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गैंग्स ऑफ वासेपुर रिटर्न? अदावत में धुंआ-धुंआ हुआ धनबाद

कोयलांचल का कोयला एक बार फिर सुलग उठा है. जी हां. वही कोयला जिसे लोग यहां काला सोना भी कहते हैं. उसी सुलगते कोयले ने इस बार शहर में ऐसा कोहराम मचाया है कि चार लाशें तो गिर गईं. अब डर ये है कि पलटवार में क्या होगा? मंगलवार को धनबाद में एक ऐसा शूटआउट हुआ जिसने कुछ साल पहले आई फिल्म गैंग्स आफ वासेपुर की कहानी ताजा कर दी. इत्तेफाक से जहां शूटआउट हुआ वहां से वासेपुर की दूरी ज्यादा नहीं है.

शूटआउट ने फिल्म गैंग्स आफ वासेपुर की कहानी कर दी ताजा शूटआउट ने फिल्म गैंग्स आफ वासेपुर की कहानी कर दी ताजा
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

कोयलांचल का कोयला एक बार फिर सुलग उठा है. जी हां. वही कोयला जिसे लोग यहां काला सोना भी कहते हैं. उसी सुलगते कोयले ने इस बार शहर में ऐसा कोहराम मचाया है कि चार लाशें तो गिर गईं. अब डर ये है कि पलटवार में क्या होगा? मंगलवार को धनबाद में एक ऐसा शूटआउट हुआ जिसने कुछ साल पहले आई फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर की कहानी ताजा कर दी. इत्तेफाक से जहां शूटआउट हुआ वहां से वासेपुर की दूरी ज्यादा नहीं है.

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फिल्म में बम मार कर पूरे इलाके को धुआं-धुआं करने की धमकी दी गई थी. जबकि हकीकत में इतनी गोलियां बरसाई गईं कि सचमुच कुछ देर के लिए मौका-ए-वारदात पूरी तरह से धुआं-धुआं ही हो गया था. गोलियों के खोखों से निकलने वाले धुएं से. धनबाद के एक छोटे से मोहल्ले का नाम वासेपुर है. इस पर फिल्म गैंग्स ऑफ वसेपुर बनी थी. इससे कुछ ही दूरी पर धनबाद के डॉन, कोयल किंग और बाहुबली सूरज देव सिंह का घर है.

कहते हैं कि सूरज देव सिंह के इर्द-गिर्द ही गैंग्स ऑफ वासेपुर की कहानी बुनी गई थी. उन्हीं सूरज देव सिंह के घर के बिल्कुल सामने किराए के चार कातिल करीब दस मिनट तक पचास राउंड गोलिय़ां चलाते हैं. उस गाड़ी पर जिसके अंदर सूरजदेव सिंह का भतीजा और धनबाद का पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह बैठा था. 17 गोली तो अकेले नीरज सिंह को लगती है. जबकि बाकी गाड़ी में बैठे उसके तीन दोस्तों को. वो तीनों भी बच नहीं पाए.

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गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 का क्लाइमेक्स सीन
चश्मदीदों की मानें तो गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट टू के क्लाइमेक्स का मंज़र सड़क पर था. बस फिल्म में सीन कमरे के अंदर बाथरूम में फिल्माया गया था और हकीकत में सड़क पर. मगर दोनों ही जगह एक चीज़ एक जैसी थी. वो गोलियों का बरसना. इस तरह इस सीन में बंदूक पर बंदूक खाली हो रहा है, ठीक उसी तरह नीरज सिंह की गाड़ी पर भी सारे तमंचे खाली कर दिए गए. कहते हैं कि इससे पहले भी कई बार ऐसे शूटआउट देखा जा चुका है.

फिल्मी है इस अदावत का सिलसिला
इसे इत्तेफाक कहेंगे या फिर फिल्म का असर कि पर्दे पर और परदे के बाहर के खूनखराबे में कई चीजें बेहद मिलती-जुलती थीं. मसलन वहां एक सफेद कार थी. फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में काली एसयूवी है. रियल में कत्ल से पहले मुखबिरी हुई. यहां भी वारदात से पहले ख़बर लीक की गई. वहां दुश्मनी पुरानी थी. यहां भी अदावत का सिलसिला पुराना है. वहां शिकार को गोलियों से भून दिया गया. यहां भी शिकार पूरी तरह छलनी पड़ा था.

कोयले के कारोबार का बड़ा महारथी
बताया जा रहा है कि 21 मार्च की शाम करीब 7 बजे नीरज सिंह अपना काम निपटा घर लौट रहे थे. नीरज शहर के पूर्व डिप्टी मेयर तो थे ही कांग्रेस के कद्दावर लोगों, इलाके के बाहुबलियों और कोयले के कारोबार के बड़े महारथी में भी उनकी गिनती होती थी. लेकिन अपने मकान से चंद फर्लांग की दूरी पर मेन रोड पर बने इन पंद्रह स्पीड ब्रेकरों पर जैसे ही उनकी काले रंग की एसवीयू धीमी हुई, अचानक अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी.

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गोलियों की आवाज से गूंज उठा शहर
पूरा का पूरा इलाका करीब 10 मिनट तक गोलियों की आवाज़ से गूंजता रहा. कातिल नीरज सिंह के कत्ल के लिए कितनी तैयारी से आए थे, इसका अंदाज़ा सिर्फ़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने ना सिर्फ कत्ल के लिए स्पीड ब्रेकर वाली जगह को चुना, बल्कि नीरज को मारने से पहले ड्राइवर को निशाना बनाया, ताकि वो गाड़ी लेकर भाग ना सके. इसके बाद नीरज को 17 गोलियां मारीं. उनके दोस्तों को भी गोली मारी गई.

गैंगवार-पलटवार से घबराई पुलिस
नीरज सिंह समेत उनकी गाड़ी में निढाल पड़े कुल पांच लोगों को आनन-फ़ानन में उठा कर अस्पताल ले जाया गया. लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही इनमें से नीरज समेत चारों की जान जा चुकी थी. ये खबर पूरे धनबाद शहर में आग की तरह फैली और देखते ही देखते पूरे शहर में सन्नाटा पसर गया. बाज़ार बंद हो गए. किसी बदले की कार्रवाई या गैंगवार की से घबराए शासन-प्रशासन ने पूरे शहर में पुलिस तैनात कर दिया.

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