
देश के सबसे चर्चित बाटला हाउस एनकाउंटर और सिलसिलेवार हुए बम धमाकों का सच 10 साल बाद सामने आया है. 7 मिनट 18 सेकंड की इंटरसेप्ट कॉल ने पुलिस को बाटला हाउस में बैठे आतंकियों तक पहुंचा दिया था. इस इंटरसेप्ट कॉल ने हवाला से पैसे मंगवाने से लेकर बम रखने की रेकी तक का पर्दाफाश कर दिया था. बाटला हाउस एनकाउंटर 19 सितंबर 2008 की सुबह हुआ था. इससे पहले 13 सितंबर 2008 को दिल्ली सिलसिलेवार बम धमाकों से दहल गई थी.
दिल्ली के करोलबाग, ग्रेटर कैलाश और कनॉट प्लेस में हुए बम धमाकों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. ये धमाके करीब-करीब 50 मिनट के अंदर हुए थे. बम धमाकों की जिम्मेदारी मीडिया को ई-मेल भेजकर एक बार फिर आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली.
बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए थे दो आतंकी
बाटला हाउस मकान नंबर L-18 के अंदर हुए एनकाउंटर में इंडियन मुजाहिदीन का चीफ आतिफ अमीन समेत 2 आतंकी मारे गए थे. कई आतंकियों को गिरफ्तार भी किया गया था. इस दौरान दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा भी शहीद हो गए थे. आतंकियों के पास से लैपटॉप, इंडियन मुजाहिदीन का बैनर और गुजरात व दिल्ली में धमाके के लिए तैयार किए गए बड़े-बड़े बम बरामद हुए थे.
आतिफ अमीन दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ, सूरत, गोरखपुर, बनारस समेत कई शहरों में कोर्ट, ट्रेन और मंदिरों में बम धमाके किए थे. जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी थी. बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद पहली बार आतंक से जुड़े किसी मामले पर सियासत का सिलसिला शुरू हुआ और आतंकियों की गोली से शहीद हुए जाबांज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की शहादत पर भी सवाल उठाए जाने लगे.
एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों को निर्दोष बताया जाने लगा और एनकाउंटर को फर्जी बताया जाने लगा. दिग्विजय सिंह, अमर सिंह और अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने इस पर सवाल उठाया था.
आखिर बाटला हाउस कैसे पहुंचे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा
इस एनकाउंटर के बाद सोनिया गांधी रोई थीं. अब यहां सवाल यह है कि साल 2008 के दिल्ली के बम धमाकों के बाद आखिर वो कौन सी पहली लीड थी, जिसने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा और उनकी टीम को बाटला हाउस के L-18 मकान तक लेकर गई थी. इसका जवाब इंडियन मुजाहिदीन के सरगना आतिफ अमीन के मोबाइल से हुई बातचीत से साफ हो जाएगा.
सिलसिलेवार बम धमाकों से पहले आतंकियों के बीच बातचीत
दिल्ली में सिलसिलेवार बम धमाकों से ठीक 10 दिन पहले यानी 3 सितम्बर 2008 को मोबाइल नम्बर 93118256XY से मोबाइल नम्बर 98110043YZ पर दोपहर के 3 बजकर 12 मिनट पर एक फोन कॉल होती है. ये वो फोन कॉल थी, जो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सर्विलांस सेल में टेप हो रही थी. बातचीत कुछ यूं हो रही थी...
आतंकी आतिफ- हैलो
हवाला- रमेश जी
आतिफ- हां जी
हवाला- सर जी मैसेज है आपका डेढ़ पेटी का
आतिफ- हां जी है तो
हवाला- सर कहां लोगे आप
आतिफ- बटला हाउस
हवाला- बटला हाउस टोकन नम्बर बतला दो
आतिफ- अरे यार एक बात बताओ, आपसे परसों का कहा हुआ है तीन दिन चार दिन हो गए
हवाला- भैया मेरे पास अभी आया है
आतिफ- हां
हवाला- अभी आया है मेरे पास
आतिफ- और दूसरी बात ये है ना
हवाला- हां
आतिफ- आप बच्चों वाले 50-50 के नोट भेज देते हो
हवाला- हां
आतिफ- आप 100-100 की बजाए 500-500 के नोट भेजना
हवाला- हूं
आतिफ- 500-500 के नोट भेजना
हवाला- भैया जैसे मिलेंगे वैसे ही भेजूंगा आप लिखवा दो टोकन नम्बर बतला दो.
