
हवाला रैकेट चलाने वाले शातिर चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग ने पूछताछ में अपनी जिंदगी को लेकर कई खुलासे किए हैं. उसकी जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. उसने पहली बार साल 2014 में भारत की जमीन पर कदम रखा था. दिल्ली में आकर नूडल्स का कारोबार शुरू किया और बड़े हवाला रैकेट तक जा पहुंचा. भारत आने के बाद उसने खासा रकम जुटाई. फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. चार्ली को पहली बार साल 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था. हालांकि कुछ दिन बाद वह छूट गया था.
पिता ने की थी दूसरी शादी
अब गिरफ्तारी के बाद प्रारंभिक पूछताछ के दौरान आरोपी चार्ली पेंग उर्फ लुओ सांग ने बताया कि उसका जन्म तिब्बत, चीन में 1978 में हुआ था. उसके पिता उसकी मां से बहुत लड़ाई करते थे. एक बार उसके पिता ने उसकी मां का पैर तोड़ दिया था. जब वह आठ महीने का था, तो उसकी मां और पिता के बीच काफी झगड़ा हुआ था. उसकी मां की मौत के बाद उसके पिता ने चीनी महिला ली पेंग के साथ शादी कर ली. और फिर उसे साथ लेकर नानजिंग, जिआंग्सु, चीन में शिफ्ट हो गए. ली पेंग नानजिंग में ऑटो स्पेयर पार्ट्स का कारोबार करती थी.
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केवल कक्षा तीन तक पढ़ा है लुओ सांग
लुओ सांग ने कक्षा 3 तक पढ़ाई की और इसके बाद वो बुरी संगत में पड़ गया. वो बुरी आदतों का शिकार होता गया. जब वह 18 साल का था तो नानजिंग छोड़ कर अपने जैविक पिता से मिलने और पहचान पत्र हासिल करने के लिए ल्हासा, तिब्बत जा पहुंचा. वो एक साल तक वहां रहा. इसके बाद उसने स्थानीय जड़ी-बूटी डोंगचोंग ज़ियाको का व्यापार शुरू कर दिया. इस कारोबार से उसने काफी पैसा कमाया, क्योंकि वह चीनी भाषा जानता था और चीनी लोगों के साथ अच्छे से मोलभाव कर सकता था.
तिब्बतियों के साथ पैदल नेपाल गया था लुओ सांग
साल 2009 में लुओ सांग 6 तिब्बतियों के साथ पैदल नेपाल आया था. नेपाल में वो 2009 से 2014 तक काठमांडू के पास गेलुग मठ में रहा. उसने वहां भी अपना औषधि और जड़ी बूटियों का कारोबार शुरू कर दिया था, जिससे उसने अच्छा पैसा कमाया. मठ और बाहर के कई लोग उस पर निर्भर हो गए थे. मठ में रहने वाले कुछ परिचितों ने उसे अपनी किस्मत बनाने के लिए भारत जाने का सुझाव दिया.
चार्ली पेंग 2014 में आया था भारत
नतीजा ये हुआ कि साल 2014 में लुओ सांग एक बस में बैठकर काठमांडू से नई दिल्ली के मजनू का टीला आ गया. मजनू का टीला इलाके में वह पंजाबी बस्ती में रहा. नेपाल मठ और साथ ही नेपाल मठ के संदर्भ में मिले दस्तावेजों के आधार पर उसने तिब्बती आई कार्ड और पीली किताब हासिल कर कर ली थी.
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भारत में शुरू किया था नूडल्स का आयात
शुरुआती दौर में उसने भारत में नूडल्स का आयात शुरू किया. वो इसे दक्षिण भारत के लामाओं को बेचा करता था. इसके बाद उसने कपड़ों और जूतों का कारोबार शुरू किया. वह अलीबाबा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से माल आयात करता था, क्योंकि वह चीनी भाषा जानता था, तो वह चीनी निर्यातकों के साथ बातचीत करने में सक्षम था और उसने उनका विश्वास जीत लिया. धीरे-धीरे उनके साथ उसने संबंध बना लिए. इसके बाद वो पंजाबी बस्ती, नई दिल्ली से निकलकर बंगलुरु पहुंच गया, क्योंकि वहां उसका माल आयात होना था.
दलाल से बनवाया था आधार, पैन और पासपोर्ट
इसके बाद वह फिर से नई दिल्ली लौट आया. आने के बाद उसने द्वारका में एक फ्लैट ले लिया. इसके बाद एक दलाल के माध्यम से उसने भारतीय आधार कार्ड और पैन कार्ड भी ले लिए. जैसे-जैसे उसका कारोबार बढ़ता गया, वो द्वारका से गुरुग्राम शिफ्ट हो गया. फिर उसने सुनहरा बर्ड प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी खोली. साथ ही उसने मणिपुर के एक दलाल से भारतीय पासपोर्ट भी बनवाया.
मिजो लड़की से की थी शादी
भारत में स्थापित हो जाने के बाद लुओ सांग ने मिज़ोरम की एक लड़की से शादी भी कर ली. जिसका नाम वनल्रिनचनी खवलिंग था. इस लड़की से वह अपने एक पूर्व कर्मचारी के माध्यम से मिला था. प्रारंभिक पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वह अपने गुरुग्राम ऑफिस से मनी एक्सचेंज का कारोबार भी चला रहा था. उसके दो बैंक खाते हैं, एक इंडस बैंक में और दूसरा आईसीआईसीआई बैंक में. आईसीआईसीआई बैंक के खाते में 20 लाख और इंडस बैंक में लगभग 70,000 रुपये हैं.
पासपोर्ट मामले में फिर दर्ज होगा केस
लुओ सांग ने मणिपुर से चार्ली पेंग के नाम पर इंडियन पासपोर्ट बनवाया हुआ था. उसने पासपोर्ट हासिल करने के लिए ही मणिपुर की लड़की से शादी की थी. पासपोर्ट एक्ट के तहत उसके खिलाफ पहले भी केस चला था. और अब इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट भी उसके खिलाफ पासपोर्ट एक्ट के तहत केस दर्ज करेगा. ये बात साबित हो चुकी है कि वो भारत में अवैध तरीके से आया था. फिर एक के बाद एक फर्जी दस्तावेज हासिल करता गया. सच तो ये है कि वो मनी एक्सचेंज की आड़ में जासूसी और हवाला का कारोबार करता था.