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CBI को खोजने होंगे प्रद्युम्न की हत्या से जुड़े इन अनसुलझे सवालों के जवाब!

प्रद्युम्न की हत्या में एक नहीं बल्कि कई सवाल ऐसे हैं जिनका पुलिस ने अभी तक जवाब देने की जरूरत नहीं समझी. प्रद्युम्न के घरवाले बार-बार यह कह रहे हैं कि कहीं उसकी हत्या इसलिए तो नहीं हो गई कि उसने कुछ ऐसा देख लिया था जिससे भेद खुलने का डर था. कई अनसुलझे सवाल ऐसे हैं, जिसके बारे में सीबीआई को माथापच्ची करनी होगी.

CBI करेगी प्रद्युम्न हत्याकांड की जांच CBI करेगी प्रद्युम्न हत्याकांड की जांच
बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST

हरियाणा पुलिस कुछ भी दावा करे लेकिन रेयान स्कूल में मासूम प्रद्युम्न की गला रेतकर हत्या किसने और क्यों की, यह सवाल अभी भी लोगों के मन में जस का तस बना हुआ है. शुक्रवार की शाम को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जब प्रद्युम्न ठाकुर के घर जाकर ऐलान किया कि अब मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है, तो घरवालों को यह उम्मीद जगी कि शायद अब उनको सवाल का जवाब मिल जाएगा.

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हरियाणा पुलिस दावा कर रही है कि वह मामले की तह तक पहुंच चुकी है और चार्जशीट लगभग बनकर तैयार है. लेकिन किसी भी केस के खुलासे का मतलब सिर्फ यह नहीं होता कि पुलिस किसी आदमी को सामने खड़ा कर दे जो गुनाह कबूल कर रहा हो. तहकीकात का मतलब होता है कि उस मामले से जुड़े सारे सवालों के संतोषजनक जवाब पुलिस के सामने हों.

प्रद्युम्न की हत्या में एक नहीं बल्कि कई सवाल ऐसे हैं जिनका पुलिस ने अभी तक जवाब देने की जरूरत नहीं समझी. प्रद्युम्न के घरवाले बार-बार यह कह रहे हैं कि कहीं उसकी हत्या इसलिए तो नहीं हो गई कि उसने कुछ ऐसा देख लिया था जिससे भेद खुलने का डर था. कई अनसुलझे सवाल ऐसे हैं, जिसके बारे में सीबीआई को माथापच्ची करनी होगी.

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1. प्रद्युम्न की हत्या 8 सितंबर को हुई थी. उसके 2 दिन पहले रेयान स्कूल में कुछ ऐसा हुआ था जो पहले कभी नहीं होता था. स्कूल की छुट्टी के बाद लगभग सभी बच्चे स्कूल बस में घर जाने के लिए बैठ चुके थे. लेकिन स्कूल बस निकल पाती इससे पहले ही सभी बच्चों से कहा गया कि वह बस खाली करके वापिस अपने क्लास में जाएं. उसके बाद सभी बस के ड्राइवरों को स्कूल के भीतर बुलाया गया था और उनसे कुछ बातचीत की गई थी. स्कूल बस दोबारा 1 घंटे बाद चली थी. आखिर स्कूल बस को चलने से ठीक पहले क्यों रोका गया था और ड्राइवरों को बुलाकर क्या पूछताछ की गई थी? बसों को अचानक किसने रुकवाया था और उसकी वजह क्या थी?

2. पुलिस दावा कर रही है कि प्रद्युम्न जब टॉयलेट में गया था तब उसने बस के कंडक्टर अशोक को आपत्तिजनक हालत में देख लिया. पुलिस के मुताबिक अशोक ने प्रद्युम्न के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की और ऐसा नहीं कर पाने के बाद मामला खुल जाने के डर से उसकी गला रेतकर हत्या कर दी. लेकिन पुलिस केस कहानी में कई खामियां हैं. दुष्कर्म करने की बात को तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने ही खारिज कर दिया. अगर पुलिस की बात को सच मानें कि कंडक्टर अशोक सचमुच टॉयलेट में हस्तमैथुन कर रहा था, तो यह बात भी पक्की होगी कि उसने टॉयलेट का दरवाजा भीतर से बंद किया होगा. अगर वह भीतर से कुंडी लगाना भूल भी गया तो भी उसने दरवाजा का पल्ला बंद किया होगा इसमें कोई शक नहीं हो सकता.

