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कोर्ट से फरार होने के लिए राम रहीम ने 'रेड बैग' को बनाया था कोड

रेप केस में 20 साल की जेल काट रहे डेरा प्रमुख राम रहीम ने 25 अगस्त को कोर्ट की सुनवाई के बाद भागने की कोशिश की थी. उसने अपने समर्थकों को लाल बैग के जरिए संदेश दिया था कि उसे पुलिस हिरासत में लेकर जेल ले जा रही है. इस कोड को उसके समर्थक समझ गए और जमकर हिंसा की थी. इसमें करीब 38 लोगों की मौत हो गई और 300 लोग घायल हुए.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह
मुकेश कुमार
  • चंडीगढ़,
  • 31 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:46 PM IST

रेप केस में 20 साल की जेल काट रहे डेरा प्रमुख राम रहीम ने 25 अगस्त को कोर्ट की सुनवाई के बाद भागने की कोशिश की थी. उसने अपने समर्थकों को लाल बैग के जरिए संदेश दिया था कि उसे पुलिस हिरासत में लेकर जेल ले जा रही है. इस कोड को उसके समर्थक समझ गए और जमकर हिंसा की थी. इसमें करीब 38 लोगों की मौत हो गई और 300 लोग घायल हुए.

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पुलिस महानिरीक्षक आईजीपी केके राव ने बताया कि पुलिस राम रहीम को पुलिस पंचकूला से रोहतक की जेल तक तभी ले जा सकी जब डेरा प्रमुख के सुरक्षाकर्मियों की ओर से उसे भगाने की कोशिश नाकाम कर दी गई. पुलिस उपायुक्त अपराध सुमित कुमार की अगुवाई में पुलिस टीम ने गुरमीत के कमांडो जवानों की ओर से उसे भगाने की कोशिश नाकाम कर दी थी.

उन्होंने बताया कि जैसे ही गुरमीत को दोषी करार दिया गया, वैसे ही उसने सिरसा से लाया गया एक लाल बैग मांगा. उसने यह कहते हुए बैग मांगा कि उसमें उसके कपड़े रखे हुए हैं. दरअसल यह उसकी ओर से अपने लोगों को किया गया एक इशारा था कि वे उसके समर्थकों में उसे दोषी ठहराए जाने की खबर फैला दें, ताकि वे उपद्रव पैदा कर सकें.

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जैसे ही गाड़ी से बैग बाहर निकाला गया, करीब दो-किलोमीटर दूर से आंसू गैस के गोले दागे जाने की आवाजें सुनाई देने लगीं. तभी पुलिस को यह बात समझा में आ गई कि इस कोड के पीछे कोई मतलब है. उनका संदेह उस वक्त और गहरा गया जब गुरमीत और हनीप्रीत पंचकूला कोर्ट की गलियारे में काफी लंबे समय तक खड़े रहे, जबकि उन्हें वहां खड़ा नहीं होना था.

वे गाड़ी में बैठने से पहले समय ले रहे थे, ताकि उसके लोग यह बात फैला सकें कि वह अदालत से बाहर निकलने वाला है. उन्होंने बताया गया कि आप यहां नहीं खड़े हो सकते. भीड़ करीब दो-तीन किलोमीटर दूर थी और वह नजदीक भी आ सकती थी. हम सेक्टर एक में कोई हिंसा नहीं चाहते थे, क्योंकि इससे मरने वालों की संख्या बहुत बढ़ सकती थी.

पुलिस ने राम रहीम को उसकी गाड़ी में बिठाने की बजाय पुलिस उपायुक्त अपराध सुमित कुमार की गाड़ी में बिठाने का फैसला किया. जब उसे गाड़ी में बिठाया जा रहा था तभी कुछ कमांडो, जो काफी साल से डेरा प्रमुख के साथ तैनात थे, ने उसको घेर लिया . इसके बाद आईजी सुमित कुमार और उनकी टीम की उनसे झड़प हुई. उसके कमांडो को पीटा भी गया.

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