
मुंबई में आत्महत्या करने वाले चर्चित आईपीएस अधिकारी हिमांशु रॉय ने मार्च 2014 में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान खुलासा किया था कि भारत में हुए आतंकी हमलों के पीछे सीधे तौर पर पाकिस्तान का हाथ है. यही नहीं 26/11 की आतंकी वारदात के बाद भी पाकिस्तान में आतंकियों की ट्रेनिंग का खुलासा भी रॉय ने ही किया था.
खंगाले थे आतंकियों के ईमेल
उस वक्त हिमांशु रॉय मुंबई एटीएस के प्रमुख थे. रॉय ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच से बताया था कि उनके पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. हिमांशु रॉय का दावा उन 4 हजार ईमेल पर आधारित था, जो यासिन भटकल और पाकिस्तान में उसके आकाओं ने एक-दूसरे को भेजे थे.
जुटाए थे पुख्ता सबूत
रॉय ने कहा था, ‘हमारे पास ठोस सबूत हैं कि आतंकी हमले पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित थे.’ यही नहीं, उन्होंने दावा किया था कि मुंबई हमलों के बाद भी पड़ोसी मुल्क में आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही है. उन्होंने कहा था कि मैं नहीं जानता ऐसे में पाकिस्तान से किस हद तक सहयोग की अपेक्षा की जानी चाहिए. एटीएस चीफ का कहना था कि उनके पास इस बात के भी पूरे सबूत हैं कि पाकिस्तान और हाफिज सईद के तार आतंक से जुड़े हैं.
आतंकियों को दी थी चुनौती
रॉय ने इंडिया टुडे कॉन्कलेव में कहा था कि पाकिस्तान हर बार खुद को आतंक से एक कदम दूर बताता है, लेकिन अगर उसके कदमों के निशान को जोड़ा जाए तो वह आतंक के साथ उसके रिश्तों को खोल कर रख देते हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों के बाद भी पाक से आतंकी हमलों की धमकी आती रही है, लेकिन हम उसके लिए पूरी तरह तैयार हैं.
कौन थे हिमांशु रॉय
हिमांशु रॉय 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी थे. उनका नाम 2013 में स्पॉट फिक्सिंग मामले में बिंदु दारा सिंह की गिरफ्तारी, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर के ड्राइवर आरिफ के एनकाउंटर, पत्रकार जेडे हत्याकांड, विजय पालांडे-लैला खान डबल मर्डर जैसे अहम मामलों से जुड़ा रहा. अंडरवर्ल्ड कवर करने वाले पत्रकार जे डे की हत्या की गुत्थी सुलझाने में हिमांशु रॉय ने अहम भूमिका निभाई थी.
हिमांशु रॉय कैंसर से पीड़ित थे
जानकारी के मुताबिक, पूर्व ATS प्रमुख हिमांशु रॉय कैंसर से पीड़ित थे. बताया जा रहा है कि अप्रैल 2016 से उन्होंने मेडिकल लीव ले रखी थी. ATS प्रमुख रहते हुए हिमांशु रॉय ने पहली बार साइबर क्राइम सेल स्थापित किया था.