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Burnt alive: आगरा में छात्रा को दिनदहाड़े जिंदा जलाया, अब मौत पर बवाल

Brunt alive आगरा के लालउ गांव की भीड़ भाड़ वाली सड़क के बीचों-बीच 14 साल की संजलि नामक छात्रा पर 2 अज्ञात हमलावरों ने कोई ज्वलनशील पदार्थ फेंका, आग लगाई और फरार हो गए.

पुलिस 6 दिन बाद भी आरोपियों का सुराग नहीं लगा पाई है (फाइल फोटो) पुलिस 6 दिन बाद भी आरोपियों का सुराग नहीं लगा पाई है (फाइल फोटो)
परवेज़ सागर/अरविंद ओझा
  • आगरा,
  • 24 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

आगरा में एक दलित छात्रा की सनसनीखेज हत्या की वारदात से पूरा उत्तर प्रदेश दहल उठा है. करीब एक सप्ताह पहले दो बाइक सवारों ने संजलि नामक छात्रा को ज्वलनशील पदार्थ डालकर सरेआम आग के हवाले कर दिया था. उसके बाद गंभीर हालत में लड़की को दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद 14 साल की उस मासूम ने दम तोड़ दिया.

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यूपी पुलिस के सारे दावों की हवा निकल गई है. बात-बात पर एनकाउंटर करने वाली योगी की पुलिस फेल हो गई है. एक मासूम बेगुनाह लड़की को सरेआम सड़क पर जला दिया जाता है और उसके कातिल 6 दिन बाद भी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं. और उस पर इंसानियत को शर्मसार करने वाली बात ये कि दलित छात्रा की मौत सियासत करने वाले तमाम नेता उसके घर जाकर अफसोस तो जता रहे हैं.

लेकिन उसके घरवालों का हाल कोई नहीं जानना चाहता. नेता तस्वीरें खींचाने के लिए भीड़ लेकर वहां जाते हैं. पानी मांगते हैं और बड़ी बड़ी बातें करके लौट आते हैं. इस दुनिया से हमेशा के लिए जा चुकी उस बेगुनाह की मां ने आगरा के सांसद के सामने कहा "6 दिन हो गए हैं अपराधी नहीं पकड़े गए. नेता आते हैं पानी पिलाने को कहते हैं. घर में 6 दिन से चूल्हा नहीं जला है. पानी नहीं है. कहां से पिलाएं. कहां से नेताओं की खातिरदारी करें."

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आगरा के लालउ गांव में बीजेपी सांसद रमाशंकर कठेरिया के सामने उस मां का गुस्सा फूट पड़ा. सिर्फ गुस्सा ही नहीं फूटा बल्कि वो खुद भी फूट-फूट कर रोने लगी.

ये था पूरा मामला

आगरा के लालउ गांव में 18 दिसंबर की दोपहर भीड़ भाड़ वाली सड़क के बीचों-बीच 14 साल की संजलि नामक छात्रा पर 2 अज्ञात हमलावरों ने कोई ज्वलनशील पदार्थ फेंका, आग लगाई और फरार हो गए. वारदात के वक्त तकरीबन 2 बजे संजलि अपने स्कूल से घर की तरफ लौट रही थी.

वो सड़क 24 घंटे व्यस्त रहती है और वारदात के दिन भी वहां बहुत भीड़ थी. लेकिन हैरानी की बात है कि किसी ने भी हमलावर को नहीं देखा. संजलि हमले के बाद वहां काफी देर तक तड़पती रही. संजलि को जिंदा जला दिया गया. गंभीर हालत में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया. जहां उसने दम तोड़ दिया.

वारदात के बाद पुलिस ने संजलि के चचेरे भाई से पूछताछ की. दूसरे दिन उसने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली. परिवार वालों का आरोप है पुलिस ने भाई को टार्चर किया. इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया. पुलिस आत्महत्या की जांच भी कर रही है. पुलिस का दावा है की उसके हाथ कुछ सुराग लगे हैं. जल्द ही हत्यारों को गिरफ्तार किया जाएगा.

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मौत पर सियासत

वारदात के 6 दिन बाद भी योगी की एनकाउंटर पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा. वहीं गांव में नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजबब्बर ने यूपी सरकार पर हमला बोला. तब जवाब में आगरा के सांसद और SCST कमीशन के अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया ने कहा "इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, परिवार को दस लाख देंगे और कातिल जल्द पकड़े जाएंगे."

मौत पर सियासत होना अब देश में नया नहीं है, लेकिन जिस तरह से बीच सड़क पर संजलि को जिंदा जलाकर मौत के घाट उतार दिया गया. उससे आगरा समेत पूरे यूपी की लचर कानून व्यवस्था सबके सामने आ गई है.

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