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रिंग टोन की वजह से गई महिला की जान, शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर इलाके में पुलिस का गुणगान करने वाली रिंग टोन मोबाइल में लगाना एक महिला को भारी पड़ गया. इस रिंग टोन के चलते नक्सलियों ने बेरहमी से उस महिला की हत्या कर दी. परिजनों ने खामोशी से उस महिला का अंतिम संस्कार भी कर दिया था. लेकिन जानकारी होने पर पुलिस ने उसका शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम कराया है.

पुलिस मामले की छानबीन कर रही है पुलिस मामले की छानबीन कर रही है
परवेज़ सागर/सुनील नामदेव
  • बस्तर,
  • 04 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:14 PM IST

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर इलाके में पुलिस का गुणगान करने वाली रिंग टोन मोबाइल में लगाना एक महिला को भारी पड़ गया. इस रिंग टोन के चलते नक्सलियों ने बेरहमी से उस महिला की हत्या कर दी. परिजनों ने खामोशी से उस महिला का अंतिम संस्कार भी कर दिया था. लेकिन जानकारी होने पर पुलिस ने उसका शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम कराया है.

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महिला का नाम सरिता था. वह मर्दापाल थाना क्षेत्र के कोकोडी गांव की रहने वाली थी. सरिता आंगनवाड़ी में काम करती थी. एसडीएम की मौजूदगी में सरिता का शव कब्र से निकाला गया. इससे पहले खेत में बनी उसकी कब्र खोदी गई. हफ्ते भर में कब्र में रहने की वजह से उसकी लाश क्षत-विक्षत हो चुकी थी.

फॉरेंसिक टीम भी मौके पर मौजूद थी. लिहाजा उसके शव को एंबुलेंस में रखकर बस्तर के मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां डॉक्टरों की टीम ने उसका पोस्टमार्टम किया. हालांकि अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है. बस्तर रेंज के आईजी के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलते ही नक्सलियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया जाएगा.

पुलिस के मुताबिक सरिता की हत्या में शामिल आठ कुख्यात नक्सलियों की पहचान भी कर ली गई है. सरिता का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने जय बस्तर पुलिस की स्वर लहरी वाला रिंगटोन अपने मोबाइल पर लगा रखा था. दो माह पहले ही सरिता ने इस रिंगटोन को डाउनलोड करके अपने फोन में सेट किया था.

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किसी नक्सली कार्यकर्ता ने इसकी जानकारी हार्डकोर नक्सलियों को दे दी. फिर क्या था, इस महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जान से मारने का फरमान सुना दिया गया. इसी चलते नक्सलियों के एक दल ने 23 अप्रैल की रात सरिता को उसके घर से बाहर निकाला और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी.

ग्रामीणों के बीच नक्सलियों की इतनी दहशत है कि आज तक किसी ने इस घटना की जानकारी पुलिस को नहीं दी. यहां तक कि सरिता के परिजनों ने भी नहीं. हफ्ते भर से सरिता के आंगनबाड़ी दफ्तर में नहीं आने से सहकर्मियों ने उसकी खोज खबर ली. जब किसी ने उन्हें दबी जबान से बताया कि जय बस्तर पुलिस की कॉलर ट्यून लगाने पर उसकी हत्या कर दी गई है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ ने इसकी सूचना कोंडागांव जिले एसपी को दी. इसके बाद पुलिस हरकत में आई है.

पुलिस के मुताबिक सरिता का सगा भाई रमेश खुद भी नक्सली समर्थक है. वह भी घटना के समय वहां मौजूद था. उसने अपनी बहन को छोड़ने की कई बार गुहार लगाई थी, लेकिन नक्सलियों ने उसकी एक ना सुनी. उन्होंने सरिता से मोबाइल फोन मांगा और उसकी पड़ताल शुरू कर दी. सरिता के मोबाईल फोन के कॉन्टेक्ट लिस्ट में नक्सलियों को एक स्थानीय युवक का नंबर भी मिला, जो पुलिस विभाग में गोपनीय सैनिक के तौर पर काम कर रहा था.

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इस युवक का नंबर मिलने के बाद नक्सलियों ने आउटगोइंग नबरों की पड़ताल की और सरिता को पुलिस मुखबिर करार दे दिया. मौके पर मौजूद सरिता के परिजनों पर भी बंदूक तान दी गई. फिर एक नक्सली ने सरिता का गला दबा दिया, जिसकी वजह से वह तड़प कर मर गई

घटना की तस्दीक होने के बाद महिला और बाल विकास विभाग ने फ़ौरन 50 हजार रुपये की आर्थिक मदद सरिता के परिजनों को दी. ताकि उसका विधिवत दफन कफ़न किया जा सके. बताते चलें कि बस्तर पुलिस ने अपने जवानों का मनोबल बढ़ाए रखने के लिए 'जय बस्तर पुलिस' नाम से एक कॉलर ट्यून और रिंगटोन बनाई है. जिसमें पुलिस कर्मियों के साहस और बलिदान को नमन किया गया है.

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