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सहारनपुर हिंसा: भीम आर्मी के मुखिया रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत

सहारनपुर दंगे के मुख्य आरोपी और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज सभी मामलों में जमानत दे दी है. चंद्रशेखर को दंगे से जुड़े सभी चार मामलों में जमानत मिली है. उस पर सहारनपुर में हत्या के प्रयास, आगजनी और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज था.

भीम आर्मी का मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण भीम आर्मी का मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण
मुकेश कुमार/कुमार अभिषेक
  • इलाहाबाद,
  • 02 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST

सहारनपुर दंगे के मुख्य आरोपी और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज सभी मामलों में जमानत दे दी है. चंद्रशेखर को दंगे से जुड़े सभी चार मामलों में जमानत मिली है. उस पर सहारनपुर में हत्या के प्रयास, आगजनी और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज था.

जानकारी के मुताबिक, इलाहाबद हाई कोर्ट में जस्टिस मुख्तार अहमद की बेंच ने सहारनपुर दंगे के मुख्य आरोपी चंद्रशेखर सभी मामलों में जमानत दे दी. इससे पहले एक अन्य मामले में सेशन कोर्ट से पहले ही उसे जमानत मिल चुकी है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद रावण को जेल से रिहा कर दिया जाएगा.

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इसी साल जून में जातीय हिंसा मामले में भीम आर्मी मुखिया चंद्रशेखर आजाद को यूपी पुलिस ने हिमाचल के डलहौजी से गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. इसके सिर पर 12 हजार का इनाम घोषित था. जातीय हिंसा के बाद वह सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान दे रहा था.

बताते चलें कि भीम आर्मी का पूरा नाम 'भीम आर्मी भारत एकता मिशन' है. पहली बार अप्रैल 2016 में हुई जातीय हिंसा के बाद भीम आर्मी सुर्खियों में आई थी. दलितों के लिए लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले चंद्रशेखर की भीम आर्मी से आसपास के कई दलित युवा जुड़ गए हैं.

यूपी सहित देश के सात राज्यों में फैली इस संस्था में करीब 40 हजार सदस्य जुड़े हुए हैं. चंद्रशेखर आजाद कहता है कि भीम आर्मी का मकसद दलितों की सुरक्षा और उनका हक दिलवाना है, लेकिन इसके लिए वह हर तरीके को आजमाने का दावा भी करते हैं, जो कानून के खिलाफ भी है.

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इस संगठन का केंद्र सहारनपुर का घडकौली गांव है. यहां एक साइन बोर्ड लगा है. इस पर लिखा- 'द ग्रेट चमार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ग्राम घडकौली आपका स्वागत करता है.' जुलाई 2015 में इस भीम आर्मी का गठन किया गया था, लेकिन अप्रैल 2016 में जातीय हिंसा के बाद सुर्खियों में आया.

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