
बीजापुर के जंगल में इनामी नक्सली हिडमा के होने की सूचना के आधार पर कार्रवाई के लिए सुरक्षबलों का जाना अब साजिश लगने लगी है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जिस इलाके में कार्रवाई के लिए सुरक्षाबल के जवान पहुंचे थे वहां पहले से ही हथियारों के साथ नक्सली तैयार बैठे थे.
सुरक्षाबलों के साथ नक्सलियों की हुई मुठभेड़ के दौरान तकरीबन तीन घंटे तक लगातार गोलियां चलीं. इस दौरान कुल 22 जवान शहीद हो गए जबकि एक जवान अब भी लापता है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ऐसा कम ही देखा गया है जब इतना सटीक इंटेलिजेंस इनपुट मिले. अगर यह साजिश थी तो यह काफी बड़ा मसला है. घटनास्थल वाले इलाके में नक्सली पहले से घात लगाए बैठे थे. इससे साजिश की बू आती है.
सूत्रों के मुताबिक 10 दिन पहले से ऐसे इनपुट सामने आ रहे थे कि नक्सली कमांडर हिडमा जोनागौडा इलाके में मौजूद है. उसे पकड़ने के लिए ऑपरेशन लॉन्च किया गया. अबतक 22 जवान शहीद हुए हैं और कई नक्सली भी मार गिराए गए हैं. आधिकारिक तौर पर यह भी कहा गया है कि कुछ जवानों की मौत डिहाईड्रेशन की वजह से हुई है. कई जवान अपने साथ ले गए खाद्य सामाग्री और पानी का बोझ घायल जवानों को अपने ऊपर लादने के लिए नीचें फेंक दिया था.
एनकाउंटर लंबा चला जिसके बाद उनके पास खुद को हाइड्रेट करने के लिए कुछ नहीं बचा था. एनकाउंटर काफी करीब से हुआ. एक इंस्पेक्टर के हाथ भी काटे जाने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर ने अपनी गन रिलोड करने के लिए रुके तो नक्सली ने उनके हाथ काट दिए और फिर मौत के घाट उतार दिया.
अधिकारियों का कहना है कि इस एनकाउंटर के बाद एक चीज और साफ हो गई है कि नक्सली अब खुद को सिर्फ आईईडी ब्लास्ट के हमले पर निर्भर नहीं रख रहे हैं. ये नक्सली बंदूकों से लड़ी जाने वाली लंबी लड़ाई के लिए भी खुद को तैयार कर रहे हैं.
हमले के पीछे हिडमा की भूमिका अस्पष्ट!
इस हमले के पीछे हिडमा का ही हाथ है यह अभी स्पष्ट नहीं है. पिछले महीने हिडमा के मूवमेंट के बाद से सुरक्षाबल एलर्ट पर थे. रिपोर्ट के मुताबिक उसके साथ पीजीएलए बटालियन -1 के 100-120 नक्सली मौजूद थे. वहीं बीजापुर के इलाके में ही 60-80 नक्सली जवान चंद्रणा भी इस इलाके में घूमते देखा गया था. हिडमा कई नक्सली हमलों में शामिल रहा है. उसपर 25 लाख का इनाम है.