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रेप केसः गायत्री के सहयोगियों को दो दिन में सरेंडर करने के आदेश

बलात्कार के मामले में जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री और सपा नेता गायत्री प्रजापति के सहयोगियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के सह-आरोपी अमरेंद्र सिंह और विकास वर्मा को दो दिन के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदलने से इंकार कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बदलने से इंकार कर दिया
परवेज़ सागर/अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2017,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

बलात्कार के मामले में जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री और सपा नेता गायत्री प्रजापति के सहयोगियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के सह-आरोपी अमरेंद्र सिंह और विकास वर्मा को दो दिन के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
रेप केस में गायत्री प्रजापति के साथ सह-आरोपी अमरेंद्र सिंह और विकास वर्मा अभी भी फरार हैं. उन दोनों को निचली अदालत से जमानत मिल गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद वे दोनों सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे थे लेकिन उन्हें वहां से कोई राहत नहीं मिली.

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दो दिन में सरेंडर करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 2 दिनों में सरेंडर करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को हाईकोर्ट जाने की सलाह है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोप गंभीर, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा.

फिर जेल गए गायत्री प्रजापति
इससे पहले, लखनऊ कोर्ट ने छेड़छाड़ के एक मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और रेप के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति को 12 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. कोर्ट ने यह आदेश गोमतीनगर थाने के एसआई और इस मामले के विवेचक हरिकेश राय की अर्जी पर दिया.

प्रजापति को जमानत देने वाले जज सस्पेंड
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी गायत्री प्रजाप्रति को जमानत देने वाले न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्रा को निलंबित कर दिया. मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोंसले ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दिए जाने न्यायाधीश के आदेश पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अतिरिक्त जिला और सत्र अदालत के न्यायाधीश की सभी शक्तियां भी छीन लीं.

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30 अप्रैल को रिटायर होने वाले थे जज
मिश्रा लखनऊ में बाल यौन अपराध संरक्षण (पोस्को) अदालत में थे. वह 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले थे. उच्च न्यायालय के महापंजीयक डी.के. सिंह ने शनिवार को मिश्रा के निलंबन की पुष्टि की.

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