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बुराड़ी कांड: मरना नहीं चाहता था यह शख्स, की थी बचने की नाकाम कोशिश

फंदा लगाकर लटकने के बाद परिवार के 11 सदस्यों में से एक सदस्य ने बचने के लिए खूब हाथ-पैर चलाए. उसने फंदा खोलने की कोशिश भी की, लेकिन जिंदा बचने की उसकी सारी कोशिश नाकाम रही.

burari murder mystery: एक शख्स ने की थी बचने की नाकाम कोशिश burari murder mystery: एक शख्स ने की थी बचने की नाकाम कोशिश
अरविंद ओझा/आशुतोष कुमार मौर्य
  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

पूरे देश को दहला देने वाले दिल्ली के बुराड़ी कांड में पुलिस अब तक किसी अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंच पाई है, लेकिन हर दिन कुछ न कुछ नया खुलासा हो रहा है. अब पता चला है कि फंदा लगाकर लटकने के बाद परिवार के 11 सदस्यों में से एक सदस्य ने बचने के लिए खूब हाथ-पैर चलाए. उसने फंदा खोलने की कोशिश भी की, लेकिन जिंदा बचने की उसकी सारी कोशिश नाकाम रही.

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मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने मौके से मिले तमाम सबूतों और साक्ष्यों का अध्ययन करने के बाद कहा कि परिवार के बड़े बेटे भुवनेश उर्फ भुपी ने बचने के लिए फंदा खोलने की कोशिश की थी. पुलिस ने घटना की एक तस्वीर के जरिए यह नया खुलासा किया है.

पुलिस का कहना है कि परिवार के 10 सदस्यों के शव फंदे से लटकते मिले थे, जबकि सबसे बुजुर्ग सदस्य 75 वर्षीय नारायणी देवी फर्श पर मृत पड़ी मिली थीं. फंदे से लटके मिले शवों के आंख पर पट्टी बंधी थी, कान में रूई ठुंसी थी और मुंह भी कपड़े से बंधा हुआ था.

शवों के हाथ-पैर भी बंधे हुए थे और पूरे शरीर पर टेलीफोन का तार बंधा हुआ था, लेकिन तीन सदस्य ऐसे थे जिनके हाथ नहीं बंधे थे और यहीं से पुलिस को सबसे बड़ा सुराग मिला. घटनास्थल से ली गई तस्वीरों को गौर से देखने पर पता चलता है कि भुवनेश फंदे से लटका हुआ तो जरूर है, लेकिन उसका एक हाथ ऊपर की ओर उठा हुआ है.

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पुलिस और फोरेंसिक साइंस एक्सपर्ट के मुताबिक, आखिरी वक्त में भुवनेश ने फंदा हटाने की नाकाम कोशिश की होगी, लेकिन मौत के सामने उसकी हिम्मत सरेंडर कर गई. पुलिस के मुताबिक ऐसा लगता है ललित, भुवनेश और टीना ने सभी के हाथ-पैर और मुंह बांधे थे.

इतना ही नहीं सभी के शरीर को तार से मजबूती से भी बांधा गया था. लिहाजा फंदे पर लटकने के बाद सभी का सीधा मौत से सामना हुआ. चूंकी भुवनेश का हाथ नहीं बंधा था, इसलिए उसने अपना फंदा हटाने की नाकाम कोशिश की.

एक महिला तांत्रिक के संपर्क में था भाटिया परिवार

देशभर को झकझोर कर रख देने वाले बुराड़ी कांड में क्राइम ब्रांच आखिरकार परिवार से जुड़े तांत्रिक तक पहुंचने में सफल हो गई है. यह तांत्रिक एक महिला है, जो खुद को गीता मां कहलवाती है. पुलिस ने बताया कि यह महिला तांत्रिक भाटिया परिवार का घर बनाने वाले कॉन्ट्रैक्टर की बहन है. गौरतलब है कि इस सामूहिक आत्महत्या के मुख्य साजिशकर्ता परिवार के छोटे बेटे ललित ने मौत से पहले अपने कॉन्ट्रैक्टर को ही फोन किया था.

पुलिस ने बताया कि भाटिया परिवार से इस गीता मां नाम की महिला तांत्रिक के ताल्लुकात रहे थे. इस महिला तांत्रिक का दावा है कि वह भूत-प्रेत भगाती है. पुलिस अब इस महिला तांत्रिक से पूछताछ कर रही है.

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पुलिस अब महिला तांत्रिक से यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या उसे भाटिया परिवार की आत्महत्या की योजना के बारे में पता था, क्या कभी ललित या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने इस तरह का कोई संकेत दिया था. पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि गीता माता का तंत्र विद्या में कितना दखल है.

पूरा परिवार 6 दिन से कर रहा था मौत का रिहर्सल

अब तक की जांच में यह पूरा मामला धार्मिक अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र, मोक्ष से जुड़ा लग रहा है और इस पूरे अनुष्ठान के पीछे परिवार के छोटे बेटे ललित का दिमाग माना जा रहा है. पुलिस को घर से ललित की लिखी डायरियां और रजिस्टर मिले हैं, जिनमें इन मौतों के अहम राज छिपे हैं.

ललित की डायरी से ताजा खुलासा मौत की रिहर्सल से जुड़ा है, जिसके तहत यह पता चला है कि मृतक भाटिया परिवार ने 30 जून की रात से पहले 6 दिन तक फंदे पर लटकने का अभ्यास किया था.

ललित द्वारा 30 जून को लिखी गई डायरी से इस बात का खुलासा हुआ है कि परिवार ने मौत के फंदे पर लटकने से पहले 6 दिनों तक इसकी प्रैक्टिस की. इस दौरान वो इसलिए बच जाते थे क्योंकि प्रैक्टिस के दौरान परिवार के लोगों के हाथ खुले रहते थे. हालांकि डायरी में लिखी बात के अनुसार सातवें दिन यानी 30 जून की रात को सिर्फ ललित और उसकी पत्नी टीना के हाथ खुले थे और बाकि सबके हांथ बंधे हुए थे.

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पुलिस को संदेह है कि ललित ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर परिवार के सभी सदस्यों के हाथ बांधे होंगे और सबके लटकने के बाद खुद भी फांसी पर लटक गए होंगे. डायरी के मुताबिक, भाटिया परिवार ने 24 जून से फंदे पर लटकने की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. ललित ने घर वालों को ये यकीन दिला रखा था कि 10 साल पहले मर चुके पिता भोपाल सिंह राठी अब भी घर आते हैं और उससे बाते करते हैं.

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