
बुराड़ी सामूहिक खुदकुशी कांड में अब ऐसा लग रहा है कि परिवार के छोटे बेटे ललित की मानसिक बीमारी ने ही 11 सदस्यों की जान ले ली. ललित एक ऐसी मानसिक बिमारी का शिकार था, जिसकी वजह से उसे सपने में पिता दिखते थे और वो पिता के आदेश का पालन करने की कोशिश करता था. उसके घर से तंत्र मंत्र विद्या से जुड़ी किताबें भी मिली हैं. सबसे अहम बात यह कि पूरा परिवार ललित पर बहुत भरोसा करता था.
जब अध्यात्म नजरिए को अंधा कर दे तो वही होता है जो बुराड़ी के इस घर में हुआ. 11 लोगों की छत से झूलती लाशों के पीछे परिवार के छोटे बेटे ललित की भूमिका की तरफ पुलिस का शक जा रहा है. माना जा रहा है कि ललित ने ही भगवान से साक्षात भेंट की चाहत जगाकर परिवार को सामूहिक खुदकुशी की तरफ धकेल दिया.
पुलिस की जांच में अब शक की सूई ललित की तरफ घूम रही है. ऐसा लग रहा है कि हो न हो ललित मानसिक बीमारी का शिकार था. रिश्तेदारों का कहना है कुछ महीने से ललित अपने पिता की आवाज में बातें करने लगा था. पिता की मौत के बाद उसका दावा था कि पिता उसे दिखाई देते हैं.
ऐसा लग रहा है कि ललित शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर या डिलुशन नाम की बिमारी का शिकार था. इसके शिकार लोगों को लगता है कि उसके कानों में कोई कुछ कह रहा है. इस बीमारी के शिकार लोग दूसरों को भी वही फील करवाना चाहते हैं जो वो कर रहे हैं.
बताया जा रहा है ललित अपने मृत पिता के सपने में आने की बात कहा करता था. ललित के हाथों में कोई रस्सी भी बंधी नहीं मिली थी, जिसके बाद पूरी पड़ताल उसी पर केंद्रित हो गई है. क्राइम ब्रांच ललित के जीवन का इतिहास खंगालने में जुट गई है. पुलिस जानने की कोशिश कर रही है कि-
01. क्या ललित बना मौत का मास्टरमाइंड?
02. ललित के दोस्त कौन- कौन थे?
03. ललित की लाइफस्टाइल क्या थी?
04. ललित के करीब कौन कौन था?
05. ललित का मिलना-जुलना किससे था?
06. ललित फोन पर किस किससे बात करता था?
07. क्या ललित अपने पिता के सबसे करीब था?
08. उसे अपने मृत पिता को देखने के ख्याल कबसे आने लगे?
09. ललित की आवाज़ कैसे गई और कैसे लौटी?
पुलिस को घर में मंदिर के पास जो रजिस्टर मिला है, उसमें एक ही हैंडराइटिंग में नोट्स लिखे हैं. ये लिखाई ललित की ही लग रही है. दिसंबर 2017 से इस रजिस्टर को लिखा जा रहा था, और 26 जून को रजिस्टर के चार पेज एक साथ भरे गए.
हैंडराइटिंग के बारे में लग रहा है कि पूरा परिवार ही ललित की बातों पर भरोसा करता था. ये अनुष्ठान भी ललित के हिसाब से ही किया गया. फांसी के फंदे पर लटकने की क्रिया भी इसी अनुष्ठान का हिस्सा बताई जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक फांसी लगाए जाने के दिन परिवार के कई लोगों ने खाना नहीं खाया.
वैसे जिस तरह घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं और मकान में रेनोवेशन हो रहा था, उससे लग रहा है कि ललित को भरोसा था कि फंदे पर लटक कर भी उन लोगों की जान बच जाएगी. अफसोस कि ये नहीं हुआ और एक भरा-पूरा परिवार उजड़ गया.