आतिफ- 028
हवाला- हां 028
आतिफ- 2 F है 8 नहीं F FOR FRANCE 2 F
हवाला- हां जी
आतिफ- और 858027
हवाला- एड्रेस क्या है अपना
आतिफ- खलीलुल्ला मस्जिद बटला हाउस
हवाला- जी
आतिफ- खलीलुल्ला मस्जिद भेज देना वहीं फोन कॉल करना
हवाला- खलीलुल्ला मस्जिद कहां पर है
आतिफ- वही बटला हाउस स्टैंड पे है
हवाला- बटला हाउस
आतिफ- कब आ रहे हैं
हवाला- भैया ये कहां पड़ेगी खलीलुल्ला मस्जिद
आतिफ- अरे यार बटला हाउस के स्टैंड पे है
हवाला- बटला हाउस के स्टैंड पे
आतिफ- हां
हवाला- ठीक है जी
आतिफ- क्या बोल रहे हो
हवाला- ठीक है जी
आतिफ- कब तक
हवाला- वही शाम तक होगा
आतिफ- शाम तक कब तक कुछ पता है
आतिफ- शाम कोई सात
3 सितम्बर 2008 को फोन पर 2 लोगों के बीच होने वाली इस बातचीत को दिल्ली पुलिस की स्पेशल की टीम ने रिकॉर्ड किया. स्पेशल सेल के अफसरों ने कोड वर्ड में हो रही इस बाचचीत को उस वक्त डिकोड किया, तो समझ आया कि फोन पर हो रही ये बातचीत हवाला के पैसों की हो रही है.
स्पेशल सेल के अफसरों के मुताबिक साल 2008 के पहले उत्तर प्रदेश, जयपुर और गुजरात में हुए बम धमाकों के बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा ने अपनी एक टीम इन तमाम शहरों में भेजी थी और धमाके के आसपास उस दौरान होने वाले तमाम फोन कॉल्स का एक डंप डाटा हासिल कर लिया था.
डंप डाटा से जुटाए गए नम्बरों में से मोबाइल नम्बर 98110043XY और मोबाइल नम्बर 3535410217XY को संदिग्ध पाए गए. लिहाजा इन दोनों नम्बरों को 2 सितम्बर 2008 से सर्विलांस पर लगाकर इन नम्बरों पर होने वाली बातचीत और मैसेज को सुना और पढ़ा जाने लगा.
3 सितम्बर दोपहर 3 बजे होने वाली हवाला के पैसों की बात-चीत आगे जारी रहती है और उसी दिन यानी 3 सितम्बर 2008 को शाम के 6 बजे संदिग्ध मोबाइल नम्बर 9811004309 और हवाला ऑपरेटर के बीच बातचीत कुछ यूं शुरू होती है.
आतिफ- हैलो
हवाला- रमेश जी
आतिफ- हां जी
हवाला- खलीलुल्ला मस्जिद के पास खड़े थे हम
आतिफ- आप खलीलुल्ला पे आये हो
हवाला- हां जी
आतिफ- आप आ गये हो
हवाला- हां आ गये हम
आतिफ- आधे घन्टा वेट करो फिर हां जी
हवाला- हां जी सर
आतिफ- आधा घन्टा वेट करना पड़ेगा
आतिफ- क्योंकि 7 बजे बोला था उसने
हवाला- हां जी
आतिफ- मुझे तो 7 बजे बोला था उसने देने के लिए
हवाला- 7 बजे बोला था उसने
आतिफ- हां लेकिन टोकन नम्बर मेरे पास है आप दे ही नहीं पाओगे मैं इस वक्त आश्रम पर हूं
हवाला- आश्रम पे हो
आतिफ- हां आश्रम से टाइम लगेगा
हवाला- हां चलो आओ जल्दी आओ फिर हम
आतिफ- ये आपका नम्बर है ना
हवाला- हां जी
आतिफ- चलो ठीक है
फोन हो रही इस बातचीत से अब स्पेशल सेल के अफसरों को सब कुछ साफ हो चुका था कि ये बातचीत भारत के बाहर से आने वाले हवाला के पैसों के लेन-देन को हो रही है और हवाला ऑपरेटर से पैसा लेने के लिए दिल्ली के जामिया के बाटला हाउस में बने खलील्लुलहा मस्जिद के पास बुलाया जा रहा है और फिर इसी बाटला हाउस इलाके में हवाला के पैसों की डिलवरी हो जाती है.
आतिफ- हां भाई
हवाला- कहां पर हो
आतिफ- आप कहां पर खड़े हो, गाड़ी पे खड़े हो तो वही
हवाला- जहां ये गाड़िया खड़ी है ना Three wheeler
आतिफ- अ
हवाला- मस्जिद के पास, हां पीछे वाला है
आतिफ- खलीलुल्ला का मेन गेट है ना मेन गेट
हवाला- हां
आतिफ- वहीं पर मैं खड़ा हूं एक आटो खड़ा है एक अदरक बेचने वाला है.
आतिफ- चल आ रहा हूं
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल में सर्विलांस में तैनात पुलिस वाले को इन कॉल्स में कुछ संदिग्ध नहीं लगता इसलिए सर्विलांस में लगे बाकी नम्बरों और दूसरे ऑपरेशन पर पुलिस की टीम लग जाती है. इस दौरान संदिग्ध नम्बरों पर होने वाली बातचीत 10 सितम्बर 2008 यानी दिल्ली में होने वाले सिलसिलवार बम धमाकों से ठीक 3 दिन पहले तक होती रहती है.