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..जब स्वीपर बना डॉक्टर, टॉर्च की रोशनी में किया ऑपरेशन!

बात करीब 15-16 साल पुरानी है. दिल्ली के एक पार्षद आत्माराम गुप्ता का कत्ल हो गया था. लाश बुलंदशहर जिले में मिली थी. तब वहीं के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर खुले आसमान के नीचे आत्माराम की लाश का पोस्टमार्टम हो रहा था. तब पहली बार एक स्वीपर को पोस्टमार्टम करते देखा गया था. तब सोचा था चलो मुर्दे को क्या पता चीर-फाड़ करने वाला स्वीपर है या डॉक्टर? पर ज़रा सोचें पोस्टमार्टम की जगह ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर के बदले स्वीपर आपका ऑपरेशन करने लगे तो क्या होगा? पर ये हो रहा है.

इस मामले पर ऊपर से लेकर नीचे तक सारे अधिकारी कन्नी काटते रहे इस मामले पर ऊपर से लेकर नीचे तक सारे अधिकारी कन्नी काटते रहे
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST

बात करीब 15-16 साल पुरानी है. दिल्ली के एक पार्षद आत्माराम गुप्ता का कत्ल हो गया था. लाश बुलंदशहर जिले में मिली थी. तब वहीं के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर खुले आसमान के नीचे आत्माराम की लाश का पोस्टमार्टम हो रहा था. तब पहली बार एक स्वीपर को पोस्टमार्टम करते देखा गया था. तब सोचा था चलो मुर्दे को क्या पता चीर-फाड़ करने वाला स्वीपर है या डॉक्टर? पर ज़रा सोचें पोस्टमार्टम की जगह ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर के बदले स्वीपर आपका ऑपरेशन करने लगे तो क्या होगा? पर ये हो रहा है.

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1596 मरीजों पर केवल एक डॉक्टर!

हिंदुस्तान की आबादी सवा सौ करोड़ है. हिंदुस्तान में डॉक्टरों की कुल संख्या 10 लाख 41 हज़ार 395 है. यानी 1596 मरीज़ पर एक डॉक्टर. ये तो रही पूरे देश की तस्वीर. रज्यों की हालत तो और भी बुरी है. मसलन बिहार में तो 28 हज़ार 391 मरीज़ों पर एक ड़ॉक्टर है. अब ज़ाहिर है जब डाक्टरों की ऐसी और इतनी कमी होगी तो अस्पताल और ऑपरेशन थिएटर की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही होगी.

बिना लाइट के सफाईकर्मी ने किया ऑपरेशन

क्या आपने किसी सफ़ाईकर्मी को ऑपरेशन करते देखा है? क्या ऑपरेशन थिएटर में बिना लाइट के ऑपरेशन हो सकता है? डॉक्टर की गैरमौजूदगी में स्विपर बन गया सर्जन. टॉर्च की रोशनी में सफ़ाईकर्मी ने की महिला के हाथ की सर्जरी. ये बस अपने ही देश में हो सकता है. हो सकता क्या हो रहा है. बल्कि हो गय़ा. डाक्टर साहब नहीं थे, तो अस्पताल का सफाई कर्मचारी ही डॉक्टर बन गया. बरसों तक अस्पताल और ऑपरेशन थिएटर में उसने इतनी बार सफाई की कि बस डाक्टरों को ऑपरेश करते देख-देख कर वो डाक्टर बन गया. और फिर मौका मिलते ही डाक्टरी के सारे हर्बे भी आज़मा लिए.

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न डॉक्टर का इंतजार, न बिजली की फिक्र

सड़क हादसे में एक महिला घायल हो गई थी. उसके हाथों में गहरी चोटें आई थीं. घर वाले उसे भागे-भागे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे. मगर इत्तेफाक से तब अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और बिजली तीनों गायब और गुल थे. मौका बढ़िया था. हाथ साफ करने और डॉक्टरी के अपने हुनर को आज़माने का. लिहाज़ा बिना मौका गंवाए स्वीपर की वर्दी में ही इस सफाई कर्चमारी ने हाथों में ग्लवस पहना और सर्जरी शुरू कर दी. ना डाक्टर का इंतजार किया और ना ही बिजली आने का.

टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन

अब बिजली तो थी नहीं, तो ऑपरशन कैसे होता? लिहाज़ा मौके पर मौजूद घायल महिला की चार रिश्तेदारों में से एक ने टॉर्च पकड़ ली. दूसरी ने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाई, तीसरी ने स्विपर से अचानक डॉक्टर बन गए साहब की मदद के लिए घायल महिला का हाथ पकड़ा. बची चौथी तो वो अपनी घायल महिला रिश्तेदार को दिलासा देने में लग गई.

ऑपरेशन की लाइव रिकार्डिंग

अब इलाज शुरू होता है. पहले हाथ के कटे हिस्से को साफ किया जाता है. फिर सुई से टांका लगाने का काम शुरू होता है. और टांके के आखिर में धागे में गांठ बांध कर उसे काट दिया जाता है. ये पूरा ऑपरेशन बाकायदा लाइव रिकार्ड भी हो रहा था. मगर सफाई कर्मचारी को इसकी रत्ती भर परवाह नहीं थी. शायद वो इसका पहले आदी था. क्योंकि बीच-बीच में कई बार वो बाकायदा कैमरे की तरफ भी देखा रहा था.

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सहरसा के सदर अस्पताल का मामला

ये बाक्या बिहार के सहरसा का है. और तस्वीरें सहरसा के सदर अस्पातल की. खाकी वर्दी पहने ऑपरेशन कर रहे इन जनाब का नांम शंभू मलिक है और ये इसी अस्पताल में सफ़ाई कर्मी के तौर पर काम करते हैं. अब एक सफाई कर्मचारी इस तरह डॉक्टर बन कर ऑपरेशन करने लगे तो अस्पताल के डॉक्टरों से सवाल तो बनता ही है. मगर इस बारे में अस्पताल के सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की तो वो ये कह कर कन्नी काट गए कि फिलहाल वो पटना में हैं. अब बारी अस्पताल के डिप्टी सुपरीटेंडेंट से यही सवाल पूछने की थी. तो उन्होंने भी टोपी किसी और के सिर पर पहना दी.

अंधेरगर्दी की मिसाल

वैसे हमें बताया गया कि सदर अस्पताल में अक्सर बिजली गुल रहती है. अंधेरे में पहले भी यहां ऑपरेशन होते रहे हैं. अब ज़ाहिर है जब ऑपरेशन अंधेरे में होंगे तो फिर किसको दिखाई देने जा रहा है कि ऑपरेशन करने वाले डाक्टर हैं, स्विपर या फिर और कोई औऱ? वाकई अंधेरगर्दी है.

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