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एक बस का कंडक्टर स्कूल के टॉयलेट में जब बच्चों के आने जाने का समय हो दरवाजा खोलकर ऐसा नहीं करेगा. पुलिस के मुताबिक जब दरवाजा खोला तो उसने अशोक को ऐसा करते हुए देख लिया. लेकिन सवाल यह है कि प्रद्युम्न ने टॉयलेट का दरवाजा आखिर खोला ही क्यों होगा? स्कूल के जिस टॉयलेट के भीतर उसकी हत्या हुई उसके दो हिस्से हैं. बाहर खुले में पेशाब करने के लिए यूरिनल लगे हैं और उनके सामने बंद दरवाजे वाले केबिन बने हैं, जिसमें इंडियन सीट लगे हैं. जिस समय प्रद्युम्न की हत्या हुई उसके कंधे पर स्कूल का बैग था. इसका मतलब यह हुआ कि वह सिर्फ पेशाब करने के लिए टॉयलेट गया था और उसे पॉटी करने वाले केबिन का दरवाजा खोलने की कोई जरूरत नहीं थी. यह बात मानी ही नहीं जा सकती कि अगर प्रद्युम्न को पेशाब नहीं पॉटी करनी थी तो वह आखिर पीठ पर बैग लादकर टॉयलेट क्यों जाता? यह सवाल और भी महत्वपूर्ण इसीलिए है क्योंकि प्रद्युम्न का क्लास टॉयलेट से चंद कदम ही दूर था और अगर वह चाहता तो अपना बैग क्लास में रहकर टॉयलेट जा सकता था. पुलिस ने पास अभी इसका कोई जवाब नहीं है.

3. पुलिस का कहना है कि अशोक के पास जो चाकू मिला वो बस के टूलकिट का हिस्सा था. बसों के टूल किट में आमतौर पर चाकू नहीं होता. खासतौर पर वैसा चाकू जिससे हत्या की गई. सूत्रों के मुताबिक उस चाकू के ऊपर स्टीकर भी लगा हुआ था इसका मतलब यह हुआ कि उसे हाल में ही खरीदा गया था. अशोक ने चाकू कब और कहां से खरीदा इसका पता करने की भी पुलिस ने कोशिश नहीं की है.

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4. पुलिस की यह दलील भी समझ के परे है कि अशोक चाकू को धोने के लिए टॉयलेट में लेकर गया था. टूलकिट के तमाम औजारों में से आखिर चाकू को ही धोने की जरूरत क्यों थी? क्या वह टूलकिट के दूसरे औजार भी धोने के लिए लाया था? अगर नहीं तो सिर्फ चाकू ही क्यों? स्कूल में टॉयलेट से पहले भी दो जगह ऐसे हैं जहां पानी के नल लगे हैं. एक जगह पर पाइप भी लगा है जिससे ड्राइवर कंडक्टर बस धोते हैं. चाकू धोने के लिए अशोक ने टॉयलेट के नल का ही इस्तेमाल क्यों किया? पुलिस ने इस बात की कोई तहकीकात नहीं की है कि क्या इससे पहले भी दूसरे कंडक्टर अपने टूल किट का सामान धोने के लिए बच्चों के टॉयलेट का इस्तेमाल करते थे?

5. पुलिस की कहानी के मुताबिक, अशोक ने अपने कपड़े पर खून के दाग छुपाने के लिए गला काटने के बाद प्रद्युम्न को गोद में उठा लिया था ताकि किसी को उसके कपड़ों पर खून के दाग के बारे में शक नहीं हो. पूछताछ में स्कूल की टीचर ने भी कहा कि उन्होंने प्रद्युम्न को अशोक की गोद में देखा था. ऐसी हालत में स्कूल की कोशिश यही रही होगी कि जल्दी से जल्दी उसे गाड़ी में लादकर अस्पताल पहुंचाया जाए. लेकिन कुछ ऐसा हुआ जो शक पैदा करता है. प्रद्युम्न को उठाकर अशोक स्कूल के रिसेप्शन तक तो आया लेकिन अस्पताल नहीं आया. रिसेप्शन से स्कूल के एक चपरासी ने उसे अपनी गोद में उठाकर गाड़ी में बिठाया. अशोक को उसके बाद स्कूल ने वहीं पर रोक लिया और पुलिस को खबर दी. अगर चपरासी प्रद्युम्न को लेकर अस्पताल जा सकता था तो कंडक्टर अशोक क्यों नहीं? आखिर स्कूल ने अशोक को किस वजह से अपने पास ही रोक लिया?

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6. जिस टॉयलेट में प्रद्युम्न की हत्या हुई उसकी खिड़की का सरिया इस तरह से काटा गया है कि किसी के वहां से निकलने की जगह बन गई है. खास बात यह है कि खिड़की का सरिया जंग लगकर खराब नहीं हुआ है बल्कि ब्लेड से काटा गया लगता है. टॉयलेट की खिड़की का सरिया किसने और क्यों काटा पुलिस ने इस बारे में स्कूल के अधिकारियों से गहराई से पूछताछ करने की जरूरत नहीं समझी.

यह सवाल ऐसे हैं जिनका पुलिस ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है. क्या प्रद्युम्न की हत्या की पहले से ही साजिश की गई थी और उसे जबरदस्ती किसी ने स्कूल के टॉयलेट में खींच लिया? प्रद्युम्न के घरवालों को उम्मीद है कि सीबीआई की जांच में इन सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा.

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