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सोनिया गांधी का PA बनकर ठगी करने वाले संजय तिवारी के बारे में जाने 5 बड़ी बातें

दिल्ली पुलिस ने बीते शुक्रवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीजेपी महासचिव राम माधव का पीए बनकर जालसाजी करने वाले संजय तिवारी उजाला (40 वर्ष) और उसके साथ गौरव (23 वर्ष) को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने आरोपी संजय तिवारी उजाला के बारे में कई खुलासे किए हैं. आपको बताते हैं ठगी के मास्टरमाइंड संजय तिवारी उजाला से जुड़ी 5 बड़ी बातें:

आरोपी संजय तिवारी उजाला आरोपी संजय तिवारी उजाला
राहुल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST

दिल्ली पुलिस ने बीते शुक्रवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीजेपी महासचिव राम माधव का पीए बनकर जालसाजी करने वाले संजय तिवारी उजाला (40 वर्ष) और उसके साथ गौरव (23 वर्ष) को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने आरोपी संजय तिवारी उजाला के बारे में कई खुलासे किए हैं.

पुलिस ने आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं. ठगी का मास्टरमाइंड संजय तिवारी नेताओं, मंत्रियों, ब्यूरोक्रेट्स और सीनियर अफसरों को ही अपना निशाना बनाता था. राजनेताओं और आरएसएस के नाम पर जबरन उगाही करने के बाद सौदा तय होने पर वह खुद रकम लेने नहीं जाता था, बल्कि रकम लाने के लिए वह कुछ युवकों का इस्तेमाल करता था.

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पिछले साल ठगी के आरोप में संजय तिवारी को गिरफ्तार किया गया था. जमानत पर छूटकर बाहर आने के बाद उसने दोबारा ठगी का धंधा शुरू कर दिया था. शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की एक टीम ने जाल बिछाकर आरोपी को उसके एक साथी के साथ गिरफ्तार कर लिया. आपको बताते हैं ठगी के मास्टरमाइंड संजय तिवारी उजाला से जुड़ी 5 बड़ी बातें:

1- यूपी के फैजाबाद के रहने वाले वाले संजय तिवारी उजाला ने मैट्रिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. फैजाबाद में उसने काफी समय तक छोटा-मोटा काम किया. जिसके बाद उसने शादी कर ली थी. संजय तिवारी के दो बच्चे हैं. 1999 में वह दिल्ली आ गया और यहां ऑल इंडिया रेडियो में बतौर फ्रीलांसर काम करना शुरू कर दिया.

2- पत्रकारिता के जरिए वह कई जानी-मानी शख्सियतों से संपर्क में आया. संजय तिवारी ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम किया. इस दौरान उसने स्टिंग ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले स्पाई कैमरों का इस्तेमाल करना सीखा. तिवारी ने ब्लैकमेलिंग के जरिए रकम ऐंठने की शुरूआत एक सिलेंडर कॉन्ट्रैक्टर के स्टिंग ऑपरेशन से की थी.

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3- पहले स्टिंग ऑपरेशन के जरिए काली कमाई का चस्का लगने के बाद उसने एक के बाद एक कई ब्लैकमेलिंग की वारदातों को अंजाम दिया. साथ ही उसने अपना दायरा बढ़ाते हुए जबरन उगाही का एक बड़ा गिरोह भी खड़ा कर लिया था. बता दें कि तिवारी के खिलाफ धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग और जबरन उगाही से संबंधित कुल 11 मामले दर्ज हैं.

4- संजय तिवारी ने एक मैगजीन संपादक और एक फिल्म डायरेक्टर के साथ भी काम किया है. वहीं संजय तिवारी ने नार्थ-ईस्ट के एक सांसद के साथ भी बतौर पर्सनल सेक्रेटरी काम किया है. तिवारी नार्थ-ईस्ट के भी कई नेताओं, सांसदों का स्टिंग कर उनसे रकम ऐंठ चुका है. गौरतलब है कि तिवारी ने साल 2007 में किरेन रिजिजू (वर्तमान केंद्रीय गृहराज्य मंत्री) का भी एक स्टिंग ऑपरेशन किया था.

5- तिवारी ने पूछताछ में खुलासा किया कि साल 2011 तक वह एक न्यूज पोर्टल का संचालन करता था. ठगी के धंधे में वजन पैदा करने के लिए उसने खुद को एक टीवी चैनल का चेयरमैन घोषित कर दिया था. इसी के जरिए तिवारी के कई मंत्रियों से संबंध बने और रसूखदार शख्सियतों की आड़ में ही वह आसानी से धोखाधड़ी कर नेताओं, मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स से जबरन उगाही करता था.

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