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‘…गिरफ्तार हम हुए’, कठुआ के फैसले में गालिब के इस शेर का भी हुआ जिक्र

कठुआ की ये घटना पिछले साल 10 जनवरी, 2018 को हुई थी. बच्ची के परिवार ने बताया था कि बच्ची 10 जनवरी, 2018 को दोपहर में घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी लेकिन उसके बाद वो घर वापस नहीं लौटी थी. करीब एक हफ्ते बाद 17 जनवरी को जंगल में उस बच्ची की लाश मिली थी.

कठुआ कांड में मिला इंसाफ कठुआ कांड में मिला इंसाफ
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2019,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में जनवरी 2018 में जो आठ साल की बच्ची के साथ जो बर्बरता हुई उसका इंसाफ सोमवार को हुआ. पठानकोट की एक अदालत ने सात में से 6 दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया. इस इंसाफ से देश में हर कोई संतुष्ट महसूस कर रहा था. फैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने कई तरह की टिप्पणियां कीं, लेकिन जब फैसला लिखा गया तो शुरुआत मिर्ज़ा ग़ालिब के शेर से हुई.

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‘पिन्हाँ था दाम-ए-सख़्त क़रीब आशियान के

उड़ने न पाए थे कि गिरफ़्तार हम हुए’

~ मिर्ज़ा ग़ालिब

इस शेर के मायने हैं कि शिकारियों ने इतना कड़ा जाल बिछाया हुआ था कि उड़ने से पहले ही पकड़ लिया गया.

बता दें कि पठानकोट की अदालत ने इनमें से तीन, मंदिर के पुजारी व मामले के मास्टरमाइंड सांझी राम, दीपक खजुरिया व प्रवेश कुमार को 25 साल की उम्रकैद की सजा सुनाई. जांच अधिकारियों राज और दत्ता और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र कुमार को मामले में महत्वपूर्ण सबूत नष्ट करने के लिए पांच साल की सजा सुनाई गई.

इस केस में पुलिस ने कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक नाबालिग था. हालांकि, मेडिकल परीक्षण से यह भी सामने आया कि नाबालिग आरोपी 19 साल का है. पूरी वारदात के मुख्य आरोपी ने खुद ही सरेंडर कर दिया था.

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कठुआ की ये घटना पिछले साल 10 जनवरी, 2018 को हुई थी. बच्ची के परिवार ने बताया था कि बच्ची 10 जनवरी, 2018 को दोपहर में घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी लेकिन उसके बाद वो घर वापस नहीं लौटी थी. करीब एक हफ्ते बाद 17 जनवरी को जंगल में उस बच्ची की लाश मिली थी. इस केस ने देश में हर किसी को झकझोर दिया था, कई जगह इसको लेकर प्रदर्शन भी हुए थे.

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