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बिहार के अररिया में गैंगरेप की पीड़िता को ही जेल भेज दिया गया है. पीड़िता और उनकी दो सहयोगियों पर कोर्ट की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगा है. पीड़िता ने गैंगरैप की रिपोर्ट 7 जुलाई को अररिया महिला थाने में दर्ज कराई. महिला थाने में दर्ज एफआईआर में जिक्र है कि मोटरसाइकिल सिखाने के बहाने उनको एक परिचित लड़के ने बुलाया.
एफआईआर के मुताबिक, आरोपी को एक सुनसान जगह ले जाया गया. जहां मौजूद चार लोगों ने गैंगरेप किया. पीड़िता ने अपने परिचित से मदद मांगी, लेकिन वो वहां से भाग गया. इसके बाद गैंगरेप पीड़िता अररिया में काम करने वाले जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों की मदद से अपने घर पहुंची. हालांकि बाद में गैंगरेप पीड़िता अपना घर छोड़कर जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों के साथ ही रहने लगी.
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7 और 8 जुलाई को पीड़िता की मेडिकल जांच हुई. 10 जुलाई को बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाया गया. न्यायालय में पदस्थापित न्यायिक दंडाधिकारी मुस्तफा शाही के कार्य में बाधा डालने एवं अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने के मामले को लेकर न्यायिक दंडाधिकारी के पेशकार राजीव रंजन सिन्हा ने जन जागरण शक्ति संगठन की अध्यक्ष और अन्य के खिलाफ महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई. जिसके बाद गैंगरेप की पीड़िता सहित तीन महिलाओं को जेल भेज दिया गया.
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इस मामले में जनशक्ति जन जागरण शक्ति संगठन की सलाहकार कामायनी स्वामी ने बताया कि मामला राजनीति से प्रेरित है. न्यायिक दंडाधिकारी के साथ दुर्व्यवहार की बात गलत है. वे लोग गैंगरेप पीड़िता को मदद कर रही थीं. राजनीतिक साजिश के तहत उन लोगों को भी जेल भेजा जा रहा है.