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जब दीपावली की रात गिरफ्तार हुए थे शंकराचार्य, खूब बरपा था हंगामा

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार सुबह 83 साल की उम्र में निधन हो गया. उनको सांस लेने में आ रही दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. साल 1954 में कांची पीठ के शंकराचार्य बने जयेंद्र सरस्वती पर हत्या का आरोप लग चुका है.

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:46 AM IST

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार सुबह 83 साल की उम्र में निधन हो गया. उनको सांस लेने में आ रही दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. साल 1954 में कांची पीठ के शंकराचार्य बने जयेंद्र सरस्वती पर हत्या की साजिश का आरोप लग चुका है. उनको शंकर रमन हत्याकांड में गिरफ्तार भी किया गया था.

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3 सितंबर 2004 को तमिलनाडु के कांचीपुरम मंदिर के कार्यालय में धारदार हथियार से शंकर रमन की हत्या कर दी गई. उन्होंने दोनों शंकराचार्यों के खिलाफ वित्तीय हेरफेर के आरोप लगाए थे. शंकर रमन के परिजनों ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद विष्णुकांची थाने में केस दर्ज हुआ और इस मामले की जांच शुरू कर दी गई थी.

पुलिस ने आईपीसी की धारा 302, 34 और 120B के तहत केस दर्ज किया था. 11 नवंबर 2004 को जयेंद्र को शंकर हत्याकांड की साजिश रचने के आरोप में दीपावली की रात में आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किया गया. पूरे देश में खूब हंगामा हुआ. कहा तो यह भी जाता है कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कॉल भी किया था.

29 नवंबर 2004 को जयेंद्र सरस्वती की तरफ से स्थानीय अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की गई. इसे 8 दिसंबर को खारिज कर दिया गया. 3 जनवरी 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉसिक्यूशन से जयेंद्र सरस्वती के बैंक अकाउंट से किए गए लेन-देन संबंधी साक्ष्य पेश करने के लिए कहा. इसके बाद 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर हुई.

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10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि प्रॉसिक्यूशन इस बात का सुबूत प्रस्तुत करने में असफल रहा कि हत्यारों को जयेंद्र के खाते से पैसे निकाल कर दिए गए. इसके साथ ही हत्या में सह आरोपी बनाए गए दो अभियुक्तों ने कहा कि उन्हें अपराध कुबूल करने के लिए पुलिस द्वारा टार्चर किया गया था. उनकी बुरी तरह पिटाई हुई थी.

26 फरवरी 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सेशन कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. 6 अगस्त 2005 को सेशन कोर्ट ने सह अभियुक्त विजयेंद्र सरस्वती को जमानत देने से इंकार कर दिया. नवंबर 2005 से 2013 के बीच कुल 187 गवाह पेश किए गए, जिसे प्रॉसिक्यूशन और डिफेंस काउंसिल ने फिर से परीक्षण किया. गवाही के दौरान 82 गवाह मुकर गए.

27 नवंबर 2013 को इस मामले नियुक्त किए गए मुख्य जज सीएस मुरुगन ने अपना फैसला देते हुए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती सहित सभी 24 आरोपियों को बरी कर दिया. इस तरह करीब दो महीने तक जेल में रहने वाले जयेंद्र सरस्वती को शंकर रमन हत्याकांड से 9 साल बाद बरी किया गया था. इस केस को लेकर सियासी अखाड़े में भी खूब नूरा कुश्ती हुई.

बताते चलें कि जयेंद्र सरवस्ती का जन्म 18 जुलाई 1935 को हुआ था. उन्हें पहले सुब्रमण्यम अय्यर के नाम से जाना जाता था. 22 मार्च 1954 को चंद्रशेखरानंद सरस्वती के बाद उन्हें 69वां शंकराचार्य बनाया गया था. कांची पीठ हिंदू धर्म का अनुसरण करने वालों के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह तमिलनाडु राज्य में कांचीपुरम नगर में स्थित है.

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