
पाकिस्तान की कानून प्रवर्तन एजेंसियां लाहौर विस्फोट के आत्मघाती हमलावर की पहचान अभी तक नहीं कर पाई हैं. पाकिस्तान के गुलशन-ए-इकबाल पार्क में पिछले दिनों हुए आत्मघाती हमले में 72 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे.
डॉन ऑनलाइन ने सूत्रों के हवाले से कहा कि यद्यपि तहरीक-ए-तालिबान के एक गुट जमात-उल-अहरार ने 27 मार्च को हुए हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि उसने जानबूझकर उस रविवार की शाम ईस्टर मना रहे ईसाइयों को निशाना बनाया था. उसने आत्मघाती हमलावर की तस्वीर भी जारी की थी.
लेकिन अभी तक दोनों दावों की पुष्टि के पक्ष में कोई प्रमाण नहीं मिल पाया है. जांच और निगरानी से जुड़े सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि पार्क पर हमले की कोई पूर्व चेतावनी नहीं दी गई थी. आत्मघाती हमलावर की मदद करने वाले कुछ स्थानीय सहायकों की गिरफ्तारी के संकेत मिले हैं, लेकिन सूत्रों ने इसका खंडन किया.
एजेंसियों ने इस बात की पुष्टि की कि विस्फोट आत्मघाती था. विस्फोट स्थल से उन्हें केवल एक सिर का आधा हिस्सा मिला, जिसके कान जले हुए थे. उस सिर को डीएनए जांच के लिए पंजाब स्थित फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेज दिया गया. जांच रिर्पोट की मदद से हमलावर के टुकड़े-टुकड़े हुए शरीर के अन्य हिस्सों की पहचान की गई.
सूत्रों का कहना है कि सिर्फ डीएनए जांच से हमलावर की पहचान नहीं हो सकती है. इसके लिए हमलावर के डीएनए का मिलान उसके परिजनों के डीएनए से कराना होगा. लेकिन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के दावे के अनुरूप आत्मघाती हमलावर के परिजनों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.