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न बाहर से फंडिंग, न ISIS का सपोर्ट, इंटरनेट से पढ़ा आतंक का सबक

उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून और व्यवस्था) दलजीत सिंह चौधरी ने खुलासा किया है कि लखनऊ में मारे गए सैफुल्लाह और उसके साथियों का आईएसआईएस से कोई सीधा संपर्क नहीं था. आरोपी खुद ही सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से आईएस से प्रभावित हुए थे. वे ISIS के खुरासान मॉड्यूल के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते थे.

यूपी पुलिस के मुताबिक अभी तक इनका आईएस के साथ कोई सीधा संबंध सामने नहीं आया है यूपी पुलिस के मुताबिक अभी तक इनका आईएस के साथ कोई सीधा संबंध सामने नहीं आया है
परवेज़ सागर
  • लखनऊ,
  • 08 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून और व्यवस्था) दलजीत सिंह चौधरी ने खुलासा किया है कि लखनऊ में मारे गए सैफुल्लाह और उसके साथियों का आईएसआईएस से कोई सीधा संपर्क नहीं था. आरोपी खुद ही सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से आईएस से प्रभावित हुए थे. वे ISIS के खुरासान मॉड्यूल के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते थे.

एडीजी चौधरी ने बताया कि MP की घटना के बाद इनके बारे में जानकारी हुई थी. इसके बाद एमपी और यूपी में आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल के छह संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया. इस बात का भी पता चला कि लखनऊ में मारे गए सैफुल्लाह ने ही मंगलवार को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में बम ब्लास्ट की साजिश रची थी.

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कानपुर के जाजमऊ निवासी सैफुल्लाह ने अपनी साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए लखनऊ के काकोरी की हाजी कॉलोनी में किराए का मकान लिया था. यह वही जगह है, जहां मंगलवार 11 घंटे तक एनकाउंटर चला था. इसी के साथ ही कानपुर से फैजल खान और इटावा से फख्र-ए-आलम को गिरफ्तार कर लिया गया.

एडीजी के मुताबिक एक अन्य आरोपी के बारे में पता चला था. उसकी तलाश की जा रही है. क्योंकि वह भागने में सफल हो गया है लेकिन उसे जल्द ही पकड़ लिया जाएगा.

दलजीत चौधरी ने बताया कि एटीएस का विशेष थाना लखनऊ में ही स्थित है. जहां इस केस से संबंधित सारे मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं. जितने आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, उनके खिलाफ भी इसी थाने में मामले पंजीकृत किए गए है. और आगे भी अन्य गिरफ्तारी होने के बाद यहीं पर मामले दर्ज किए जाएंगे.

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एडीजी ने जानकारी देते हुए बताया कि मुठभेड़ वाली जगह से भारी मात्रा में असलाह और मोबाइल, सोना, विदेशी मुद्रा, पेन कार्ड, आधार, मानचित्र, एजुकेशनल डॉक्यूमेंट, लैबटॉप के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी कई किताबें भी मिली हैं. मौके से मिल तीन में से एक पासपोर्ट सैफुल्लाह का है, जिस पर उसका कानपुर का पता अंकित है.

उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि आरोपियों ने इंटरनेट के माध्यम से बम और आईईडी बनाना सीखा था. इनके पास से मिले लैबटॉप और अन्य दस्तावेजों से इस बात की जानकारी मिली है.

चौधरी ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान आरोपी सैफुल्लाह मकान के अलग-अलग कमरों से फायरिंग कर रहा था. इस लिए ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वहां कई लोग हो सकते हैं, लेकिन बाद में वहां केवल सैफुल्लाह के होने की पुष्टि हो गई थी.

एक सवाल के जवाब में एडीजी ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि कुछ उनका कोई टारगेट था. इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि ये लोग खुद से प्रेरित हैं. इन्हें बाहर से कोई समर्थन या मदद नहीं मिल रही थी. ये लोग आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल के नाम से अपनी पहचान बनाना चाहते थे.

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