
कट्टरपंथी हिंदुवादी समूह की हिटलिस्ट में गौरी लंकेश का नाम नंबर 2 पर था, उस लिस्ट में कुल 34 लोगों के नाम थे. इस बात खुलासा विशेष जांच दल (एसआईटी) ने प्रमुख आरोपी से बरामद डायरी के आधार पर किया है. कर्नाटक पुलिस ने जांच में पाया कि लिस्ट में शामिल लोगों के नाम हत्या के लिए 2016 में चिह्नित किए गए थे. जिसके चलते 5 सितंबर, 2017 के दिन लंकेश को उनके घर के बाहर गोली मार दी गई थी.
कर्नाटक में मौजूद अन्य कई लोगों के नाम उस डायरी में लिखे थे, जिसमें जानेमाने रंगकर्मी गिरीश कर्नाड का नाम भी शामिल है. उनका नाम गौरी लंकेश वाली सूची में नंबर 1 पर था. इसी वजह से उन्हें राज्य सरकार ने सुरक्षा प्रदान की थी. सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि संदिग्धों से बरामद दोनों सूचियों में से अधिकांश नाम कर्नाटक और महाराष्ट्र से हैं. इसलिए वहां की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है.
यह डायरी हिंदू जनजागृती समिति (एचजेएस) के पूर्व संयोजक पुणे निवासी अमोल काले (37) से बरामद किए गए दस्तावेज़ों में से एक थी. उससे पता चलता है कि पूरे भारत से लंकेश और 33 अन्य लोगों के नाम इसी संदिग्ध ने अगस्त 2016 में सूचीबद्ध किए थे.
काले सनातन संस्थान और एचजेएस की एक गुप्त इकाई से जुड़ा प्रमुख व्यक्ति है, जिसे 21 मई को कर्नाटक के दावणगेरे क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था. एसआईटी ने उसकी पहचान गौरी लंकेश की हत्या करने वाले समूह के प्रमुख के रूप में की थी.
जांच में यह भी पाया गया है कि लिस्ट में अन्य लोगों की तरह 55 वर्षीय पत्रकार लंकेश भी अपने भाषणों और लेखों में कट्टरपंथी हिंदुत्व के खिलाफ मजबूत रुख अपनाने की वजह से कट्टरपंथियों द्वारा निशाना बनाई गईं.
काले की गिरफ्तारी के बाद बेंगलुरु की एक अदालत में दायर किए गए दस्तावेजों में एसआईटी ने कहा है कि अंग्रेजी में आठ नामों वाली एक लिस्ट में 8वें नंबर पर अंधविश्वास का विरोध करने वाले निडर निदुमुमिदी स्वामीजी का नाम शामिल था.
दस्तावेजों में यह भी कहा गया है कि 22 अगस्त, 2016 को डेटलाइन के साथ डायरी के दूसरे पन्ने पर 26 नामों की दूसरी सूची मिली थी. एसआईटी को शक है कि दोनों सूचियों में 34 ऐसे व्यक्तियों के नाम शामिल हैं, जिन्हें कट्टरपंथी हिंदुत्व के विरोधियों के रूप में जाना जाता था. वो डायरी जुलाई 2016 में छपी थी.
एसआईटी जांच से पता चला है कि काले ने उत्तरी कर्नाटक के विजयपुरा क्षेत्र में 26 वर्षीय परशुराम वाघमारे को तैनात किया था. उसे गौरी लंकेश को मारने के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र में सनातन संस्थान और एचजेएस के कट्टरपंथी नेटवर्क का उपयोग करके भर्ती और प्रशिक्षित किया गया था.
एसआईटी को शक है कि गौरी लंकेश की हत्या की साजिश को अमल में लाने और उनके घर की पहचान करने जैसे काम उनकी हत्या से लगभग आठ महीने पहले शुरू हो गए थे. इस साजिश को पूरा करने के काम में जून 2017 में तेजी आई. एसआईटी ने अदालत के दस्तावेजों में इस बात का संकेत दिया है.
एसआईटी ने 31 मई को अदालत में रिमांड याचिका दाखिल करते हुए कहा था "जून 2017 में अमोल काले उर्फ भासाब और दादा (एक लापता संदिग्ध) ने आरोपी मनोहर एडव उर्फ मनोज को बेलगाम में स्थित स्वीकर होटल में बुलाया और उसे गौरी लंकेश की गतिविधियों और दिनचर्या पर नजर रखने का काम सौंपा था.
एसआईटी जांच में पाया गया कि गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में काले और चार अन्य लोगों की गिरफ्तारी होने के दो महीने बाद मैसूर में कन्नड़ लेखक और अकादमिक प्रोफेसर के.एस. भगवान की हत्या की साजिश शुरू कर दी गई थी. काले की डायरी में पाए गए लोगों में प्रो. भगवान का नाम भी है. सूची में इनके अलावा कन्नड़ लेखक योगेश मास्टर, चंद्रशेखर पाटिल और बनजगेरे जयप्रकाश के साथ-साथ कर्नाटक पिछड़ी जाति आयोग के अध्यक्ष सी.एस. द्वारकानाथ शामिल हैं.