
छत्तीसगढ़ में सहकारी बैंको में करीब डेढ़ हजार करोड़ का घोटाला उजागर होने के बाद LIC में भी बड़े पैमाने पर धांधली की बात सामने आई है. CBI द्वारा एलआईसी के 6 कर्मचारियों और एक एजेंट की गिरफ्तारी के साथ इस बैंकिंग धांधली से पर्दा उठा.
सीबीआई के मुताबिक, गिरफ्तार एलआईसी के कर्मचारियों में दो उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हैं. साथ ही इस धांधली में अभी एलआईसी के दर्जन भर और अधिकारियों के संलिप्त होने की आशंका है, जिनकी तलाश में सीबीआई जुट गई है.
सीबीआई के मुताबिक, एलआईसी ग्राहकों को चूना लगाने वाले इस धांधली के तार बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा और रायगढ़ सहित कई जिलों में फैले हुए हैं. सीबीआई ने बताया कि एलआईसी के अधिकारी एजेंटों से साठगाठ कर ग्राहकों की बीमा पॉलिसी का भुगतान अपने खातों में डलवा लेते थे.
इतना ही नहीं कई बीमा धारकों की पॉलिसी को बैंको में रखकर उसके एवज में लोन तक ले लिया गया. सीबीआई ने बताया कि उन्हें प्रारंभीक जांच में धांधली के सुबूत मिले हैं, जिसके आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
सीबीआई का कहना है कि जांच पूरी होने और मुकम्मल कार्यवाही के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि घोटालेबाजों ने आखिर कितनी रकम पर हाथ साफ़ किया है. फिलहाल तीस करोड़ की रकम के हेर फेर होने के प्रमाण मिले हैं.
इस तरह सामने आया घोटाला
दरअसल फाइनेंशियल ईयर खत्म होने की तिथि करीब आने पर कुछ बैंकों ने अपने ग्राहकों को समय पर लोन का भुगतान किए जाने को लेकर रिमाइंडर भेजा. बैंक का पत्र देखकर एलआईसी बीमा धारक हैरत में पड़ गए.
उनके मुताबिक जब उन्होंने कोई लोन ही नहीं लिया तो बैंक ने उन्हें आखिर क्यों तस्दीक किया. बैंक में दस्तक देने के बाद उन्हें पता चला कि उनके द्वारा ली गई बैंक की पॉलिसी को मॉडगेज कर उन्हें लोन जारी किया गया है.
लोन की रकम भी उनके खातों में ट्रांसफर की गई है. बैंक अफसरों ने उन्हें उनके द्वारा सौंपी गई एलआईसी पॉलिसी भी दिखाई. इसके बाद धोखाधड़ी का शिकार हुए ग्राहक बैंक नोटिस लेकर बिलासपुर डिवीजन के एलआईसी दरफ्तर पहुंचे. लेकिन वहां भी उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला.
इस तरह ग्राहकों को चूना लगाते थे LIC अधिकारी
इसके बाद धोखाधड़ी का शिकार हुए ग्राहकों ने सीबीआई के आगे गुहार लगाई. तब जाकर पता चला कि बीमा कराते वक्त एजेंट पॉलिसी धारक की निजी जानकारियों से जुड़े दस्तावेज अपने पास रख लेते हैं.
इसी का फायदा उठाते हुए एजेंटों के जरिए LIC अफसरों ने ग्राहकों को चूना लगाया. ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारियों से जुड़े दस्तावेजों के जरिए नई एलआईसी पॉलिसी जारी कराई जाती और उसे बैंक में जमा कर लोन ले लिया जाता.
ज्यादातर ग्राहकों के नाम पर 5 से 15 लाख रुपये तक का लोन लिया गया है. इतना ही नहीं कई ग्राहकों के एलआईसी पॉलिसी को परिपक्व होने से पहले ही बंद कर रकम निकाल ली गई.
आरोपी अधिकारियों के पास से मिले ये सबूत
ग्राहकों की शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली और कोरबा में एलआईसी के कई कर्मचारियों, अधिकारियों और एजेंटों के अड्डों पर एकसाथ दबिश दी. सीबीआई की टीम में रायपुर और भोपाल के अफसर शामिल थे.
सीबीआई ने भवानी शंकर तिवारी नामक एजेंट के पास से सैकड़ों ग्रहकों के बैंक स्टेटमेंट, पहचान पत्र, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, अंक सूची, फर्जी बांड पत्र और अन्य दस्तावेज बरामद किए.
सीबीआई के मुताबिक, करीब डेढ़ साल से यह गोरखधंधा जारी था. इस बार PNB बैंक घोटाला सामने आने के बाद तमाम बैंक अपने ग्राहकों से लोन वसूली को लेकर जोर दे रहे हैं. इसी सिलसिले में एलआईसी दफ्तर में हुआ घोटाला सामने आ गया.
सीबीआई ने एलआईसी के प्रशासनिक अधिकारी एके कठेरिया, मंडल असिस्टेंट जशकर कुमार, कैशियर राजेंद्र साहू, कैशियर मोहम्मद शहीद, सहायक रमेश देवांगन, अकाउंटेंट मूलचंद और एलआईसी एजेंट भवानी शंकर तिवारी को गिरफ्तार कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है.