहराते टीवी कैमरे की ओर दौड़े. गाजियाबाद विशेष सीबीआई अदालत के तंग कमरे में करीब 15 लोग ठुंसे हुए थे. बाहर सैकड़ों पत्रकार तथा तमाशबीनों की भीड़ को काबू करने में पुलिसवालों की टुकड़ी के पसीने छूट रहे थे, कुछ लोग तो पेड़ और दीवारों पर चढ़ गए थे.

26 नवंबर, 2013 को तलवार दंपति को मिली उम्रकैद 26 नवंबर, 2013 को तलवार दंपति को मिली उम्रकैद
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 10:12 AM IST

26 नवंबर, 2013. जज का हथौड़ा जैसे ही आखिरी बार मेज पर गिरा, अफरातफरी मच गई. तेजतर्रार नौजवान वकील अपना काला गाउन हवा में लहराते टीवी कैमरे की ओर दौड़े. गाजियाबाद विशेष सीबीआई अदालत के तंग कमरे में करीब 15 लोग ठुंसे हुए थे. बाहर सैकड़ों पत्रकार तथा तमाशबीनों की भीड़ को काबू करने में पुलिसवालों की टुकड़ी के पसीने छूट रहे थे, कुछ लोग तो पेड़ और दीवारों पर चढ़ गए थे.

Advertisement

सीबीआई विशेष न्यायाधीश श्याम लाल ने गीता से उद्धरण दिया, 'धर्म रक्षति रक्षित: (धर्म उसी की रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है).' जज श्याम लाल को अदालती हलके में प्यार से सजा लाल पुकारा जाता है. ब्रेकिंग न्यूज देने की दौड़ जीतने वाला वकील अपनी दो उंगलियों को अंग्रेजी अक्षर वी (यानी विजय) की आकार में लहराते हुए लगभग चीख रहा था, 'आरुषि तलवार के मां-बाप को उम्रकैद. वे रो रहे हैं.'

आरुषि-हेमराज की 16 मई, 2008 को बेहद त्रासद और अजीबो-गरीब हत्या हमारे इस दौर की दर्दनाक दास्तान है: मानवीय दुर्बलताओं और दुखों की, वफादारी और बेवफाई की, प्यार और पूर्वाग्रह की. 2 हत्याएं, 2 किस्से, 2 तरह के सुराग, 2 संभावनाएं, और 2 तरह के संदिग्ध. 5 साल की पड़ताल, 3 तरह के अलग-अलग जांचकर्ता, 15 महीने की सुनवाई, 46 गवाह, 15 डॉक्टर, 4 फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं, 7 बार गिरफ्तारी और 3 बार रिहाई.

Advertisement

इन सब के बावजूद अब भी रहस्य. पूरा देश एक शहरी परिवार में इस विचित्र अपराध कथा की हर बारीकी पर नजर रखता रहा है. लेकिन, अंत में ऐसा फैसला आया, जो महज दो मिनट में सुना दिया गया और जिससे सवाल ही ज्यादा खड़े हुए. उसी सवालों के जवाब जानने के लिए तलवार दंपति ने हाईकोर्ट की ओर रुख किया. तमाम सुनवाई के बाद हाईकोर्ट तलवार दंपति के भविष्य पर फैसला सुनाएगा. 

आरुषि-हेमराज मर्डर केस की शुरूआती जांच यूपी पुलिस ने किया था. इसके बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. साल 2010 में वारदात के 2 साल बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. शक की सुई आरोपों की शक्ल में एक बार फिर तलवार दंपति पर टिक गई. कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को सबूत मिटाने का दोषी पाया. दोनों के खिलाफ मर्डर केस में शामिल होने के आरोप तय किए गए.

डबल मर्डर केस के चार साल बाद 2012 में आरुषि की मां नूपुर तलवार को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा और फिर जेल जाना पड़ा. नवंबर 2013 में तमाम जिरह और सबूतों को देखने के बाद सीबीआई कोर्ट ने आरुषि के पिता राजेश और मां नूपुर तलवार को उसकी हत्या के जुर्म का दोषी माना. उनको उम्र कैद की सजा सुना दी गई. इसी के साथ देश की सबसे सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री पर पर्दा गिर गया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement