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ड्रग्स बेची, रंगदारी के आरोप, लेकिन शानदार रिकॉर्ड की वजह से बचता रहा DSP देवेंद्र सिंह

1990 के दशक में देवेंद्र सिंह 10 साल तक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के साथ काम किया. इस दौरान उसने सम्मान और जलन दोनों कमाए. देवेंद्र सिंह को उसके काम के लिए आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया था और उसे इंस्पेक्टर बना दिया गया

डीएसपी देवेंद्र सिंह (फोटो-पीटीआई) डीएसपी देवेंद्र सिंह (फोटो-पीटीआई)
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 14 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

  • ट्रैक रिकॉर्ड की वजह से बचता रहा देवेंद्र
  • कई बार जांच हुई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
  • आतंकियों से लड़ते हुए जख्मी भी हुआ

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से गिरफ्तार डीएसपी देवेंद्र सिंह को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर को कई बार आगाह किया था, लेकिन कभी किस्मत तो कभी लापरवाही की वजह से डीएसपी देवेंद्र सिंह बार-बार बचता रहा. लेकिन 11 जनवरी को सुबह जब वो श्रीनगर से अपने आई-10 कार में अपने घर से निकला तो उसका गुडलक खत्म हो चुका था. जवाहर टनल से पहले पुलिस ने उसे हिज्बुल के दो टॉप आतंकियों के साथ गिरफ्तार कर लिया.

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सवाल ये है कि राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित ये अधिकारी आखिर अपना ईमान बेचने पर राजी कैसे हो गया. सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे वजह सिर्फ पैसा है.

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा के रहने वाला देवेंद्र सिंह 1990 में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती हुआ था. उसने श्रीनगर के अमर सिंह कॉलेज से ग्रुजेएशन किया था. उसके करियर में कई बार विवाद आए, उसके खिलाफ जम्मू-कश्मीर पुलिस को आगाह भी किया गया, लेकिन हर बार वो बचता रहा. सूत्र बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ने में व्यस्त जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बार-बार इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया.

करियर का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड

इसके अलावा डीएसपी देवेंद्र सिंह के करियर का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड भी बार-बार उसे कार्रवाई से बचाता रहा. एक सूत्र ने बताया, "आतंकवाद के खिलाफ अभियान में उसका काम जोरदार रहा, इस वजह से वो बचता रहा, कई बार जांच हुई, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया." सीआरपीएफ के एक दूसरे अधिकारी ने 1990 के उस दौर को याद किया जब देवेंद्र सिंह उत्तरी कश्मीर के सोपोर में आतंकियों के खिलाफ बड़ी बहादुरी से लड़ा था.

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जख्मी हुआ, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला

1990 के दशक में देवेंद्र सिंह 10 साल तक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के साथ काम किया. इस दौरान उसने सम्मान और जलन (ईष्या) दोनों कमाए. देवेंद्र सिंह को उसके काम के लिए आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया था और उसे इंस्पेक्टर बना दिया गया. आतंकियों के खिलाफ ऐसे ही एक ऑपरेशन के दौरान बड़गाम में देवेंद्र सिंह घायल हो गया था.

ड्रग्स के साथ पकड़ा गया, जांच हुई

एक बार देवेंद्र सिंह को एक ड्रग के सौदागर को अवैध तरीके से नशीली दवा बेचता पकड़ा गया, उसके खिलाफ जांच भी हुई. देवेंद्र सिंह के खिलाफ रंगदारी के आरोप भी लगे. एक और घटना जिस दौरान देवेंद्र सिंह पर सबकी नजरें गई वो तब हुई जब उसने लकड़ियों से भरे ट्रक को अगवा कर लिया. बाद में पता चला कि ये ट्रक पूर्व सीएम गुलाम मोईद्दीन शाह के एक रिश्तेदार की थी.

अफजल गुरु के साथ लिंक

डीएसपी देवेंद्र सिंह का आतंकवाद के साथ पहला रिश्ता तब सामने आया जब संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु ने अपने एक पत्र में अपने वकील को लिखा कि देवेंद्र सिंह ने उसे एक आतंकवादी को दिल्ली लाने को कहा था और यहां पर उसके लिए रहने की व्यवस्था करने को कहा था. ये आतंकी जैश का वही सदस्य था जो संसद पर हमले के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई के दौरान मारा गया था. हालांकि अफजल के पत्र में देवेंद्र सिंह का नाम आने के बावजूद भी उससे पूछताछ नहीं की गई.

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एसओजी से ट्रैफिक पुलिस में आया

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में काम करने के बाद देवेंद्र सिंह का तबादला ट्रैफिक पुलिस में कर दिया गया. देवेंद्र सिंह 2003 में कोसोवो गए शांति रक्षक दल का भी हिस्सा था. पिछले साथ उसे राष्ट्रपति के पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया था. उसके खिलाफ गुनाहों की लिस्ट सामने आने के बाद एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा, "जम्मू-कश्मीर पुलिस एक प्रोफेशनल फोर्स है, उसके साथ आतंकी जैसा सलूक किया जाएगा."

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