
गुजरात के सूरत में कोचिंग सेंटर की इमारत में आग लगने की घटना में 22 मासूम छात्रों की मौत के बाद दिल्ली सरकार हरकत में आ गई है. सूरत आग्निकांड से सबक लेते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ऐसी किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए सोमवार को इमारतों से संबंधित कई आदेश जारी किए हैं.
दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों के साथ बैठक के बाद नए निर्देश जारी किए हैं. इसके मुताबिक अब किसी भी इमारत की छत पर रसोई बनाना या वहां रसोई से संबंधित किसी भी क्रियाकलाप पर पूरी तरह से बैन है. सिर्फ इमारत की छत ही नहीं, बल्कि उसके बेसमेंट के हिस्से में भी अब खाना बनाने या रसोई बनाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया गया है. दिल्ली सरकार के नए दिशा निर्देशों के मुताबिक अब किसी भी इमारत की छत पर किसी भी तरह के ज्वलनशील पदार्थ के संग्रह पर रोक रहेगी, जिसमें पेट्रोल-डीजल भी शामिल हैं.
निर्माण कार्य में इस्तेमाल की जाने वाली ज्वलनशील सामग्रियों का इस्तेमाल इमारत के गलियारों, लकड़ी की सीढ़ियों और लकड़ी के साथ-साथ फोम के पैनल बनाने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. 4 मंजिल से ज्यादा ऊंची इमारतों में गेस्ट हाउस बनाने के लिए अग्निशमन विभाग एनओसी नहीं देगा. अग्निशमन विभाग को सभी फ्लोर का नक्शा देना होगा और कार्बन मोनोऑक्साइड गैस डिटेक्टर इंस्टाल करना अनिवार्य होगा. कॉरिडोर या सीढ़ियों के पास वेंटीलेटर लगाना भी जरूरी होगा. इसके साथ ही इमारतों में आग बुझाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था के साथ-साथ भूमि के निकासी का बंदोबस्त भी होना जरूरी है.
ये ताजा निर्देश तत्काल प्रभाव से पूरे राजधानी क्षेत्र में लागू होंगे. इमारत उपकानून के तहत जारी इन दिशा निर्देशों को लागू करवाने के पीछे केजरीवाल सरकार की मंशा है कि राजधानी दिल्ली में सूरत जैसी किसी भी घटना को रोकना है. आपको बता दें कि दिल्ली के कई इलाकों में इमारतें बेहद सकरी गलियों में हैं और जहां आए दिन आग लगने की घटनाएं सामने आती रहती हैं.