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राजस्थान: एसओजी की पूछताछ से परेशान बैंककर्मी ने की खुदकुशी

राजस्थान के अलवर अरबन कॉपरेटिव बैंक के कैशियर झम्मन लाल ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तीन दिन की कड़ी पूछताछ से परेशान होकर जहर खाकर सुसाइड कर लिया है. परिजनों ने बताया की मंगलवार दोपहर एसओजी की पूछताछ के बाद वह परेशान हालात में घर पहुंचा थे. पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया है.

राजस्थान के अलवर जिले की घटना राजस्थान के अलवर जिले की घटना
मुकेश कुमार/शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 28 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

राजस्थान के अलवर अरबन कॉपरेटिव बैंक के कैशियर झम्मन लाल ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तीन दिन की कड़ी पूछताछ से परेशान होकर जहर खाकर सुसाइड कर लिया है. परिजनों ने बताया की मंगलवार दोपहर एसओजी की पूछताछ के बाद वह परेशान हालात में घर पहुंचा थे. पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया है.

परिजनों ने बताया कि झम्मन लाल पूछताछ की वजह से काफी परेशान थे. घर वापस आने के बाद गोवर्धन परिक्रमा देने की बात कह कर मथुरा चले गए. वहां गोवर्धन क्षेत्र में सोमवंशी धर्मशाला के कमरे में जहर खाकर आत्महत्या कर ली. बुधवार सुबह धर्मशाला के मैनेजर ने कमरा नहीं खुलने पर दरवाजा तोड़ा तो उनका शव बरामद हुआ.

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जानकारी के मुताबिक, गोवर्धन थाना क्षेत्र के बड़ा बाजार स्थित सोमवंशी धर्मशाला के कर्मचारियों और मैनेजर ने बुधवार सुबह कमरे में देखा तो झम्मन लाल अचेत अवस्था मे पड़े हुए थे. इसकी सूचना पुलिस को दी गई. मौके पर पर पहुंची पुलिस ने तलाशी ली तो उनके पास से सल्फास की गोली मिली. कमरे से सल्फास की तेज दुर्गन्ध भी आ रही थी.

पुलिस को तलाशी के दौरान मृतक के पास से आईडी के साथ एक कागज भी बरामद हुआ. इसमें कुछ लोगों के नाम लिखे हुए थे. उनके नाम के आगे पैसे लिखे हुए थे. मृतक के परिजनों ने बताया की बैंक घोटाला में एसओजी की पूछताछ से झम्मन लाल परेशान चल रहे थे. उन्हें तीन तीन दिन जयपुर में रखकर पूछताछ की जा रही थी.

एसओजी के डीएसपी केके अवस्थी से झम्मन ने आत्महत्या करने के मामले में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी है. आरोपियों को टॉर्चर करने के सवाल पर उन्होंने आरोप को बेबुनियाद बताया. उन्होंने बताया की झम्मन लाल से एसओजी ने तीन दिन पूछताछ की थी, इसके बाद उनको छोड़ दिया गया था.

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बताते चलें कि नोटबंदी के बाद 19 नवंबर को अलवर अरबन कोपरेटिव बैंक के मैनेजर और कर्मचारी एक करोड़ 38 लाख लेकर नए नोटों में बदलने जा रहे थे. तब नाकेबंदी के दौरान पकड़े गए थे. उस वक्त गिरफ्तार कर्मचारियों ने बताया था कि ये नोट चेयरमैन के हैं. उसके बाद इसकी जांच स्पेशल आपरेश ग्रुप को दे दी गई थी.

 

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