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बेंगलुरु: हिंसा से प्रभावित लोगों में अभी भी है डर, खो चुके हैं उम्मीद

चंद्र कुमार और मुन्नेगौड़ा उन लोगों में शामिल हैं, जो 11 अगस्त को बेंगलुरु में हुई हिंसा से प्रभावित थे. इन्होंने घटना वाले दिन के पूरे हालात इंडिया टुडे को बताए. साथ ही इन्होंने कहा कि वो अभी भी डर में रह रहे हैं.

बेंगलुरु में हुई थी हिंसा (फाइल फोटो- पीटीआई) बेंगलुरु में हुई थी हिंसा (फाइल फोटो- पीटीआई)
नोलान पिंटो
  • बेंगलुरु,
  • 20 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

  • बेंगलुरु में 11 अगस्त को हुई थी हिंसा
  • पुलिस लगातार कर रही है कार्रवाई

बेंगलुरु हिंसा मामले में पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. 11 अगस्त को हुई इस हिंसा में संपत्तियों को भी काफी नुकसान पहुंचा था. वहीं हिंसा से प्रभावित लोगों में अभी भी डर बना हुआ. साथ ही उन्हें किसी भी तरह की अब उम्मीद भी नहीं है. चंद्र कुमार और मुन्नेगौड़ा उन लोगों में शामिल हैं, जो 11 अगस्त को बेंगलुरु में हुई हिंसा से प्रभावित थे. इन्होंने घटना वाले दिन के पूरे हालात इंडिया टुडे को बताए. साथ ही इन्होंने कहा कि वो अभी भी डर में रह रहे हैं.

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दरअसल, हिंसा वाले वक्त 11 अगस्त को एक बार में कैशियर के रूप में काम करने वाले चंद्र कुमार को वह जगह बंद करने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि वहां हिंसा शुरू हो चुकी थी. इसके बाद चंद्र कुमार ने जल्दी से बार को बंद कर दिया और घर चला गया. उसका घर उसी इमारत की पहली मंजिल पर था. इसके थोड़ी देर बाद वहां कुछ लोग उसके घर आए और उसे बताया कि उसके बार को जला दिया जाएगा. उन्होंने उसे और उसके परिवार को सुरक्षित रहने के लिए साथ आने का आग्रह किया.

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इसके बाद बार को जला दिया गया. चार बाइकें जो उसके परिवार की थीं और एक अन्य किरायेदार की थी, वो भी जला दी गईं. अब चंद्र कुमार अपनी पत्नी लता के साथ डर में रह रहे हैं. उन्होंने अपने सभी कीमती सामान खो दिए हैं. जिसमें नकदी, सोना और चांदी और उनके घर में रखा फर्नीचर शामिल था. लता ने इंडिया टुडे से कहा, 'हम अभी भी बहुत डर में रहते हैं. अंधेरा होने पर हम घर पर होने से डरते हैं. मेरी बेटी यहां है. देर रात तक बहुत सारे लोग समूह में इकट्ठा होते हैं और यह भयावह है.'

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भीड़ के जरिए बार को जलाए जाने के बाद उपद्रवी उसके घर पहुंचे और वहां तोड़फोड़ की. उन्होंने जो भी कीमती सामान पाया, वह चुरा लिया. जिस बार में चंद्र कुमार काम करते थे, उसमें करीब 60 लाख रुपये का शराब का स्टॉक था. लेकिन अब सब खत्म हो गया. चंद्र कुमार कहते हैं, 'अगर मैं बिल्डिंग रिपेयर की लागत जोड़ दूं तो नुकसान और भी ज्यादा होगा. हम अभी भी डरे हुए हैं, हम नहीं जानते कि आगे क्या होगा. जब तक सब ठीक नहीं हो जाता है, तब तक हमें डर रहेगा.'

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वहीं लगभग 100 मीटर की दूरी पर, मुन्नेगौड़ा के घर पर भी हमला किया गया. सौभाग्य से भीड़ के पहुंचने पर परिवार घर पर नहीं था. भीड़ ने उनकी दो कारों को क्षतिग्रस्त कर दिया और उनकी दो बाइक को जला दिया. साथ ही उपद्रवियों ने घर में तोड़फोड़ की. ज्यादातर उपद्रवी सर्विलांस कैमरों से पकड़े गए और यहां तक कि उपद्रवियों को भुगतान करने वाले एक व्यक्ति को फुटेज में देखा भी गया था.

जब हमला हुआ तब मुन्नेगौड़ा एक स्थानीय मंदिर में थे. उस दौरान उनके बड़े बेटे ने उन्हें फोन किया और उन्हें वहीं रहने के लिए कहा. लेकिन जब सुबह 5.30 बजे मुन्नेगौड़ा घर आया तो उसने तबाही देखी. मुन्नेगौड़ा ने इंडिया टुडे को बताया, 'हमारी मदद के लिए कोई नहीं था. पुलिस स्टेशन को ब्लॉक कर दिया गया था. पुलिस बाहर नहीं आ सकी. हमारे पड़ोसी भी बाहर नहीं आ सके. भीड़ ने उन्हें चाकू और तलवारों से धमकाया.'

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क्या है मामला?

एक फेसबुक पोस्ट को लेकर बेंगलुरु में बीते दिनों हिंसा हुई थी. भीड़ ने कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर और पुलिस स्टेशन पर हमला किया. इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे. भीड़ ने उत्पात मचाते हुए करीब 250 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया था.

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