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अच्छे खाने का लालच देकर आश्रम संचालक ने सगी बहनों से किया रेप

मध्य प्रदेश के खंडवा में खाने का लालच देकर दो सगी बहनों के साथ रेप की सनसनीखेज वारदात सामने आई है. निशक्त लोगों के लिए बने एक आश्रम में मानसिक रोगी दो नाबालिग सगी बहनों को आश्रम संचालक ने अपनी हवस का शिकार बनाया. पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

मध्य प्रदेश के खंडवा में हुई वारदात मध्य प्रदेश के खंडवा में हुई वारदात
मुकेश कुमार
  • भोपाल,
  • 15 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:11 AM IST

मध्य प्रदेश के खंडवा में खाने का लालच देकर दो सगी बहनों के साथ रेप की सनसनीखेज वारदात सामने आई है. निशक्त लोगों के लिए बने एक आश्रम में मानसिक रोगी दो नाबालिग सगी बहनों को आश्रम संचालक ने अपनी हवस का शिकार बनाया. पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

नगर पुलिस अधीक्षक एसएन तिवारी ने बताया कि पीड़ित बहनों की उम्र 13 और 15 साल है. दोनों मानसिक रोगी हैं. आश्रम संचालक पूनमचंद मालवीय (60) ने रविवार की रात को 13 साल की मानसिक रोगी बालिका को आश्रम स्थित अपने कमरे में बुलाया. पहले जब वह नहीं आई तो अच्छा खाने का लालच दिया.

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इसके बाद आरोपी ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. देर रात नाबालिग लड़की मौका देखकर आश्रम का पांच फुट का गेट फांदकर भाग निकली. वह सीधे थाने पहुंची. उसकी आपबीती सुनकर पुलिस वाले भी दंग रह गए. इसके बाद पीड़िता की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ.

इसी बीच महिला पुलिस उपनिरीक्षक सोनू सितोले ने बताया कि दोनों बहनों के साथ आरोपी द्वारा आश्रम में रेप किया गया है. उनकी व्यथा सुनने के बाद आरोपी संचालक के खिलाफ आपीसी की की धारा 376 और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. दोनों बहनों की मेडिकल जांच करवाई गई, जिसमें रेप की पुष्टि हुई है.

बताते चलें कि भोपाल में एक पुलिसकर्मी दंपति की बेटी के साथ एक नवंबर की रात को गैंगरेप हुआ था. इस मामले में तीन थाना प्रभारी एमपी नगर थाने के प्रभारी संजय सिंह बैस, हबीबगंज थाने के प्रभारी रविंद्र यादव, जीआरपी हबीबगंज के थाना प्रभारी मोहित सक्सेना, दो उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) टेकराम और उइके को निलंबित किया जा चुका है.

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इस वारदात को अंजाम देने वाले चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन पुलिस की लापरवाही सामने आई थी. पीड़िता ने कहा था कि कोई भी अपराधी दोबारा ऐसा करने का साहस न करे, इसलिए कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, उन्हें मार देना चाहिए, चौराहे पर फांसी की सजा दी जानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों.

पीड़िता ने कहा था कि सबसे बुरा रवैया तो पुलिस का रहा, जोकि उन्हें एक थाने से दूसरे थाने भटकाती रही. उसने कहा था, 'मेरे माता-पिता पुलिस में हैं और हमें इस स्थिति से गुजरना पड़ा, तो आम आदमी किन स्थिति का सामना करता होगा, इसे समझा जा सकता है. अफसोस है कि आरोपी को पुलिस ने पकड़ लिया, लेकिन समय पर केस दर्ज नहीं किया.'

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