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मुरादाबाद जिले के पूर्व विधायक विजय यादव के खिलाफ मुरादाबाद सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज हुई है. मामला उनकी विवादित टिप्पणी से जुड़ा है जिसमें उन्होंने कहा था कि साधना सिंह (बीजेपी विधायक) का सिर कलम करने वाले को 50 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा. साधना सिंह ने एक रैली में बीएसपी प्रमुख मायावती को 'ट्रांसजेंडर से खराब' बताया था.
बीते 21 जनवरी को पूर्व विधायक विजय यादव ने ऐलान किया था कि अगर 48 घंटे में साधना सिंह ने बीएसपी प्रमुख मायावती और देश की सभी महिलाओं से माफी नहीं मांगी, तो वे उनका सिर कलम करके लाने वाले को पचास लाख रुपए का इनाम देंगे. यादव ने यह भी कहा था कि वे यह रकम चंदा इकठ्ठा करके जुटाएंगे. पूर्व विधायक के इस बयान के बाद सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया.
विजय यादव ने कहा, "बीजेपी विधायक साधना सिंह ने बीएसपी प्रमुख के खिलाफ निंदनीय शब्दों का प्रयोग किया. हम मांग करते हैं कि साधना को 48 घंटे के अंदर बीएसपी मुखिया मायावती और देश की सभी महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए." पूर्व विधायक ने यह भी कहा था कि यदि 48 घंटे में साधना सिंह ने माफी नहीं मांगी तो बीएसपी कार्यकर्ता बड़ा आंदोलन करेंगे.
गौरतलब है कि बीजेपी विधायक साधना सिंह ने एक विवादित टिप्पणी करते हुए मायावती को 'एक ट्रांसजेंडर से खराब' बताया था. उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई और उनकी पार्टी ने भी इससे किनारा कर लिया. साधना सिंह की मुश्किल तब और बढ़ गई जब राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने उन्हें नोटिस भेजकर जवाब तलब किया. यूपी के मुगलसराय की विधायक साधना सिंह ने एक रैली के दौरान मायावती को एक समय चिरविरोधी रहे समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने के लिए अवसरवादी भी कहा था.
एनसीडब्ल्यू के नोटिस भेजने से एक दिन पहले साधना सिंह ने अपनी बदजुबानी के लिए खेद जताया था और कहा था कि किसी को अपमानित करने का उनका इरादा नहीं था. अपने खेद में साधना सिंह ने कहा, 'मेरा मकसद किसी को अपमान करने का नहीं था. मैं बस 2 जून, 1995 को गेस्ट हाउस कांड के दौरान मायावती की बीजेपी नेताओं द्वारा की गई मदद को याद दिलाना चाहती थी.'
इस मामले में पूर्व बीएसपी विधायक के खिलाफ गुरुवार को एफआईआर दर्ज की गई. इससे पहले बीएसपी के बनारस मंडल के इंचार्ज रामचंद्र गौतम ने साधना सिंह के खिलाफ एससी एसटी- एक्ट के तहत चंदौली थाने में मामला दर्ज कराया. गौतम ने कहा कि यह सिर्फ बीएसपी सुप्रीमो मायावती का नहीं, बल्कि दलित समाज की सभी महिलाओं का अपमान है.