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...तब राम रहीम के डेरे को बर्बाद करने की हनीप्रीत ने खाई थी कसम!

पुरानी कहावत है कि चोर को मारे खांसी, पहलवान को मारे बासी, और बाबा को मारे दासी. यही हुआ बाबा राम रहीम के साथ. डेरा आने के बाद शुरुआती दिनों में हनीप्रीत बाबा की एक आम दासी जैसी ही थी. मगर फिर देखते ही देखते दासी से खास और फिर पूरी खासमखास हो गई. इतनी कि बाबा ने मुंहबोली बेटी का पूरा मतलब ही बदल कर रख दिया.

राम रहीम की करीबी हनीप्रीत राम रहीम की करीबी हनीप्रीत
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

पुरानी कहावत है कि चोर को मारे खांसी, पहलवान को मारे बासी, और बाबा को मारे दासी. यही हुआ बाबा राम रहीम के साथ. डेरा आने के बाद शुरुआती दिनों में हनीप्रीत बाबा की एक आम दासी जैसी ही थी. मगर फिर देखते ही देखते दासी से खास और फिर पूरी खासमखास हो गई. इतनी कि बाबा ने मुंहबोली बेटी का पूरा मतलब ही बदल कर रख दिया.

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हनीप्रीत के पूर्व पति विश्वास गुप्ता ने तो बाबा की काली करतूतों के राज खोले ही हैं लेकिन अब इस पूरे मामले का एक और चश्मदीद सामने आया है जो उस रात का गवाह है जब शादी के बाद पहली बार हनी बाबा बाबा की गुफा में गई थी. गुरदास सिंह राम रहीम के ड्राइवर रहे खट्टा सिंह के बेटे और हनीप्रीत और राम रहीम के रिश्तों के एक अहम चश्मदीद हैं.

गुरदास की मानें तो ये राम रहीम ही था, जिसने पहली बार हनीप्रीत पर बुरी नज़र डाली थी. उसने हनीप्रीत की शादी करवाई और शादी के फौरन बाद एक रात उसको अपनी गुफा में बुला लिया. गुरदास उस रात अपने एक कजन के साथ गुफा के बाहर ड्यूटी पर तैनात था. उस रोज़ उसे पहली बार शक हुआ था कि राम रहीम हनीप्रीत के साथ गलत करने जा रहा है. उसकी अपने कज़न के साथ इसको लेकर शर्त भी लगी और अगली रोज सुबह जो कुछ हुआ, उससे उसकी बात सही साबित हुई.

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अगली सुबह हनीप्रीत बाबा की गुफ़ा से रोती हुई बाहर निकली थी. उन दिनों खुद हनीप्रीत के दादा डेरे के खजांची हुआ करते थे. हनीप्रीत सीधे दादा के पास गई. हनीप्रीत की ये हालत देख कर तब उसके दादा ने डेरे में काफी हंगामा किया और राम रहीम के खिलाफ खुल कर बोलने लगे. लेकिन उन्हें तब हथियारों के दम पर चुप करा दिया गया.

इस वाकये के फौरन बाद हनीप्रीत डेरा छोड़ कर अपने घर फतेहाबाद के लिए निकल गई. लेकिन तब बाबा के कुछ गुर्गों ने हनीप्रीत का पीछा किया और हथियारों के दम पर उसे रास्ते में ही एक ढाबे से उठा कर डेरे पर वापस ले आए. कहते हैं यही वो दिन था, जब हनीप्रीत ने कसम खाई थी कि वो बाबा को बर्बाद करके दम लेगी.

गुरदास को अब लगता है कि राम रहीम की इस तबाही के पीछे शायद हनीप्रीत की वो कसम ही है. क्योंकि ये हनीप्रीत ही है, जिसने राम रहीम को फिल्मों का चस्का लगाया, संत का चोला उतार कर राम रहीम हनीप्रीत के कहने पर ही डिज़ाइनर बाबा बन गया और हर वो काम करने लगा, जो संत की गरिमा के उलट था.

वैसे हनीप्रीत बेशक राम रहीम की तबाही की वजह बनी हो, लेकिन सच्चाई तो ये है कि वो अपनी तबाही का जिम्मेदार खुद ही है. संत की गद्दी पर बैठने के बावजूद राम रहीम के क़दम पहले दिन से ही बहके हुए थे. राम रहीम ब्लू फिल्मों का शौकीन था. उसके लिए डेरे में अलग से कैसेट मंगवाई जाती थीं और तो और डेरे में एक साध्वी जब उससे खुल गई तो उसने उसी साध्वी के जरिए डेरे की लड़कियों का शोषण करने की शुरुआत की और माफी दिलाने के नाम पर स्कूल खोल कर लड़कियों के साथ रेप करने लगा.

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