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जर्मन बेकरी धमाकाः हाईकोर्ट ने बदली आरोपी की सजा

जर्मन बेकरी विस्फोट के आरोपी हिमायत बेग को अब मौत की सजा नहीं मिलेगी. बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अपना फैसला बदल दिया है.

हिमायत जर्मन बेकरी धमाके का मुख्य आरोपी है हिमायत जर्मन बेकरी धमाके का मुख्य आरोपी है
परवेज़ सागर
  • मुंबई,
  • 17 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 7:06 PM IST

बंबई उच्च न्यायालय ने जर्मन बेकरी विस्फोट के आरोपी हिमायत बेग की मौत की सजा को बदल दिया है. अब उसे विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

उम्रकैद में बदली सजा
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को पुणे के जर्मन बेकरी मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य आरोपी हिमायत बेग की सजा को बदल दिया. उसे केवल विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोशी मानते हुए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. जिसमें से हिमायत पांच साल कैद की सजा पहले ही काट चुका है.

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2010 में हुई थी गिरफ्तारी
आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से जुडे हिमायत बेग को सितंबर 2010 में महाराष्ट्र के बीड़ से गिरफ्तार किया गया था. दिसंबर 2010 में जांच अधिकारी ने इस मामले में 2500 पन्नों की रिपोर्ट फाइल की थी. इस रि‍पोर्ट में शेख लालबाबा मोहम्मद हुसैन उर्फ बिलाल बेग के अलावा 6 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया था.

धमाके में हुई थी 17 लोगों की मौत
गौरतलब है कि पुणे की जर्मन बेकरी में 13 फरवरी 2010 को शाम करीब 7:15 बजे एक जोरदार बम धमाका हुआ था. इसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी और कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई थी. जांच में महाराष्ट्र एटीएस ने आईएम से जुडे 6 आतंकियों को इस धमाके का मुख्य साजिशकर्ता बताया था.

आईएम ने रची थी साजिश
जांच एजेंसियों के मुताबिक आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) ने धमाके को अंजाम दिया था. धमाके की साजिश इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी हिमायत बेग ने यासीन भटकल के साथ मिलकर रची थी. धमाके में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, पेट्रोलियम हाईड्रोकार्बन ऑयल, बाल बेयरिंग और आईईडी का इस्तेमाल किया गया था.

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हिमायत को मिली थी फांसी की सजा
एटीएस की चार्जशीट के मुताबिक जर्मन बेकरी में बम यासीन भटकल ने रखा और हिमायत बेग बेकरी के बाहर निगरानी कर रहा था. इस मामले में मास्टरमाइंड हिमायत बेग, शेख लालबाबा मोहम्मद हुसैन उर्फ बिलाल बेग और कतील सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया था. पुणे की यरवदा जेल में दो कैदियों ने कतील सिद्दीकी की हत्या कर दी थी. जबकि हिमायत को फांसी की सजा सुनाई गई थी.

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