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कश्मीर में अफवाह चरम पर, चोटीकटवा समझकर दिमागी रूप से कमजोर युवक को जलाने की कोशिश

कश्मीर के बारामुला ज़िले के सोपोर कस्बे में शुक्रवार की सुबह पुलिस ने एक युवक को बेकाबू भीड़ से तब मुश्किल से छुड़ाया, जब भीड़ में शामिल कुछ उपद्रवी वसीम नामक एक युवा को जलाने की कोशिश कर रहे थे.

बचाया गया युवक बचाया गया युवक
दिनेश अग्रहरि/अशरफ वानी
  • श्रीनगर ,
  • 20 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

कश्मीर के बारामुला ज़िले के सोपोर कस्बे में शुक्रवार की सुबह पुलिस ने एक युवक को बेकाबू भीड़ से तब मुश्किल से छुड़ाया, जब भीड़ में शामिल कुछ उपद्रवी वसीम नामक एक युवा को जलाने की कोशिश कर रहे थे.

वसीम को चोटीकटवा समझकर लोगों ने पहले उसकी पिटाई की और फिर ज़ख़्मी हालत में उसे जलाने की भी कोशिश की. पुलिस ने वसीम को बेकाबू भीड़ से छुड़ाने के लिए बल प्रयोग किया और उसे ज़ख़्मी हालत में भीड़ के चंगुल से निकाला. बाद में पता चला कि वसीम दिमागी तौर पर बीमार है और उसी वजह से वह अलग-अलग इलाको में घूमता रहता है.

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कश्मीर में पिछले डेढ़ महीने से चोटीकटवा की दहशत से अफरा-तफरी मची है. प्रशासन के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो रहा है. इस बीच किसी भी इलाके में किसी भी अनजान को देख कर लोग उसे चोटीकटवा समझ कर पीटने लगते हैं.

अभी तक 12 पर्यटकों सहित 50 से भी ज़्यादा लोग बेकाबू भीड़ के गुस्से का निशाना बन चुके हैं. कश्मीर के विभिन्न भागों में पिछले एक माह में चोटी कटने की 130 से अधिक घटनाएं हुई हैं लेकिन पुलिस इस संबंध में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इन घटनाओं को अंजाम देने वालों को पकड़ने के लिए विशेष जांच दल गठित किए गए हैं. पुलिस ने चोटी काटने वाले का पता देने के लिए 6 लाख की इनामी राशि का ऐलान भी कर रखा है, लेकिन उसके बावजूद अभी पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं आया है. पुलिस का कहना है कि लोग इन मामलों में पुलिस की सहायता नहीं कर रहे.

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शुक्रवार को एक बार फिर अलगाववादी संगठनों ने कश्मीर में प्रदर्शन का आह्वान किया है और प्रशासन को श्रीनगर के अधिकतर इलाकों में धारा 144 लगानी पड़ी. चोटीकटवा पर अब कश्मीर में विपक्षी राजनीति कर रहे हैं और मामले में सरकार की विफलता को कोस रहे हैं. 

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